दिल्ली की रहने वाली एक हाईप्रोफाइल फैमिली की विवाहित महिला ने अपनी ही खुदकुशी की झूठी कहानी रची, जिसका खुलासा मंगलवार को हुआ. महिला का कोमल तालान है और वह तीन दिन पहले गाजियाबाद के हिंडन बैराज के पास अपनी कार में सुसाइड नोट छोड़कर लापता हो गई थी, जिसे पुलिस ने मंगलवार को तलाश लिया.
अपने फर्जी सुसाइड नोट में कोमल तालान ने कहा था कि सुसराल वाले उसे प्रताड़ित करते हैं, इसलिए वह खुदकुशी करने का फैसला ले रही है. मामले की जांच में जुटी पुलिस ने मंगलवार को कोमल तालान को बेंगलुरु में खोजा. इसके बाद पुलिस के साथ कोमल के परिवार के सदस्य उसे घर वापस लेने बेंगलुरु पहुंचे.
वह अपने ससुराल वालों से परेशान थी, इसलिए हिंडन नदी के पास सुसाइड करने गई थी. लेकिन सुसाइड नहीं किया और वहां से अनजान राह पर निकल चली थी. कोमल का कहना है कि ससुराल वाले काफी परेशान करते थे. और अगर वह अपने मायके जाती तो मायके वाले उसे दोबारा ससुराल जाने के लिए कह सकते थे. इसलिए वह मायके भी नहीं गई. कोमल ने रोते हुए अपनी आपबीती कैमरे पर भी बताई.
उन्होंने बताया कि 'मैं अपने सास-ससुर की प्रताड़ना से तंग आ गई थी. मैं बेंगलुरु जाने के लिए कोई झूठ की साजिश नहीं रच रही थी. जैसे ही मैं यहां आई, मुझे एहसास हुआ कि मेरे माता-पिता ने 30 सालों तक मेरे लिए काम किया है, इसलिए मैंने घर छोड़ दिया. मुझे नहीं पता था कि मैं कहां जा रही थी.'
वहीं, इस मामले पर एसपी सिटी श्लोक कुमार का कहना है कि, 'हमें घटनास्थल से एक नोट मिला था, जिसमें लिखा था कि वह अपने सास-ससुर की वजह से जा रही है. हमें महिला के खुदकुशी करने का संदेह था, लेकिन उसका शव नहीं मिला. पहले महिला को जयपुर में ट्रेस किया गया लेकिन जब तक पुलिस उस तक पहुंची वह वहां से मुंबई के लिए निकल चुकी थी. इसके बाद जब पुलिस उसकी तलाश में मुंबई पहुंची तो वह वहां से भी निकल चुकी थी. आखिरकार पुलिस को महिला बेंगलुरु रेलवे स्टेशन पर मिल गई.’
गौरतलब है कि सुसाइड की झूठी कहानी गढ़ने वाली कोमल तालान ने गाजियाबाद की नहर के पुल पर अपनी कार को छोड़कर गायब हो गई थी. बाद में खबर फैली थी कि वो नहर में कूद गई. 3 दिन से गोताखोर नहर में तलाश रहे थे लेकिन लाश नहीं मिली. कोमल ने सुसाइड नोट भी छोड़ा था जिसमें उसने लिखा था कि वह सुसाइड कर रही है. कोमल ने यह सब इसलिए किया कि वह पति से परेशान थी इसलिए खुदकुशी की प्लानिंग रची जिससे पति पर कानूनी शिकंजा कस सके.
अरविंद ओझा