Open Shop At Railway Station Platform: रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म पर आपको खाने पीने की छोटी छोटी दुकानें मिल जाएंगे. इन दुकानों पर चिप्स, बिस्किट, कोल्डड्रिंक आदि सामान मिलता है. इसके अलावा कुछ दुकानें किताबों की, बच्चों के खिलौनों की, फल, अखबार की मिल जाएंगी. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर दुकान मिलती कैसे है? यहां दुकान लेने के लिए किससे बात करनी होती है और खर्चा कितना आता है? आइए आपको पूरा प्रोसेस बताते हैं.
सबसे पहले तो यह समझिए कि रेलवे स्टेशन पर दुकान खोलने के लिए आपको किसी से बात नहीं बल्कि रेलवे की टेंडर प्रक्रिया का हिस्सा बनना होगा. रेलवे स्टेशन पर खाने-पीने की दुकान खोलने के लिए, आप रेलवे की निविदा प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं. इस प्रक्रिया में भारतीय रेलवे में पंजीकरण कराना, आवश्यक दस्तावेज़ जमा करना और उपलब्ध स्टॉल के लिए बोली लगाना शामिल है. आवंटन मिलने के बाद, आप दुकान खोल सकते हैं.इसके अलावा रेलवे डिविज़न (DRM Office) जाकर जनरल स्टोर, बुक स्टॉल, पानी, चाय, या छोटे स्टॉल के लिए फॉर्म भर सकते हैं.
इसकी लागत कितनी होगी?
रेलवे स्टेशन पर दुकान खोलने की फीस दुकान के स्थान और आकार के आधार पर अलग-अलग होती है. आमतौर पर, फीस में पंजीकरण शुल्क, सुरक्षा जमा राशि और मासिक किराया शामिल होता है. यह राशि कुछ हज़ार रुपये से लेकर कई लाख रुपये तक हो सकती है.
दुकान खोलने के लिए आपको IRCTC की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा. इसके अलावा आप https://www.ireps.gov.in/ पर भी जा सकते हैं. यहां आप लाइव टेंडर सर्च कर सकते हैं और अप्लाई कर सकते हैं. यहां आपको नाम, कॉन्टेक्ट डिटेल्स, स्टॉल टाइप आदि जानकारी भरनी होती है.
टेंडर के लिए ये शर्ते पूरी करना जरूरी
रेलवे टेंडर के लिए आवेदन करने के लिए आवेदक भारतीय नागरिक होना जरूरी है. इसके अलाव उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, और उसके खिलाफ कोई पुलिस रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए. साथ ही, पिछले कुछ वर्षों का आयकर रिटर्न (ITR), पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक स्टेटमेंट और कभी-कभी अनुभव प्रमाणपत्र भी मांगा जाता है.
कैसे लेना होगा टेंडर
जब कोई टेंडर नोटिस जारी होता है, तो आवेदक को वेबसाइट पर जाकर टेंडर डॉक्यूमेंट डाउनलोड करना होगा. उसमें मांगे गए सभी दस्तावेज़ और EMD (Earnest Money Deposit) यानी सुरक्षा राशि जमा करनी होती है. इसके बाद आवेदन ऑनलाइन या ऑफलाइन, जैसा नोटिस में बताया गया हो वैसे जमा किया जाता है.
इसके बाद बोली (Bidding) की प्रक्रिया होती है. रेलवे हर टेंडर के लिए एक न्यूनतम किराया (Reserve Price) तय करता है. सभी योग्य आवेदक अपनी बोली लगाते हैं, जो व्यक्ति सबसे ऊंची बोली लगाता है, यानी सबसे अधिक किराया देने को तैयार होता है, उसे दुकान का लाइसेंस दिया जाता है.
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