दलितों के भारत बंद के चलते सोमवार को RSS विचारक राकेश सिन्हा पुलिस की ज्यादती का शिकार हो गए. राकेश सिन्हा एक न्यूज टेलीविजन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए निकले हुए थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें दलित एक्टिविस्ट समझकर हिरासत में ले लिया.
हालांकि जैसे ही पुलिस को समझ में आया कि राकेश सिन्हा दलित प्रदर्शनकारी नेता नहीं, बल्कि संघ विचारक हैं तो तुरंत उन्हें छोड़ दिया गया. राकेश सिन्हा ने खुद ट्वीट कर अपने साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने की जानकारी दी.
राकेश सिन्हा सोमवार की शाम डिस्कशन पैनलिस्ट के तौर पर एक प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए निकले हुए थे. पुलिस ने उन्हें नोएडा सेक्टर 16 स्थित फिल्म सिटी में एक समाचार चैनल के बाहर से हिरासत में लिया.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी ऐक्ट में बदलाव किए जाने के विरोध में दलितों ने सोमवार को देश व्यापी बंद का आह्वान किया था, लेकिन दलितों द्वारा बुलाया गया यह बंद हिंसक हो उठा, जिसमें सोमवार को 11 लोगों की मौत हो गई.
देश के विभिन्न हिस्सों में उपद्रवियों ने जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की, बस और रेल यातायात रोके रखा और आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया. बंद का काफी व्यापक असर रहा और करीब दर्जन भर राज्यों में बंद की मार देखने को मिली.
अपने साथ घटी घटना के बारे में राकेश सिन्हा ने ट्वीट कर बताया कि वह एक समाचार चैनल के गेट पर खड़े थे. तभी पुलिस की एक गाड़ी वहां आई और उन्हें हिरासत में ले लिया. पुलिस राकेश सिन्हा को अपनी गाड़ी में बिठाकर ले जाने लगी.
करीब 500 मीटर दूर जाने के बाद पुलिस ने माफी मांगते हुए यह कहकर छोड़ दिया कि पुलिस वालों को लगा कि वह दलित एक्टिविस्ट हैं. इस पर राकेश सिन्हा ने पुलिस वालों से यह अपील भी की है कि वे आम आदमी के मूल अधिकारों और उसकी मर्यादा का भी खयाल रखें.
आशुतोष कुमार मौर्य