पश्चिमी उत्तरप्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर के किसानों ने आज अपना एक नेता खो दिया है. एक सुशिक्षित नेता और जमीनी राजनीति की मजबूत परख रखने वाले चौ अजित सिंह भी कोरोना से जंग हार गए. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े नामों ने दुख जताया है. राष्ट्रीय लोकदल पार्टी की नींव रखने वाले अजित सिंह ने राजनीति में अपना एक बड़ा मुकाम बनाया है, आइए उनके इस सफर के बारे में जानते हैं.
ये वो उस दौर की बात है जब भारतीय राजनीति में कई बड़े बड़े नाम शामिल थे. वहीं किसानों के नेताओं में पढ़े-लिखे लोगों के नाम न के बराबर थे. तब अपने पिता चौधरी चरण सिंह के कहने पर अजित सिंह अपनी विदेश की नौकरी और कंप्यूटर साइंस की दिशा में अपने सपने सब छोड़कर राजनीति में आ गए थे.
चौधरी अजित सिंह का जन्म ऐसे किसान परिवार में हुआ था जहां उनके पिता किसानों की आवाज उठाने के लिए जाने जाते थे. उनका जन्म 12 फरवरी 1939 में मेरठ के भडोला गांव में हुआ था. बचपन में भले ही उन्होंने घर से ही सरोकार की राजनीति का पाठ सीखा लेकिन उनकी रुचि इंजीनियरिंग में थी.
इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई पर पूरा जोर दिया और प्रतियोगी परीक्षा पास करके आईआईटी खड़गपुर में दाखिला लिया. यहां से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उनका लक्ष्य कंप्यूटर जगत में बहुत सारा ज्ञानार्जन करने की थी. ये पढ़ाई वो विदेश में रहकर ही कर सकते थे. इसलिए बिना राजनीति में कोई रुचि जगाए वो अपनी पढ़ाई में जुट गए थे.
इसके बाद चौधरी अजित सिंह अमेरिका के इलिनाइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी में पढ़ने के बाद 17 साल तक अमेरिका में कॉरपोरेट जगत में काम करते रहे. 1960 के दौर में आईबीएम में काम करने वाले कुछ भारतीयों में अजित सिंह का नाम है. ये बात साल 1980 की है. तब चौधरी चरण सिंह की उम्र काफी ढल गई थी. वो राजनीति में इतना सक्रिय नहीं रह पा रहे थे. ऐसे में उन्होंने अपने बेटे अजित सिंह को दिल्ली बुलाया. उन्होंने बेटे से कहा कि वो कॉर्पोरेट में नौकरी करने के बजाय देश के किसानों और वंचितों की आवाज बनें. उन्होंने पिता की बात मानी और राजनीति में कदम रख दिया.
चौधरी अजित सिंह को लोकदल की कमान सौंप दी गई. अजित सिंह 1986 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में पहुंचे. वे 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए. 1991 में भी वे लोकसभा के लिए चुने गए. 1991 में भी वे लोकसभा के लिए चुने गए. इस दौरान विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार में 11 महीने के लिए वे उद्योग मंत्री भी रहे.
अजित सिंह का विवाह राधिका सिंह से हुआ था. दोनों के एक बेटा और दो बेटियां हैं. उनके पुत्र जयंत चौधरी, उत्तर प्रदेश के मथुरा से 15 वीं लोकसभा के सदस्य भी रहे हैं. जयंत चौधरी ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाला है, वर्तमान में उनकी छवि एक लोकप्रिय नेता के तौर पर बन चुकी है.