FINAL YEAR EXAM: बिना परीक्षा मिल सकती है डिग्री, छात्रों ने कहा, UGC के पास ये है ऑप्शन

देश भर के तमाम विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर की परीक्षाएं होनी बाकी हैं. वहीं छात्र परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है. उम्मीद जताई जा रही है फैसला 26 अगस्त को आ सकता है.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 7:55 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने NEET- JEE परीक्षा को अनुमति दे दी है. परीक्षा का आयोजन सितंबर में किया जाएगा. वहीं देशभर के छात्र एक आवाज में इन परीक्षाओं स्थगित करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि अभी तक सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

जहां NEET-JEE के छात्रों ने परीक्षा स्थगित को लेकर अपनी आवाज बुलंद की है, वहीं इस कड़ी में यूनिवर्सिटी के छात्र भी शामिल हैं, जो यूनियन ग्रांट्स कमीशन (UGC) से मांग कर रहे हैं कि कोरोना संकट में परीक्षा का आयोजन न करें और परीक्षा रद्द कर दी जाए.

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आपको बता दें, यूजीसी कॉलेज और यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर की परीक्षा कराने का फैसला सुप्रीम कोर्ट देगा, जिसका अंतिम निर्णय आना अभी बाकी है.

सुप्रीम कोर्ट कोरोना महामारी के बीच फाइनल परीक्षा को लेकर सभी दलीलों पर सुनवाई कर रहा है. यूजीसी के दिशा-निर्देशों और फाइनल ईयर के छात्रों के लिए परीक्षाओं के आयोजन के बारे में अदालत 26 अगस्त को अपना फैसला सुनाएगी. बता दें, फाइनल परीक्षा की तारीख 30 सितंबर 2020 को तय की गई है.

देश भर के तमाम यूनिवर्सिटी में फाइनल ईयर की परीक्षाएं होनी बाकी हैं. यूजीसी ने पहले कहा था कि अगर लॉकडाउन की अवध‍ि आगे बढ़ी तो परीक्षाएं कैंसिल कराई जा सकती हैं. लेकिन बाद में संशोधि‍त गाइडलाइन जारी करके कहा कि परीक्षाएं सितंबर माह में होंगी. यूजीसी के इस फैसले के ख‍िलाफ उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, आदि समेत विभिन्न राज्यों के यूनिवर्सिटी के 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन यूजीसी का इस पर रुख बदलने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं छात्र मांग कर रहे हैं कि परीक्षा रद्द कर दी जाए, लेकिन एक महीना होने को आया है जिसपर यूजीसी ने कोई जवाब नहीं दिया है. वहीं अब सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है.

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छात्रों ने बताया हमारे केस की पहली सुनवाई 24 जुलाई को हुई थी. जिसके बाद मामला पहली बार स्थगित किया गया था. इसके बाद 27 जुलाई को अन्य पीठ द्वारा सुनवाई के लिए स्थानांतरित कर दिया. फिर सुनवाई 14 अगस्त को हुई है और पिछली सुनवाई 18 अगस्त को हुई थी, अब 26 अगस्त की तारीख तय की है

क्या है छात्रों का कहना
सोशल मीडिया पर छात्र यूजीसी से नाराज हैं. उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबा खिंचता जा रहा है. वहीं यूनिवर्सिटी कोरोना मामले को नजरअंदाज करते हुए हमारी जिंदगी से खेल रही है और मनमाने तरीके से परीक्षाएं आयोजित करवा रही है.

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छात्रों का कहना है, हमारा कॉलेज होली की छुट्टियों के समय ही बंद हो गया था. वहीं 20 से 30 प्रतिशत सिलेबस अभी पूरा नहीं हुआ है. हम बिना पढ़े परीक्षा कैसे दे सकते हैं. अगर ऑनलाइन एजुकेशन की बात की जाए तो सभी कोर्सेज की सामग्री ऑनलाइन नहीं मिलती है. कंप्यूटर साइंस जैसे कोर्स के ऑनलाइन लेक्चर मिल जाते हैं, लेकिन बाकी कोर्स जैसे B.A, B.COM, B.sc जैसे कोर्सेज का कोई स्टडी मटीरियल उपलब्ध नहीं है.

छात्रों ने कहा, ऑनलाइन परीक्षा में इंटरनेट कनेक्शन और बिजली एक समस्या है. जहां इंटरनेट मौजूद है वहां कनेक्शन मजबूत नहीं है. साथ ही भारत में कुछ ही प्रतिशत छात्रों के पास लैपटॉप है. वहीं अगर हम ऑफलाइन परीक्षा देते हैं संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

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परीक्षा को लेकर क्या है UGC का कहना

UGC ने परीक्षाओं को शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बताया है, उन्होंने कहा कि जो छात्र विदेशी यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश चाहते हैं, उनके लिए परीक्षा आवश्यक है यदि परीक्षा का आयोजन नहीं होती है डिग्रियां अमान्य होगी. 

वहीं छात्रों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौर में परीक्षाओं का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए.  यूजीसी के पास ऑप्शन है, लेकिन नहीं जानते वह ऐसा क्यों करना चाहते हैं. वह छात्रों को उनके आंतरिक मूल्यांकन और पिछले वर्षों या सेमेस्टर की परीक्षाओं के औसत के आधार पर अंक देते हुए पास कर डिग्री दे दे सकते हैं.

 

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