लता मंगेशकर से भी ज्यादा थी जिनकी फीस...

जिन दिनों लता और रफी को हर गाने के लिए महज 500 रुपये मिला करते थे, उन्हीं दिनों 'मुगल-ए-आजम' के गानों के लिए उस्ताद बड़े गुलाम अली खान ने 50,000 रुपये लिए थे.

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Bade Ghulam Ali Bade Ghulam Ali

विष्णु नारायण

  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

एक ऐसा शख्स जिसकी आवाज आज भी हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच पुल का काम करती है. बड़े गुलाम अली खान साहब के नाम से मशहूर भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज और अपनी ठुमरी से लाखों को दीवाना बनाने वाले इस शख्स का इंतकाल आज ही 25 अप्रैल साल 1968 में हुआ था.

जिन दिनों लता और रफी को हर गाने के लिए महज 500 रुपये मिला करते थे, उन्हीं दिनों 'मुगल-ए-आजम' के गानों के लिए उन्होंने 50,000 रुपये लिए थे.

  • वे संगीत के पटियाला घराने से ताल्लुक रखते थे.
  • उन्हें 20वीं सदी का तानसेन कहा जाता है और दुनिया उन्हें उस्ताद के नाम से जानती व पुकारती थी.
  • सबरंग उनका तखल्लुस था और ज्यादातर कंपोजिशन उन्होंने इसी नाम से लिखे.
  • साल 1962 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड और पद्म भूषण से नवाजा गया.
  • अपने अंतिम दिनों में पैरालिसिस अटैक के बावजूद वे अपने बेटे मुनव्वर अली खान की मदद के लिए स्टेज पर उतरे और परफॉर्म किया.
  • उनका कहना था कि, "अगर हर घर में एक बच्चा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखता तो इस मुल्क के दो टुकड़े कभी नहीं होते".

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