सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मलविंदर और शिविंदर को अवमानना का दोषी ठहराया

सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया है. जापान की दवा बनाने वाली कंपनी दाइची सांक्यो ने मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह के खिलाफ कोर्ट अवमानना का केस किया था.

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रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह (Courtesy- ANI) रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह (Courtesy- ANI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:33 PM IST

  • जापान की कंपनी दाइची सांक्यो ने दायर किया था कोर्ट अवमानना का केस
  • 18 नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेजे गए मलविंदर सिंह और सुनील गोधवानी

सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की पीठ  ने यह भी कहा कि मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह 1170-1170 करोड़ रुपये का भुगतान करके अवमानना की सजा से बच सकते हैं.

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पीठ ने कहा कि मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह ने जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवमानना की है. लिहाजा दोनों को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया जाता है.

इसके साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की पीठ ने यह भी कहा कि अगर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह 1170-1170 रुपये आठ सप्ताह के अंदर जमा कर देते हैं, तो हम अवमानना मामले में सजा कम करने पर विचार कर सकते हैं.

जापान की दवा बनाने वाली कंपनी दाइची सांक्यो ने मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह के खिलाफ कोर्ट अवमानना का केस किया था. इसके साथ ही रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड मामले में फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रमोटर के पूर्व प्रोमोटर मलविंदर सिंह और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पूर्व सीएमडी सुनील गोधवानी को 18 नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है.

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इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड और इंडियाबुल्स वेंचर्स लिमिटेड के कई डायरेक्टरों को भी कोर्ट अवमानना का दोषी पाया है. इसमें समीर गहलोत, गगन बांगा, अश्विनी कुमार हूडा, सचिन चौधरी, दिव्येश भारत कुमार शाह और पिनाक जयंत शाह का नाम शामिल है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोषियों क खिलाफ सजा सुनाई जाएगी. इस दौरान कोर्ट ने उदारता दिखाते हुए यह भी कहा कि अगर ये 12 लाख  25 हजार शेयर की कीमत आठ सप्ताह के अंदर जमा कर देते हैं, तो इनकी सजा कम करने पर विचार किया जा सकता है.

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