यूपी के कानपुर में हुए रेल हादसे में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने की बात सामने आई थी. अब खुलासा हुआ है कि कानपुर रेल हादसे से पहले बिहार में बम धमाके की एक साजिश नाकाम होने से गुस्साए आतंक के आकाओं ने बम रखने वाले दोनों आरोपियों की हत्या करने के आदेश दिए थे.
इंडिया टुडे की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 1 अक्टूबर, 2016 को बिहार के मोतिहारी में रेलवे ट्रैक पर एक शक्तिशाली बम रखे होने की सूचना मिली थी. पुलिस और बम स्क्वॉयड की टीम ने मौके से बम बरामद कर सैकड़ों लोगों की जान बचाई थी. तफ्तीश में सामने आया कि बम रखने की साजिश आईएसआई के कहने पर शमशूल हूदा उर्फ बॉस नाम के शख्स ने रची थी.
हूदा ने अपने खास गुर्गे ब्रिजकिशोर गिरि और मुजाहिर अंसारी को यह काम सौंपा था. इन दोनों ने अरुण राम और दीपक राम नामक दो युवकों को ट्रेन की पटरी पर बम रखने की जिम्मेदारी दी थी. इसके एवज में अरुण और दीपक को 12 लाख रुपये दिए गए थे. जांच में खुलासा हुआ कि अरुण और दीपक ने बम रखने के बाद डर की वजह से पुलिस को ट्रेन पटरी पर बम होने की सूचना दी थी.
शमशूल हूदा ने ही अरुण और दीपक के कत्ल की तस्वीरें और मर्डर के लाइव वीडियो को दुबई भेजने के निर्देश दिए थे.
आतंकी हमले की साजिश नाकाम होने और अरुण और दीपक द्वारा ही पुलिस को सूचना दिए जाने की बात जब शमशूल हूदा को पता चली, तो उसने नेपाल में बैठे अपने गुर्गों से दोनों का सिर कलम कर उसकी तस्वीरें और मर्डर का लाइव वीडियो उसे भेजने का फरमान सुना दिया. जाहिर है, इस आदेश के पीछे आईएसआई का हाथ था. जिसके बाद अरुण और दीपक को बिहार से नेपाल ले जाया गया.
नेपाल ले जाने के बाद ब्रिजकिशोर गिरि समेत 7 लोगों ने दोनों की बड़ी ही बेरहमी से गला रेतकर हत्या कर दी और फिर बॉस के आदेश के मुताबिक वारदात की तस्वीरें और वीडियो को दुबई भेज दिया गया. मामले की जांच के दौरान नेपाल पुलिस ने शमशूल हूदा उर्फ बॉस के गुर्गे ब्रिजकिशोर गिरि और मुजाहिर अंसारी को एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस पूछताछ में ही दोनों ने पुलिस के सामने यह चौंकाने वाला खुलासा किया. दरअसल कानपुर रेल हादसे की शुरूआती जांच में सामने आया था कि आतंक की इस साजिश में नेपाल मूल का एक शख्स शमशूल हूदा शामिल है. हूदा पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के साथ मिला हुआ है. हूदा फिलहाल दुबई में रह रहा है. हूदा न सिर्फ आईबी और रॉ बल्कि नेपाल पुलिस के भी रडार पर है.
अरविंद ओझा