कठुआ केस: दिल्ली HC ने गूगल, फेसबुक, ट्विटर को जारी किया नोटिस

दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरनेट दिग्गजों को यह नोटिस उनके प्लेटफॉर्म पर कठुआ रेप पीड़िता की पहचान उजागर होने के संबंध में दी है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

आशुतोष कुमार मौर्य

  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2018,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

कठुआ गैंगरेप एवं मर्डर केस में पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरनेट दिग्गजों गूगल, फेसबुक और ट्विटर को नोटिस जारी किया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरनेट दिग्गजों को यह नोटिस उनके प्लेटफॉर्म पर कठुआ रेप पीड़िता की पहचान उजागर होने के संबंध में दी है.

हालांकि इससे पहले कोर्ट द्वारा जारी किए गए नोटिस पर गूगल, फेसबुक और ट्विटर की भारतीय इकाइयों ने सफाई देते हुए कहा था कि वे कोर्ट की नोटिस का जवाब देने के लिए आधिकारिक फर्म नहीं हैं. इसके बाद हाईकोर्ट ने सीधे-सीधे तीनों कंपनियों के खिलाफ नोटिस जारी किया है. अब हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 29 मई को होनी है.

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उल्लेखनीय है कि भारतीय कानून के तहत स्थिति विशेष के अलावा यौन शोषण की शिकार पीड़िता की पहचान को उजागर करने वाला कोई भी तथ्य सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.

3 गवाहों ने पुलिस पर लगाया टॉर्चर का आरोप

इससे पहले केस से जुड़े तीन गवाहों ने पुलिस पर टॉर्चर का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि केस की सुनवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई जाए. तीनों गवाहों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तीनों गवाहों से उनके परिजनों की उपस्थिति में पूछताछ करने का आदेश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान गवाहों के रिश्तेदार उनसे इतनी दूरी पर रहें, जहां से वे उन्हें देख सकें. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चूंकि तीनों गवाह युवा छात्र हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा का भी खयाल रखा जाना चाहिए.

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जम्मू से पठानकोट ट्रांसफर हुआ केस

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अब इस मामले की सुनवाई पठानकोट कोर्ट में ट्रांसफर कर दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने केस को पठानकोट ट्रांसफर करने के साथ ही इस मामले पर रोजाना, फास्ट ट्रैक बेस पर बंद कमरे में सुनवाई के आदेश भी दिए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित पक्ष की सुरक्षा के मद्देनजर यह आदेश सुनाते हुए कहा था कि फीयर और फेयर ट्रायल एकसाथ नहीं हो सकते. सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा किसी भी उच्च न्यायालय द्वारा इस केस से सम्बन्धित मामलों में सुनवाई करने पर भी रोक लगा दी थी और जम्मू एवं कश्मीर सरकार को पीड़ितों एवं आरोपियों को पठानकोट लाने-ले जाने का खर्च भी वहन करने का आदेश दिया था.

गौरतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार इस केस की सुनवाई राज्य से बाहर नहीं चाहती थी. राज्य सरकार ने मामला की जांच कर रही राज्य की पुलिस की तारीफ करते हुए कोर्ट को भरोसा दिलाना चाहा था कि वो पीड़ित को फेयर ट्रायर दिलाएंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात नहीं मानी थी.

यह है पूरा मामला

जम्मू के कठुआ में इसी साल 10 जनवरी को 8 साल की मासूम बच्ची को अगवा कर कथित तौर पर एक मंदिर में उसे 3 दिन तक बंधक बनाकर रखा गया और इस दौरान एक पुलिसकर्मी सहित 8 लोगों ने उसके साथ रेप किया. फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान पीड़ित बच्ची को भांग और नशीली दवाओं का ओवरडोज देकर अचेत रखा गया.

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चार्जशीट के मुताबिक, पीड़िता की 13 जनवरी को गला घोंटकर हत्या कर दी गई और 16 जनवरी को पीड़िता का शव इलाके में ही लावारिस पड़ा पाया गया था. केस में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

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