भारत में साल 1757 यानी आज से करीब सवा दो सौ साल पहले 19 अगस्त को ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहला सिक्का चलाया था. ये सिक्का कोलकाता की एक टकसाल में ढाला गया था. हिंदुस्तानियों के लिए ये एक अचरज का विषय था कि कैसे रुपये का चलन आधुनिकता की ओर देश को ले जाएगा. बताते हैं कि इससे पहले देश में मुगलकाल में सोने और चांदी के सिक्के और गिन्नियां भी व्यापार में इस्तेमाल होती थीं. लेकिन अंग्रेजों ने यहां रुपए का पहला सिक्का बनाया था. ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाए गए पहले सिक्के को बंगाल के मुगल प्रांत में चलाया गया.
फिर 15 अगस्त को भारत को गोरों से आजादी मिली, लेकिन उनके बनाए सिक्के अभी भी यहां चलन में रहे. फिर साल 1950 जब देश का पहला गणतंत्र दिवस मनाया गया, उसी साल भारत में पहला सिक्का भी ढाला गया था.ये एक तरह से भारतीय सिक्कों के चलन का पहला चरण था. अशोक की लाट चिह्न अंकित इन सिक्कों का चलन लोगों तक पहुंचते पहुंचते एक पूरा अरसा लगा.
सबसे पहले देश में आना के रूप में सिक्का चलन शुरू हुआ. तब के जमाने में 1 रुपया में 16 आना या 64 पैसे शामिल होते थे. 1 आना मतलब 4 पैसा होता था. 1957 में भारत डेसिमल सिस्टम के तहत सिक्के ढलने लगे, लेकिन कुछ समय तक डेसिमल और नॉन डेसिमल सिक्कों दोनो का ही देश में चलन था.
इस तरह ये वो समय था जब भारत में 'आना' सिस्टम चलन में रहा. इसमें 1 आना, 2 आना, 1/2 आना के सिक्के चलते थे. 'आना' सीरीज या प्री-डेसिमल कॉइनेज के नाम से चर्चित इन सिक्कों में 1 आना, 2 आना, 1/2 आना के सिक्के चलन में थे.
रुपये की सबसे छोटी वैल्यू का सिक्का आधा पैसा, इसे 1947 में आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया गया. 1 पैसा, 2 पैसा, 3 पैसा, 5 पैसा, 10 पैसा, 20 पैसा और 25 पैसा, 50 पैसा के सिक्के जारी किए जो देश में लंबे समय तक चलन में रहे. जिसके बाद 1 पैसे का सिक्का 1957-1972 के बीच चलन में था. इन पर 2011 में बैन लगा दिया गया था.
इसके बाद चलन आया अठन्नी का
अठन्नी यानी 50 पैसे का चलन आते आते देश प्रगति की तरफ बढ़ रहा था. 50 पैसे का ये सिक्का 1960 से प्रयोग में लाया जा रहा है. आजकल कोई 50 पैसे का सिक्का लेने के लिए तैयार नहीं होता है. सिक्के की घटती कीमतों के कारण एक तरह से अब ये चलन से बाहर ही देखा जाता है.
आए 2, 5 और 10 के सिक्के
2 रुपया, 5 रुपया और 10 रुपये का सिक्का आज भी चलन में है. 2 रुपये का सिक्का 1982 में आया इसके बाद 5 रुपये का सिक्का 1992 से चलन में आया. पचास पैसे के सिक्के के बाद एक रुपये का सिक्का लंबे वक्त से देश में चलन में है. ये सबसे पहले 1962 से चलन में आया जो अभी भी चलन में है. इस तरह सिक्कों के इतिहास के साथ साथ हर सिक्के के पीछे छुपी इतिहास की एक कहानी है. तत्कालीन सरकारों की कोशिशों से ये सिक्के चलन में लाए गए.