कानून का काम दोषियों को सज़ा देना और बेकसूरों को सुरक्षा देना होता है. लेकिन क्या कानूनी दांव पेंच का इस्तेमाल गुनगहारों की सज़ा टालने में भी हो सकता है. ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि निर्भया के गुनहगारों को अभी तक फांसी की सज़ा नहीं दी गई. नवंबर 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया था कि दोषियों को फांसी की सज़ा दी जानी है. लेकिन इसके बाद दो साल बीत जाने के बावजूद सज़ा पर अमल नहीं किया गया. देखिए इस खबर का पोस्टमॉर्टम.