Google Doodle Today: रोज 5 हजार बैठक, 3 हजार पुशअप और 40 साथियों से कुश्ती! जानें कौन थे गामा पहलवान, जिनके सम्मान ने गूगल ने बनाया डूडल

Gama Pehlwan Birth Anniversary: कुश्ती की दुनिया में गामा पहलवान का बोलबाला रहा है. आज यानी 22 मई 2022 को गामा पहलवान का 144वां जन्मदिन है. गामा पहलवान कश्मीरी मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते थे.

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Gama Pehlwan Birth Anniversary Today 22 May 2022 Google Doodle Gama Pehlwan Birth Anniversary Today 22 May 2022 Google Doodle

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2022,
  • अपडेटेड 9:30 AM IST
  • गामा पहलवान के जन्मदिन पर गूगल ने बनाया डूडल
  • Doodle में हाथ में गदा लिए दिखाई दे रहे द ग्रेट गामा

Gama Pehlwan 144th Birth Anniversary Today: सर्च इंजन गूगल (Google) ने आज, 22 मई 2022 को डूडल (Doodle) बनाकर भारतीय पहलवान 'द ग्रेट गामा' (Gama Pehlwan) को सम्मानित किया है. दरअसल, आज गामा पहलवान का 144वां जन्मदिन है. कुश्ती की दुनिया में गामा पहलवान का बोलबाला रहा है. 22 मई, 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में 'द ग्रेट गामा' यानी गामा पहलवान (Gama Pehlwan) का जन्म हुआ था. वो एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार से आते थे और उनके पिता मुहम्मद अजीज बक्श दतिया के तत्कालीन महाराजा भवानी सिंह के दरबार में कुश्ती लड़ा करते थे.

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गागा छोटे ही थे जब उनके पिता जी का निधन हो गया था. गामा को बचपन से ही व्यायाम और कुश्ती के शौकीन थे. बताया जाता है कि गामा पहलवान ने 10 साल की उम्र में 400 लोगों की कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. जिसमें उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और इसके बाद कुश्ती के प्रति उनकी रूची बढ़ती गई. गामा ने आगे बढ़ते हुए इसकी ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी. ट्रेनिंग के दौरान वह रोज 5 हजार स्क्वैट्स यानी बैठक और 3000 पुशअप यानी दंड किया करते थे. द ग्रेट गामा के जन्मदिन पर गूगल ने जो डूडल बनाया है, उसमें पहलवान के दाहिनें हाथ में सिल्वर गदा दिखाई दे रहा है. 

बताया जाता है कि गामा अपने अखाड़े में 40 पहलवानों के साथ कुश्ती की प्रैक्टिस करते थे. गामा अपनी फिटनेट के लिए खान-पान का विशेष ध्यान रखते थे. वो रोज 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध और बादाम के शर्बत अपनी डाइट में शामिल करते थे.गामा के बारे में कहा जाता है कि अपने 50 साल से अधिक के करियर में वह कभी किसी से कुश्ती में नहीं हारे.

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उन्होंने भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में नाम रोशन किया. भारत में सभी पहलवानों को धूल चटाने के बाद 1910 में वह अपने भाई इमाम बख्श के साथ इंटरनेशन कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लेने इंग्लैंड गए. जहां उन्होंने पहलवानों को खुली चुनौती दी थी कि वह किसी भी पहलवान को 30 मिनिट में हरा सकते हैं.

 

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