World Ozone Day: क्या लॉकडाउन के कारण भरने लगा था ओजोन का छेद?

पृथ्वी की सतह से करीब 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर ओजोन गैस की एक पतली परत पाई जाती है. इसे ही ओजोन लेयर या ओजोन परत कहते हैं. ओजोन की ये परत सूर्य से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन को सोख लेती है. ये रेडिएशन अगर धरती तक बिना किसी परत के सीधी पहुंच जाए तो ये मनुष्य के साथ पेड़-पौधों और जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक को सकती है.

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विश्व ओजोन दिवस 2020 विश्व ओजोन दिवस 2020

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

हर साल 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है. यह ओजोन परत की कमी के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने और इसे संरक्षित करने के संभावित समाधानों की खोज करने के लिए मनाया जाता है.

पृथ्वी की सतह से करीब 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर ओजोन गैस की एक पतली परत पाई जाती है. इसे ही ओजोन लेयर या ओजोन परत कहते हैं.

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ओजोन की ये परत सूर्य से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन को सोख लेती है. ये रेडिएशन अगर धरती तक बिना किसी परत के सीधी पहुंच जाए तो ये मनुष्य के साथ पेड़-पौधों और जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक हो सकती है.

कब से मनाया जा रहा है विश्व ओजोन दिवस

19 दिसंबर, 1994 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस घोषित किया था. विश्व ओजोन दिवस पहली बार साल 1995 में मनाया गया था.

क्या है ओजोन दिवस की थीम

"ओजोन फॉर लाइफ" विश्व ओजोन दिवस 2020 के लिए नारा है. इस साल आयोजित होने जा रहे विश्व ओजोन दिवस की थीम है 'जीवन के लिए ओजोन, ओजोन परत संरक्षण के 35 साल' क्योंकि इस साल हम वैश्विक ओजोन परत संरक्षण के 35 साल मना रहे हैं.

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बता दें, हमारे जीवन की रक्षा करने वाली ओजोन लेयर अब खुद खतरे में है. ओजोन परत पर पहले से ही छेद हो गए हैं जिन्हें ओजोन होल्स कहा जाता है. इन ओजोन होल्स का पहली बार साल 1985 में पता चला था. मौजूदा समय में कई तरह के केमिकल ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिससे ओजोन की परत और पतली होकर फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है.

क्या लॉकडाउन के कारण भरा ओजोन लेयर का छेद?

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगा दिया गया था. सड़कों पर ट्रैफिक है नहीं था. फैक्ट्रियां भी बंद थी. मार्च से मई में अनलॉक 1 तक देश में कोई प्रदूषण फैलाने वाले काम नहीं हो रहे थे. इससे एक बड़ा फायदा ये हुआ है कि इससे ओजोन लेयर में बना छेद भरने लगा था.

यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के रिसर्चर्स ने पता लगाया था कि पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से में स्थित अंटार्कटिका के ऊपर बने ओजोन लेयर का छेद अब भर रहा है. क्योंकि चीन की तरफ से जाने वाला प्रदूषण अब उधर नहीं जा रहा है.

बता दें, लॉकडाउन से पहले प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा था. पृथ्वी के ऊपर चलने वाली जेट स्ट्रीम यानी ऐसी हवा जो कई देशों के ऊपर से गुजरती है. वह ओजोन लेयर में छेद की वजह से पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से की तरफ जा रही थी. लॉकडाउन के कारण वह वह पलट गई थी,

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यूनिवर्सिटी की रिसर्चर अंतरा बैनर्जी ने बताया था कि यह एक अस्थाई बदलाव है. लेकिन अच्छा है. इस समय चीन में हुए लॉकडाउन की वजह से जेट स्ट्रीम सही दिशा में जा रही है. कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम है. इसलिए ओजोन का घाव भर रहा है.

 

 

 

 

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