World Blood Donor Day: ये ना होते तो रक्तदान नहीं होता संभव

क्या आप डोनेट करते हैं अपना ब्लड.. ?

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Dr Karl Landsteiner who had discovered A B and O Groups Dr Karl Landsteiner who had discovered A B and O Groups

प्रियंका शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2018,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST

आज विश्व रक्तदान दिवस है. हम सभी जानते हैं कि रक्तदान महादान है. इस दिन को मनाने के पीछे डॉक्टर कार्ल लैंडस्टीनर हैं. जिन्हें आधुनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन का पितामह कहा जाता है. यही वजह है कि उनके जन्मदिन यानी कि 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है.

क्यों मनाया जाता है ये दिन

विश्व स्वास्थ्य संगठन रक्तदान को लेकर जागरुकता अभियान चलाता रहता है और इसी कारण दुनियाभर के देशों में 14 जून को World Blood Donor Day (विश्व रक्तदान दिवस) मनाया जाता है. इस दिन जागरूकता अभियान चलाया जाता है और जनमानस को मुफ्त रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है.

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रक्तदान से नहीं पड़ता शरीर कमजोर

रक्तदान से कई जरूरतमंद लोगों की जान बचाई जा सकती है तो साथ ही इंसानी शरीर के लिए भी यह फायदेमंद है. कुछ लोग के मन में रक्तदान के प्रति गलत जानकारी है. उनका मानना है कि इससे हमारा शरीर कमजोर पड़ जाता है, लेकिन आपको यह जानकारी दे दें कि इससे शरीर में किसी प्रकार का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि मनुष्य के शरीर से निकला खून कुछ ही दिनों में वापस बन जाता है. रक्त का प्लाजमा तो 2 से 3 दिन में वापस बन जाता है. लाल रक्त कोशिकाओं के बनने में लगभग 20 से 59 दिन तक लगते हैं और यह निर्भर करता है कि व्यक्ति कितने अंतराल पर रक्तदान करता रहता है.

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कौन कर सकते हैं रक्तदान

18 से 65 साल की आयु के सभी स्वस्थ जिनका वजन 45 किग्रा और उससे अधिक है वह रक्तदान कर सकते हैं.

कितना जरूरी है रक्तदान करना

रक्तदान कितना जरूरी है आप इससे ही अंदाजा लगा सकते हैं कि दुर्घटना में अचानक अत्यधिक रक्तस्राव या अन्य बीमारियों जैसे- खून का निर्माण कम या ना के बराबर होना, जैसी स्थितियों में रोगी को खून बाहर से दिया जाता है. यह खून एक व्यक्ति से लेकर दूसरे व्यक्ति को एबीओ एवं आर एच ब्लड ग्रुप मैचिंग करने के बाद चढ़ाया जाता है.

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जानें- कैसे पता चला ब्लड ग्रुप के बारे में

डॉक्टर कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म 14 जून 1868 को हुआ था. साल 1901 में कार्ल ने A,B,O जैसे ब्लड ग्रुप का पता लगाया. यही नहीं उन्होंने साल 1909 में पोलियो वायरस का भी पता लगाया. इसके बाद ही पोलियो को नियंत्रित करने का अभियान शुरू किया गया. कार्ल की सबसे महत्वपूर्ण खोज में ब्लड ग्रुप को अलग-अलग करने से जुड़े सिस्टम का पता लगाना और एलेग्जेंडर वेनर के साथ मिलकर 1937 में रेसस फैक्टर का पता लगाना है, जिसकी वजह से खून चढ़ाना मुमकिन हो पाता है. उनकी इसी खोज से आज करोड़ों से ज्यादा रक्तदान रोजाना होते हैं और लाखों की जिंदगियां बचाई जाती हैं.

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