इंडिगो की सभी उड़ानें रद्द होने की वजह से पूरे देश में अफरा-तफरी मची हुई है. इस सप्ताह इंडिगो की करीब हजार उड़ानें रद्द हो चुकी हैं. सिर्फ दिल्ली से एक दिन में 200 उड़ानें रद्द कर दी गईं. इसकी वजह एयरलाइन ने रोस्टर क्राइसिस को बताया है और इसके लिए FDTL को लेकर DGCA के नए नियम को जिम्मेदार ठहराया है. ऐसे में समझते हैं यह FDTL क्या है, जो एयरलाइंस के रोस्टर के लिए अहम होता है और पायलट व क्रू मेंबर्स का रोस्टर कैसे तैयार होता है.
सभी एयरलाइन मासिक आधार पर पायलट और क्रू मेंबर्स का एक रोस्टर जारी करती हैं. इस रोस्टर के आधार पर आगामी उड़ानों की योजना बनाई जाती है. इसके अनुसार, प्रत्येक उड़ान में न्यूनतम संख्या में पायलट और क्रू मेंबर्स की प्लानिंग की जाती है और फिर फ्लाइट्स का शेड्यूल तय किया जाता है.
क्या होता है FDTL
एयरलाइन को रोस्टर बनाने के लिए FDTL के नियमों का पालन करना होता है. एफडीटीएल यानी फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट - इससे तय होता है कि कोई पायलट या क्रू मेंबर अधिकतम कितनी देर तक ड्यूटी कर सकता है. सप्ताह में उसे कितना आराम मिलेगा, ड्यूटी के दौरान कितने समय का ब्रेक मिलेगा और लगातार कितनी देर तक फ्लाइट में ड्यूटी करना उचित होगा.
कैसे बनते हैं फ्लाइट्स के रोस्टर
रोस्टर बनाने में एफडीटीएल के अनुसार ही पायलट और क्रू मेंबर का ड्यूटी समय, आराम समय, ग्राउंड समय, टर्न-अराउंड समय के साथ-साथ प्रत्येक फ्लाइट में पायलटों की जोड़ी और क्रू मेंबर्स की संख्या तय की जाती है. उदाहरण के लिए किसी फ्लाइट के लिए एक कैप्टन, एक फर्स्ट ऑफिसर और निश्चित संख्या में फ्लाइट अटेंडेंट की जरूरत होती है. हर फ्लाइट के समय के हिसाब से अलग-अलग घरेलू और इंटरनेशनल फ्लाइट में क्रू मेंबर की ड्यूटी लगाई जाती है.
रोस्टर बनाने में कैसे अहम है FDTL के नियम
विभिन्न प्रकार के विमानों के लिए अनिवार्य चालक दल अलग-अलग हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, लंबी दूरी की उड़ान में 2 कैप्टन, 1 फर्स्ट ऑफिसर , 1 सेकंड ऑफिसर और 10 फ्लाइट अटेंडेंट की जरूरत हो सकती है. वहीं छोटी दूरी की उड़ान के लिए 1 कैप्टन, 1 सेकंड ऑफिसर और 4 अटेंडेंट की आवश्यकता हो सकती है. इसलिए FDTL नियमों का अनुपालन रोस्टर बनाने में अहम हो जाता है.
नए FDTL के नियम की वजह से नहीं हो रहे थे रोस्टर अपडेट
अब इसी FDTL नियमों को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ सिविल एविएशन (DGCA) ने अपडेट कर दिया था. यह अपडेटेड फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) 1 नवंबर से लागू किया गया था, जिसके अनुसार इंडिगो को पुराने की जगह नया रोस्टर बनाने और ऑपरेशंस में परेशानी हो रही थी. इतनी ज्यादा संख्या में फ्लाइट कैंसिल होने पर अंतत: डीजीसीए ने नए रूल्स वापस ले लिए हैं.
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घरेलू एविएशन का 60 प्रतिशत हिस्सा कवर करती है इंडिगो
अब समझते हैं कि इस नए नियम से इंडिगो को ही इतनी ज्यादा परेशानी क्यों हुई. इसे समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि इंडिगो भारत के घरेलू एविएशन मार्केट का 60 प्रतिशत हिस्सा कवर करती है. वहीं 40 फीसदी में बाकी के एयरलाइंस का परिचालन होता है. ऐसे फडीटीएल नियमों के लागू होने की वजह से रोस्टर अपडेट करने में पायलट और क्रू मेंबर्स की खासी दिक्कत शुरू हो गई.
विशाल ऑपरेशनल नेटवर्क की वजह से बढ़ गई इंडिगो की परेशानी
घरेलू विमानन का एक बड़ा हिस्सा अकेले संभालने के कारण अचानक से एक साथ पूरा रोस्टर अपडेट करने की वजह से पायलट की कमी हो गई. इसके साथ ही इंडिगो का विशाल ऑपरेशन और हाई फ्रिक्वेंसी नेटवर्क, देर रात और अहले सुबह की उड़ानों की अच्छी-खासी संख्या और विमानों तथा चालक दल के अधिक इस्तेमाल की वजह से कंपनी को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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