एंटी-करप्शन ब्यूरो ने जम्मू-कश्मीर कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन मोहम्मद शफी डार को गिरफ्तार कर लिया है. मोहम्मद शफी डार को 223 करोड़ के बैंक लोन फ्रॉड मामले में गिरफ्तार किया गया है. मोहम्मद शफी डार पर जम्मू-कश्मीर कोऑपरेटिव बैंक से 223 करोड़ रुपये के लोन को गैरकानूनी ढंग से मंजूरी देने का आरोप है.
एंटी करप्शन ब्यूरो ने अपनी शुरुआती जांच में पाया कि मोहम्मद शफी डार ने फर्जीवाड़ा करके रीवर झेलम कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी के पक्ष में 223 करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी दी थी, जबकि हकीकत में रीवर झेलम कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी जैसी कोई कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी ही नहीं है.
बैंक लोन देते समय यह दिखाया गया कि रीवर झेलम कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर निवासी हिलाल अहमद मीर चलाता है. मोहम्मद शफी डार ने अधिकारियों और फायदा लेने वाले लोगों के साथ मिलकर इस बैंक लोन फ्रॉड को अंजाम दिया.
बताया जा रहा है कि जब लोन को मंजूरी दी गई, तब जरूरी औपचारिकताओं तक को पूरा नहीं किया गया और न ही तथाकथित रीवर झेलम कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी की डिटेल ली गई. इस काल्पनिक कोऑपरेटिव सोसाइटी की बैलेंस शीट, बिजनेस के फायदा व नुकसान की जानकारी, पैन नंबर, इनकम टैक्स रिटर्न, कंस्ट्रक्शन ऑफ द बोर्ड रिजॉल्यूशन्स की डिटेल समेत अन्य जानकारी को भी हासिल नहीं किया गया.
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इस मामले की शुरुआती जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि तथाकथित रीवर झेलम कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी के चेयरमैन ने एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज के सचिव को एक खत भेजा था, जिसमें जम्मू-कश्मीर कोऑपरेटिव बैंक को 300 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
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इस मामले की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि रीवर झेलम कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी का रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसाइटीज जम्मू-कश्मीर के पास पंजीकृत तक नहीं कराया गया है. साथ ही बैंक लोन के लिए फर्जी कागजात का इस्तेमाल किया गया था. जब एंटी करप्शन ब्यूरो ने मोहम्मद शफी डार के खिलाफ मामला दर्ज किया, तब से वह फरार चल रहा था.
सुनील जी भट्ट