भाप और डीजल इंजन से लेकर स्टीम क्रेन, देखें वो म्यूजियम जिसने सहेजी रेलवे की विरासत

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रेल म्यूजियम का भारतीय धरोहरों को सहेजने में अहम योगदान दे रहा है. इस म्यूजियम में आपको रेलवे की विरासत की झलक मिलेगी. यहां देश की पहली रेलगाड़ी खींचने वाले इंजन लार्ड फॉकलैंड का यंगर सिब्लिंग भी मौजूद है.

Advertisement
Gorakhpur Rail Museum Gorakhpur Rail Museum

गजेंद्र त्रिपाठी

  • गोरखपुर,
  • 24 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:28 PM IST

Gorakhpur Rail Museum: उत्तर प्रदेश के सबसे बड़ी आबादी के जिला गोरखपुर के रेलवे स्टेशन से महज 300 मीटर दूरी पर स्थित रेलवे स्टेडियम कॉलोनी में बना रेल म्यूजियम इस वक्त आकर्षण का केंद्र होने के साथ-साथ भारतीय धरोहरों को सहेजने में अहम योगदान दे रहा है. इसी रेल म्यूजियम में ऐतिहासिक चीजें भी मौजूद हैं. सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र यहां मौजूद स्टीम इंजन है जिसे लॉर्ड लारेंस  द्वारा लंदन से लाया गया था.  

Advertisement

इस इंजन का निर्माण लंदन में 1874 में डब्स कंपनी ने किया था. लंदन से इंजन को बड़ी नाव से कोलकाता लाया गया था. संग्रहालय में एक बड़ी क्रेन, भाप इंजन और विभिन्न प्रकार के लोको इंजन भी मौजूद हैं. रेल म्यूजियम भवन का निर्माण 1890 और 1900 के बीच हुआ. भवन को बनाने के लिए पश्चिम बंगाल से ईंटें मंगाई गईं थीं. उसके बाद रेल म्यूजियम का कायाकल्प बदलने के लिए इसका सुंदरीकरण किया गया.

रेल म्यूजियम  दस्तावेजों के मुताबिक, उत्तर बिहार में जबरदस्त अकाल के दौरान राहत पहुंचाने के लिए वाजितपुर से दरभंगा के बीच महज 60 दिनों में 51 किमी रेल लाइन बिछाई गई थी. उसी रेल लाइन पर लार्ड लारेंस इंजन 15 अप्रैल,1874 को राहत सामग्री लेकर दरभंगा पहुंचा था. लार्ड लारेंस को देश की पहली रेलगाड़ी खींचने वाले इंजन लार्ड फॉकलैंड का यंगर सिब्लिंग कहा जाता है. म्यूजियम में नैरो गेज डीजल इंजन भी लोगों को आकर्षित करता है. इस इंजन का निर्माण 1981 में चितरंजन में हुआ था. 

Advertisement

20 टन क्षमता का ट्रेवलिंग स्टीम क्रेन को भी लोग निहारना नहीं भूलते हैं. इस क्रेन का निर्माण इटली में हुआ था. इस प्रकार के क्रेनों का उपयोग रेलवे ट्रैक पर भारी सामानों को उठाने व ट्रैक अवरोधों को हटाने में होता था.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement