पहले 1 जनवरी को नहीं होता था नया साल, ऐसे बदला कैलेंडर

आइए जानते हैं आखिर जनवरी के महीने में ही क्यों नया साल मनाया जाता है.... वजह काफी दिलचस्प है.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:38 AM IST

दिसंबर का महीना आधा बीत जाने के साथ ही नए साल के जश्न की तैयारियां शुरू हो जाती है. हर कोई अपनी सुविधाओं के अनुसार नए साल का जश्न मनाने की तैयारियां शुरू कर देता है. कोई धार्मिक तरीकों से तो कई घूमने जाकर या कोई अन्य तरीके से नए साल का जश्न मनाते हैं. लेकिन क्या कभी आपके मन में ये सवाल उठा है आखिर 12 महीनों में आखिर जनवरी महीने में ही क्यों 'नया साल' मनाया जाता है और क्यों है ये साल का पहला महीना.  आइए जानते हैं.

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दरअसल 1 जनवरी से शुरू होने वाले कैलेंडर को ग्रिगोरियन कैलेंडर के नाम से जाना जाता है, जिसकी शुरूआत 15 अक्टूबर 1582 में हुई. इस कैलेंडर की शुरुआत ईसाइयों ने क्रिसमस की वजह से की थी. कहा जाता है कि ग्रिगोरियन कैलेंडर से पहले 10 महीनों वाला रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलन में था और इस कैलेंडर में क्रिसमस की तारीख एक दिन में नहीं आती थी.

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उसके बाद अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने एक नया कैलेंडर प्रस्तावित किया. उसके बाद रूस के ही कैलेंडर को राजकीय आदेश से औपचारिक तौर पर अपना लिया गया. इसे आधिकारिक तौर पर लागू कर दिया गया और इस कैलेंडर में पहला दिन 1 जनवरी को होता है. इसलिए इसी कैलेंडर के हिसाब से नया साल जनवरी में होता है.

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