नीरज और तरुण गहरे दोस्त थे. साथ उठते-बैठते, खाते-पीते और जब गलत धंधे में फंसे तो वारदात भी साथ करते. दोनों ने मिलकर एक लूट की बड़ी वारदात को अंजाम दिया जिसमें नीरज गिरफ्तार हो गया. लेकिन उसने दोस्ती की कसम खाई और वारदात में तरुण के भी शामिल होने की बात का खुलासा नहीं किया.
उसे उम्मीद थी कि जब वह जेल में रहेगा तो तरुण उससे मिलने आएगा, उसको बाहर निकालने में मदद करेगा और पीछे से परिवार की भी मदद करेगा. लेकिन उसकी यह उम्मीद धूमिल हो गई और तरुण लूट के पैसे से ऐश करने लगा. वह नीरज से मिलने जेल नहीं जाता और उसके परिवार की कोई मदद भी नहीं की.
नीरज ने दोस्त को सबक सिखाने के लिए मन ही मन जेल में योजना बनाई और पैरोल लेने के प्रयास में लग गया. जैसे ही पैरोल मिला नीरज ने मौका देखकर तरुण के सीने में गोली उतार दी और तरुण की मौत हो गई.
डीसीपी द्वारका एंटो अल्फोंस ने बताया की इस हत्या के मामले में बाबा हरिदास नगर थाना में मामला दर्ज किया गया था और एसीपी ऑपरेशन राजेंद्र सिंह की देखरेख में इंस्पेक्टर नवीन कुमार की टीम को लगाया गया था. इस टीम ने 10 दिन की मेहनत के बाद इस ब्लाइंड मर्डर के मामले में नीरज उर्फ बंदिया को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस टीम ने वारदात में इस्तेमाल हथियार को भी बरामद कर लिया है.
पुलिस टीम ने आरोपी नीरज को उस समय गिरफ्तार किया जब वह नजफगढ़ के झड़ौदा नाला के पास से जा रहा था. नीरज मूल रूप से हरियाणा के झज्जर का रहने वाला है. यह फेसबुक पर पेज बनाकर उस पर गैंगस्टर का फोटो लगाता था. 26 फरवरी को नीरज बाहर आया और उसे 10 अप्रैल को सरेंडर करना था. लेकिन उसने मन ही मन सोच लिया था की तरुण को सबक सिखाना है और उसकी हत्या करनी है.
तनसीम हैदर