आदिवासी जननायक बिरसा मुंडा की शहादत पर...

बिरसा मुंडा को पूरी दुनिया एक ऐसे जननायक के तौर पर जानती है जिसने उलगुलान(क्रांति) की शुरुआत की थी. अंग्रेज जिससे थर्राते थे. वे साल 1900 में 9 जून को दुनिया से रुखसत हो गए थे.

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विष्णु नारायण

  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2016,
  • अपडेटेड 10:48 AM IST

बिरसा मुंडा को भारत का समाज एक ऐसे नायक के तौर पर जानता है जिसने सीमित संसाधनों के बावजूद अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उलगुलान की शुरुआत करने वाले इस शख्सियत से अंग्रेजी हुकूमत खार खाती थी. उन्हें गिरफ्त में लेकर 2 साल के लिए जेल में डाल दिया गया. उन्होंने अपनी अंतिम सांस साल 1900 में 9 जून की तारीख को ली.

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1. उन्हें साल 1900 में अंग्रंजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए गिरफ्तार किया गया और रहस्यमयी परिस्थितियों में रांची जेल के भीतर उनकी मौत हो गई.

2. उनकी जिंदगी और संघर्ष पर दो फिल्में भी बनीं, पहले गांधी (2008) और उलगुलान-एक क्रांति (2004)

3. वे साल 1897 से 1900 के बीच अंग्रेजों के खिलाफ गोरिल्ला युद्ध लड़ते रहे. अंग्रेजों ने उन पर उस दौर में 500 रुपये की इनामी धनराशि रखी थी.

4. उन्हें युवा छात्र के तौर पर जर्मन मिशन स्कूल में दाखिला दिया गया था और इसी वजह से उनका नाम डेविड पड़ा.

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