ईरान जो मिसाइलें छोड़ता है, वो कितने देर बाद इजरायल में गिरती हैं? इन देशों और बाधाओं को करते हैं पार

ईरान ने इजरायल पर अबतक सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं. इनमें फतह-1 और सजिल जैसे सुपरसोनिक मिसाइल भी शामिल हैं. ईरान और इजरायल के बीच की दूरी लगभग 1,300 किमी से 1,500 किमी है. ऐसे में जानते हैं ईरान की मिसाइलों को इजरायल पहुंचने में कितना समय लगता है और किन बाधाओं को पार करना होता है?

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ईरान की मिसाइलों को इंटरसेप्ट करता इजरायल का आयरन डोम (फोटो - AP) ईरान की मिसाइलों को इंटरसेप्ट करता इजरायल का आयरन डोम (फोटो - AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

ईरान जो भी बैलिस्टिक मिसाइलें ईरान पर दाग रहा है, उसे इजरायल तक पहुंचने में कई बाधाओं को पार करना पड़ता है. जो इन्हें पार करने में सफल हो जाते हैं, वही इजरायल की जमीन पर तबाही मचा पाते हैं. ऐसे में जानते हैं ईरान की मिसाइलों को कितना समय इजरायल पहुंचने में लगता है और वह कितने देशों और बाधाओं को इस दौरान पार करते हैं?

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13 जून को इजरायल ने ईरान पर घातक हमला किया. इस दौरान इजरायल ने ईरान के परमाणु महत्व के ठिकानों के साथ उसके कई बैलेस्टिक मिसाइल लॉन्चरों और एयर डिफेंस सिस्टम को भी तबाह कर दिया. इसके जवाब में ईरान ने भी सैकड़ों यूवी ड्रोन्स, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों को दागा. इनमें से कई मिसाइलों को तो इजरायल के आयरन डोम और अन्य एयर डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दिया सिर्फ कुछ मिसाइल ही इजरायल की धरती को छू सकें. 

इतने समय में इजरायल पहुंचती है ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें
13 से 16 जून तक ईरान ने इजरायल पर कुल संख्या 370 बैलेस्टिक मिसाइलें दागी है. इनमें फतह-1 और सजिल जैसे सुपरसोनिक मिसाइल भी शामिल हैं. ईरान और इजरायल के बीच की दूरी लगभग 1,300 किमी से 1,500 किमी (800-930 मील) है. ऐसे में ईरान की मैक-5 की गति से यात्रा करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल तक पहुंचने में 12 मिनट का समय लेती हैं. वहीं फतह-1 जैसी सुपरसोनिक मिसाइल 16000-18500 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से सिर्फ 6 से 7 मिनट में ही इजरायल पहुंच जाती है. वहीं क्रूज मिसाइलों को लगभग दो घंटे का समय इजरायल पहुंचने में लग जाता है और रोन को यह दूरी तय करने में नौ घंटे तक का समय लग सकता है.

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मिसाइलों के प्रकार पर निर्भर करता है यात्रा का समय
ईरान से मैक 5 की गति से यात्रा करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें लगभग 12 मिनट में इजरायल तक पहुंच सकती हैं, हालांकि सटीक समय मिसाइल के प्रकार और लॉन्च साइट पर निर्भर करता है. बैलिस्टिक मिसाइलों के विपरीत, क्रूज मिसाइलें पायलट रहित विमानों की तरह कम ऊंचाई पर और स्थिर उड़ान भरती हैं, जिससे उन्हें हवाई सुरक्षा से बचने में मदद मिलती है. हालांकि वे बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में बहुत धीमी गति से यात्रा करते हैं, जिससे हवाई सुरक्षा को अवरोधन करने के लिए अधिक समय मिलता है. पैंतरेबाज़ी करने की उनकी क्षमता उन्हें रास्ता बदलने, बाधाओं के आसपास उड़ने और मिसाइल सुरक्षा से बचने में मदद करता है. 

इजरायली एयर डिफेंस से बचकर ऐसे पहुंची है मिसाइलें
इजरायली एयर डिफेंस  आयरन डोम प्रणाली पर निर्भर है, जो एक रडार से सुसज्जित है जो आने वाले मिसाइलों के साथ-साथ उसकी गति और दिशा का भी पता लगा लेती है. इसके अलावा डेविड स्लिंग और एरो सिस्टम जैसी इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम को भी ईरानी मिसाइलों को पार करना होता है. डेविड स्लिंग 40 किमी (25 मील) और 300 किमी (186 मील) के बीच की दूरी की मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम होती है.  वहीं  एरो सिस्टम 2,400 किमी (1,491 मील) तक की दूरी की मिसाइलों को रोक पाने में सक्षम है.

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यह भी पढ़ें: इजरायल और अमेरिका की जॉइंट ताकत के आगे कितना टिक पाएगा ईरान? देखें मिसाइलों और फाइटर जेट्स की तुलना

ईरान और इजरायल के बीच आने वाले देश 
ईरान और इजरायल के बीच कई देश हैं, जिन्हें ईरान के मिसाइल और ड्रोनों को पार करना होता है. इन देशों में ईराक, सीरिया, जॉर्डन और लेबनान है. इन देशों को हवाई क्षेत्रों को पार करने के बाद ही ईरानी मिसाइलें इजरायल पहुंच पाती है. 

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