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रामविलास पासवानः LLB की डिग्री, DSP बनने की चाहत...चुनाव लड़े तो बना दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड

aajtak.in
  • 08 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:56 PM IST
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देश की राजनीति के एक मंझे नेता राम विलास पासवान का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे और एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने इस बात की पुष्टि की है. आइए जानें- दलित परिवार में जन्मे रामविलास पासवान ने राजनीति की दुनिया में कैसे खुद को किया साबित. ऐसा रहा उनका पूरा सफर. 

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लोक जनशक्‍ति पार्टी की नींव रखने वाले इस पार्टी के अध्‍यक्ष और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को उनके संघर्ष से जाना जाएगा. उनका जन्‍म 5 जुलाई 1946 के दिन बिहार के खगरिया जिले में एक दलित परिवार में किसान जामुन पासवान और सिया देवी के घर में हुआ था. 

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रामविलास पासवान ने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी से परास्नातक, डी लिट की पढ़ाई की. इसके अलावा उन्होंने कोसी कॉलेज पटना यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया है. साल 1969 में वो पहली बार बिहार विधान सभा के सदस्य बने. लेकिन साल 1977 में छठी लोकसभा के चुनाव में उन्होंने भारी अंतर से जीत दर्ज कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया.

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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम 1977 में इसलिए दर्ज हुआ क्योंकि उन्होंने हाजीपुर से छठी लोकसभा के लिए चुनाव में हाइएस्ट 4,424,545 मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंदी को हराया था. इसके बाद साल 1980-84 में सातवीं लोकसभा (दूसरा कार्यकाल) लोक दल के नेता के तौर पर वो चुने गए. 

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1969 में पहली बार पासवान बिहार के राज्‍यसभा चुनावों में संयुक्‍त सोशलिस्‍ट पार्टी के उम्‍मीदवार के रूप निर्वाचित हुए थे. बता दें कि दल‍ित परिवार में जन्में इस बेटे की ख्वाहिश कभी डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस यानी डीएसपी बनने की थी. लेकिन राजनीति उन्हें जनता के बीच लाई तो वो एक लोकप्र‍िय नेता के तौर पर पूरे बिहार ही नहीं बल्क‍ि पूरे देश में स्थाप‍ित हो गए. 

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बता दें कि रामविलास पासवान अपने पारिवारिक जीवन में भी अपने बच्चों के काफी करीबी रहे. उनकी निजी जिन्दगी की बात करें तो उनकी तीन बेटियां और एक बेटा चिराग पासवान है. चिराग पासवान ने अपने कई इंटरव्यू में कहा है कि उनके पिता ने ही उन्हें राजनीति के गुर सिखाए हैं. लेकिन कभी भी उन्होंने बेटे पर राजनीति में आने का दबाव नहीं डाला. 

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रामविलास पासवान देश के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक माने जाते थे. उनके पास 5 दशक से भी ज्यादा का संसदीय अनुभव था जिसमें वह 9 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे. रामविलास पासवान को भारतीय राजनीति का ऐसा नेता माना जाता है जो बहुत जल्द ही हवा का रुख पहचान लेते थे. 

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