अबकी बार और ज्यादा मार... ब्रह्मोस-I ने पाकिस्तान में मचाई तबाही, अब ब्रह्मोस-II की तैयारी में जुटा भारत

ब्रह्मोस-II परियोजना का कॉन्सेप्ट लगभग एक दशक पहले ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा लाया गया था. लेकिन इस प्रोजेक्ट को पहले कई बाधाओं का सामना करना पड़ा था. रूस कुछ बंदिशों की वजह से इस मिसाइल की तकनीक भारत के साथ साझा नहीं करना चाहता था. इसके अलावा इसमें खर्चा भी बहुत ज्यादा आ रहा था. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने इन बाधाओं को पार करने का निश्चय किया है.

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ब्रह्मोस दुनिया के सबसे घातक सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक है. (फोटो- रॉयटर्स) ब्रह्मोस दुनिया के सबसे घातक सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक है. (फोटो- रॉयटर्स)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2025,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के एयरस्पेस का विनाश करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे घातक सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक बन गए हैं. दुश्मन के खेमे में भीषण विध्वंस मचाने की इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए भारत अब अपनी अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-II के विकास में तेजी लाने के लिए तैयार है. DRDO द्वारा स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन तकनीक में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने के बाद ब्रह्मोस-II के डेवलपमेंट प्रक्रिया को तेजी मिली है.

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सूत्रों के अनुसार ये एडवांस ब्रह्मोस-II मिसाइल की गति मैक 8 (ध्वनि की गति से 8 गुना अधिक) होगी. और इसे इस तरह डिजाइन किया जा रहा है ताकि इसकी मारक क्षमता 1,500 किलोमीटर हो. 

मौजूदा ब्रह्मोस की अधिकतम स्पीड 3.5 मैक  है. इसकी मारक क्षमता 290 से 800 किलोमीटर तक है. ब्रह्मोस मिसाइल इस समय दुनिया की सबसे तेज सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है. ब्रह्मोस-II हाइपर सोनिक मिसाइल होगी. सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल की गति 1 से 5 मैक तक होती है. जबकि हाइपर सोनिक मिसाइलों की गति 5 से 12 मैक तक होती है. 

रक्षा सूत्रों के अनुसार, ब्रह्मोस-II के संयुक्त विकास पर भारत और रूस के बीच उच्च स्तरीय चर्चा फिर से शुरू होने वाली है. इस हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का लक्ष्य मैक 6 से अधिक गति प्राप्त करना है और यह रूस की 3M22 जिरकोन मिसाइल से प्रेरित होगी, जो एक स्क्रैमजेट-संचालित हाइपरसोनिक मिसाइल और परमाणु शक्ति से संपन्न मिसाइल है.

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ब्रह्मोस-II परियोजना, जिसकी संकल्पना लगभग एक दशक पहले ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा की गई थी, को पहले कई बाधाओं का सामना करना पड़ा था. इन बाधाओं में रूस की ओर से उन्नत हाइपरसोनिक तकनीकी को भारत के साथ साझा करने की अनिच्छा और उच्च लागत जैसी चिंताएं शामिल थीं. 

ब्रह्मोस-II परियोजना की घोषणा सबसे पहले 2008 में की गई थी और उम्मीद थी कि इसका ट्रायल 2015 तक हो जाएगा. हालांकि, कई कारणों से इस परियोजना में देरी हुई. जिसमें मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का सदस्य होने के नाते रूस शुरुआत में 300 किलोमीटर से ज़्यादा की दूरी वाली तकनीक साझा नहीं कर सकता था, 2014 में भारत के MTCR का सदस्य बनने के बाद यह स्थिति बदल गई. 

ब्रह्मोस मिसाइल की तस्वीर (फोटो- रॉयटर्स)

लेकिन दुनिया में एडवांस हाइपरसोनिक हथियारों के प्रति बढ़ती रुचि और प्रतिस्पर्धा ने इस परियोजना के प्रति फिर से रूचि पैदा कर दी. जिससे दोनों देश (भारत-रूस) अपने सामरिक रक्षा को मजबूत करने के लिए सहयोग बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. 

देश के पास अभी जो ब्रह्मोस मिसाइल है वह भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस (1998 में स्थापित) का परिणाम है. इसे दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है, मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल मैक 3.5 की गति तक पहुंचने में सक्षम है और 290 से 800 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है. यह भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के बेड़े का हिस्सा है और इसे जमीन, पानी, हवा  और पनडुब्बी के परिचालन उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है. 

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(दागो और भूल जाओ-fire-and-forget) की तकनीक ने इस मिसाइल को भारत की रक्षा रणनीति के सबसे महत्वपूर्ण हथियारों में से एक बना दिया है, जिसका इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर में किया गया था जहां ब्रह्मोस ने अपने सभी टारगेट को हिट किया था. 

शहबाज शरीफ को ब्रह्मोस का खौफ

ब्रह्मोस मिसाइलों का खौफ क्या है ये पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बेहतर कोई नहीं जानता. वे सरे आम स्वीकार कर चुके हैं कि पाकिस्तान के एयरबेस पर ब्रह्मोस मिसाइलों ने तबाही मचाई है. शहबाज ने अजरबैजान में कहा था कि जब तक हम भारत पर हमला करने की रणनीति ही बना रहे थे भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल से हमला कर दिया और पाकिस्तान के कई राज्यों को हिट किया. इनमें रावलपिंडी के एयरपोर्ट और दूसरी जगहें शामिल थे. 

कैसा होगा ब्रह्मोस-II का फायर पावर?

ब्रह्मोस-II की गति 6 से 8 मैक के बीच होगी. यानी लगभग 8,600-10,000 किमी/घंटा. ये मिसाइल 1500 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकेगी.

यह हाइपरसोनिक गति से लगातार उड़ान भरेगा और लक्ष्य को नष्ट कर देगा.

इसका डिजाइन रूस के 3M22 जिरकोन से प्रेरित होगा, जो मैक 9 की गति से चलता है और इसे रूसी नौसेना में शामिल किया गया है. 

ब्रह्मोस-II में स्क्रैमजेट इंजन होगा, जो वर्तमान ब्रह्मोस रैमजेट प्रणाली से कहीं अधिक एडवांस है. 

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इसका डिजाइन रूस के 3एम22 जिरकोन से प्रेरित होगा, जो मैक 9 की गति से उड़ता है और इसे रूसी नौसेना में शामिल किया गया है.


ब्रह्मोस-II का वजन लगभग 1.33 टन होने की संभावना है, जो हवा से प्रक्षेपित ब्रह्मोस-A (2.65 टन) का लगभग आधा है.


इसे भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस मार्क 2 के साथ कई विमानों में लगाया जा सकता है. 


अप्रैल 2025 में DRDO ने स्क्रैमजेट इंजन के कॉम्बस्टर का 1,000 सेकंड से अधिक समय तक सफल परीक्षण किया. यह उपलब्धि भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल क्षमताओं की दिशा में एक निर्णायक कदम है. 
 

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