उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के गिरवां थाने के पूर्व थानाध्यक्ष और एक सिपाही को बालू भरे ट्रकों से अवैध वसूली करने और बालू खनन मामले में संलिप्तता का दोषी पाए जाने के बाद बर्खास्त कर दिया गया है. इस मामले की जांच डीआईजी ने की थी. इसमें पूर्व थानाध्यक्ष और सिपाही दोषी पाए गए थे.
बांदा के डीआईजी डॉ. मनोज कुमार तिवारी के पीआरओ केपी दुबे ने गुरुवार को बताया कि पुलिस मुख्यालय लखनऊ से 27 जनवरी की तड़के गोपनीय तरीके से अवैध वसूली और बालू खनन मामले की जांच के लिए आईपीएस अधिकारी मोहित गुप्ता और हिमांशु कुमार को जांच के लिए भेजा गया था.
उनके मुताबिक, दोनों अधिकारियों ने हमीरपुर की 'स्वाट टीम' के साथ गिरवां थाने के निहालपुर गांव के पास मध्य प्रदेश से आने वाले बालू लदे ट्रकों से अवैध वसूली करते एक सिपाही और चार अन्य बालू माफियाओं को रंगे हाथ पकड़ा था. इस दौरान हुए हमले में हिमांशु कुमार के पैर में गंभीर चोट भी लगी थी.
पुलिस अधीक्षक ने थानाध्यक्ष विवेक प्रताप सिंह और सिपाही देवर्षि यादव को निलंबित कर दिया था. इसके बाद इस मामले की जांच डीआईजी को सौंपी गई. उनकी जांच में थानाध्यक्ष और सिपाही दोषी पाए गए थे. बुधवार को डीआईजी ने पूर्व थानाध्यक्ष और एसपी ने सिपाही को बर्खास्त कर दिया है.
एक अन्य मामले में डीआईजी ने बताया कि चित्रकूट जिले में तैनात उपनिरीक्षक सुरेशचंद्र कुशवाहा को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है. उपनिरीक्षक को अनुशासनहीनता और विभाग की छवि खराब करने का दोषी पाया गया है. बताते चलें कि इस मामले लेकर शासन स्तर तक हलचल मच गई थी.
मुकेश कुमार