पहले भारत के वित्त मंत्री और फिर पाक के पीएम बने थे लियाकत अली

पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री पहले भारत के वित्त मंत्री थे और उन्होंने भारत में बजट भी पेश किया गया था. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच अहम समझौते भी किए थे.

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लियाकत अली खान लियाकत अली खान

मोहित पारीक

  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 8:42 AM IST

पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की सूची में एक और नाम जुड़ गया है, वो है इमरान खान. इमरान खान ने पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. पाकिस्तान में अभी तक 21 प्रधानमंत्री रहे और कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल नहीं हुआ. वहीं पाकिस्तान के इतिहास में एक ऐसे प्रधानमंत्री भी हुए हैं, जो पहले भारत के वित्त मंत्री थे, जिनका नाम है लियाकत अली खान. लियाकत अली पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे.

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लियाकत अली ने आजादी और विभाजन के दौरान हिंदू-मुसलमान संबंधों को लेकर अहम भूमिका निभाई थी. लियाकत अली का जन्म पंजाब के करनाल में हुआ था, जो आज हरियाणा का हिस्सा है. बाद में इनके परिवार को यूपी के मुजफ्परनगर इलाके में बड़ी जागीर मिली. कुछ सालों पहले उनकी मुजफ्फरनगर वाली संपत्ति को लेकर काफी विवाद हुआ था. कुछ लोगों ने इस पर अपना अधिकार जताया था.

भारत का बजट किया था पेश

लियाकत अली आजाद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे और जिन्ना के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता. जब अंतरिम सरकार का गठन हुआ तो मुस्लिम लीग ने उन्हें अपने नुमाइंदे के रूप में भेजा. उन्हें पंडित नेहरू ने वित्त मंत्रालय सौंपा था. पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने साल 2 फरवरी 1946 में भारत का बजट पेश किया था.

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उसके बाद वो 14 अगस्त 1947 से 16 अक्टूबर 1951 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे. दरअसल 16 अक्टूबर को उनकी हत्या कर दी गई थी. साल 1950 में उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच आठ अप्रैल 1950 को एक समझौता किया था, जिसका खास मकसद दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित करना और भविष्य में युद्ध की संभावनाओं को खत्म करना था.

हालांकि इससे कई नेता नाराज हुए. उस वक्त कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू और लियाकत अली के बीच हुए समझौते को लेकर 6 अप्रैल 1950 को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और जनसंघ की स्थापना की. बता दें कि जनसंघ ने ही बाद में बीजेपी का रूप लिया. उनकी हत्या तब पाकिस्तान की राजधानी रावलपिंडी के कंपनी बाग में ठीक उसी स्थान पर की गई थी, जहां 2007 में बेनजीर भुट्टो को गोली मारी गई थी.

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