2 बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, पुलिस का दावा 20 साल से थे देहरादून में

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय नागरिक बनकर रह रहे देहरादून में दो बांग्लादेशियों को पकड़ने के मामले में देहरादून पुलिस भले ही इसे अपनी सफलता मान रही हो लेकिन इन दोनों का इतने लंबे समय तक देहरादून में मौजूद रहना ही पुलिस के सत्यापन के दावों की पोल खोलती है.

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aajtak.in

  • देहरादून,
  • 05 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:52 AM IST

देहरादून की पटेल नगर थाना पुलिस ने शहर में बिना वीजा के अवैध रूप से रहे दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने माजरा प्रधान वाली गली के पास से बांग्लादेशी नागरिक नजरुल इस्लाम और सैफूल को पकड़ा है. पकड़े गए दोनों व्यक्ति अवैध रूप से कई वर्षों से देहरादून में छिपकर रह रहे थे. पुलिस ने दोनों आरोपियों को विदेशी अधिनियम 1946 व पासपोर्ट अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार किया.

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आरोपियों के विरुद्ध थाना पटेलनगर में विदेशी अधिनियम व पासपोर्ट अधिनियम के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया है. उक्त दोनों आरोपियों से बरामद पासपोर्ट आधार कार्ड डीएल और पहचान पत्र की जांच की जा रही है. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में आरोपियों ने कुबूल किया कि वे लंबे समय से भारत में रह रहे हैं. पुलिस के अनुसार दोनों आरोपी करीब 15-20 वर्षों से देहरादून में अवैध रूप से रह रहे हैं.

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय नागरिक बनकर रह रहे देहरादून में दो बांग्लादेशियों को पकड़ने के मामले में देहरादून पुलिस भले ही इसे अपनी सफलता मान रही हो लेकिन इन दोनों का इतने लंबे समय तक देहरादून में मौजूद रहना ही पुलिस के सत्यापन के दावों की पोल खोलती है.

पुलिस को नजरुल नाम के आरोपी से पासपोर्ट भी बरामद हुआ है. नजरूल 2016 में बांग्लादेश की यात्रा भी कर चुका है. दोनों ने भारत का कागजात तैयार करने के लिए यूपी के सहारनपुर में दो सगी बहनों से शादी भी कर ली थी.  ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि आखिरकार कैसे इन दोनों बांग्लादेशियों को आधार कार्ड, वोटर कार्ड मिला. इसके बाद इन लोगों ने और स्कूल में दाखिला भी लिया. लेकिन प्रशासन को भनक तक नहीं लगी.

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गौरतलब है कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइन है कि भारत में अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों की खोजबीन की जाए. बता दें कि देहरादून पुलिस पहले दावा करती थी कि शहर में अवैध बांग्लादेशी मौजूद नहीं हैं.  हालांकि मौजूदा गिरफ्तारी पुलिस के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गई है. आईजी गढ़वाल भी खुद इस बात को स्वीकारते हैं कि इस तरीके से अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या बांग्लादेशियों के लिए विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है.

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