आसाराम को सजा वसुंधरा सरकार के लिए क्यों बन सकती है मुसीबत

प्रशासन को जिस स्तर पर सुरक्षा बंदोबस्त के निर्देश दिए गए हैं, उससे लगता है कि राज्य सरकार को पहले से ही कुछ आशंकाएं हैं. आखिर ऐसी क्या चीज है कि आसाराम पर आने वाले फैसले को लेकर वसुंधरा सरकार घबराई हुई है.

Advertisement
सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

आशुतोष कुमार मौर्य

  • जोधपुर,
  • 24 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 10:15 AM IST

करीब 4 साल से जोधपुर जेल में बंद आसाराम पर जोधपुर कोर्ट रेप के एक केस में बुधवार को फैसला सुनाएगी. इस फैसले को लेकर जोधपुर प्रशासन के हांथ-पांव फूले हुए हैं. साथ ही राज्य की वसुंधरा राजे सरकार की भी नींद उड़ी हुई है. प्रशासन को जिस स्तर पर सुरक्षा बंदोबस्त के निर्देश दिए गए हैं, उससे लगता है कि राज्य सरकार को पहले से ही कुछ आशंकाएं हैं. आखिर ऐसी क्या चीज है कि आसाराम पर आने वाले फैसले को लेकर वसुंधरा सरकार घबराई हुई है.

Advertisement

आसाराम के खिलाफ जोधपुर की स्पेशल एससी/एसटी कोर्ट में यह मामला चल रहा है. स्पेशल एससी/एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन मिश्रा ने 7 अप्रैल को मामले की सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुनाए जाने की तारीख तय होने के बाद राजस्थान सरकार ने बिना देरी किए हाई कोर्ट में अपील कर दी.

जेल के अंदर ही फैसला सुनाने की अपील

वसुंधरा सरकार ने 17 अप्रैल को राजस्थान हाईकोर्ट से अपील की कि आसाराम पर फैसला जोधपुर सेंट्रल जेल के अंदर ही कोर्ट बनाकर सुनाया जाए. दरअसल वसुंधरा सरकार को डर है कि आसाराम के खिलाफ फैसला आने की स्थिति में आसाराम के समर्थक राज्य में अराजक स्थिति न खड़ी कर दें.

आसाराम पर फैसले का काउंटडाउन शुरू

हाईकोर्ट से वसुंधरा सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव कुमार व्यास ने कहा भी था कि सरकार को आशंका है कि फैसले वाले दिन जोधपुर में आसाराम के समर्थक बड़ी संख्या में जुट सकते हैं.

Advertisement

अपनी अपील के पीछे वसुंधरा सरकार ने इंटेलिजेंस रिपोर्ट पेश की, जिसमें आशंका जताई गई थी कि अगर आसाराम के खिलाफ फैसला आता है तो आसाराम के समर्थक शहर में कानून व्यवस्था के सामने चुनौती खड़ी कर सकते हैं.  ऐसे में वसुंधरा राजे सरकार बिल्कुल नहीं चाहती कि राम रहीम के केस की तरह पंचकूला जैसी हिंसा राजस्थान में भी फैले.

इंटेलिजेंस रिपोर्ट में जताई गई यह आशंका

दरअसल इंटेलिजेंस एजेंसीज को ऐसी सूचनाएं मिली हैं कि अगर आसाराम के खिलाफ फैसला आता है तो उसके हजारों समर्थक उत्पात मचा सकते हैं. वसुंधरा सरकार ने हाईकोर्ट से कहा था, 'इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, इस बात की पूरी आशंका है कि जोधपुर में आम जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है एवं शांति व्यवस्था बिगड़ सकती है तथा आसाराम के समर्थक हिंसा कर सकते हैं और कानून व्यवस्था के सामने चुनौती खड़ी कर सकते हैं. इससे सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंच सकता है और जान-माल की हानि की भी आशंका है.'

हाईकोर्ट ने दिया जेल में ही फैसला सुनाने का निर्देश

वसुंधरा सरकार की अपील और इंटेलिजेंस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर एससी/एसटी कोर्ट को निर्देश दिया कि आसाराम मामले में फैसला जोधपुर सेंट्रल जेल के अंदर ही कोर्ट बनाकर सुनाया जाए, जहां आसाराम बंद है.

Advertisement

छूटेंगे आसाराम या होगी सजा

हाईकोर्ट ने साथ ही जोधपुर के पुलिस कमिश्नर को यह निर्देश भी दिया था कि वह ये सुनिश्चित करें कि आसाराम के समर्थक जोधपुर में किसी तरह की अराजक स्थिति न खड़ी करें.

आसाराम पर फैसला सुनाने वाले जज की भी सुरक्षा के निर्देश

हाईकोर्ट ने साथ ही आसाराम मामले में फैसला सुनाने एससी/एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा की सुरक्षा के लिए भी खास निर्देश दिए हैं. जोधपुर सेंट्रल जेल एडमिनिस्ट्रेशन और सुपरिंटेंडेंट को भी जेल के अंदर फैसला सुनाए जाने के लिए कोर्ट लगाने के निर्देश दिए गए हैं.

हाईकोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था 'ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आसाराम के समर्थक उपद्रव नहीं मचाएंगे या अराजक स्थिति पैदा नहीं करेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह न सिर्फ आम जन-जीवन के लिए परेशानी वाला साबित होगा, बल्कि कानून व्यवस्था बनाए रखने की भी चुनौती खड़ी हो सकती है.'

राजस्थान सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि इंटेलिजेंस एजेंसीज को ऐसी सूचनाएं मिली हैं कि फैसला सुनाए जाने वाले दिन जोधपुर में आसाराम के हजारों समर्थक देश के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित हो सकते हैं.

पंचकुला जैसी स्थिति नहीं चाहेंगी वसुंधरा

बता दें कि आसाराम की ही तरह अपनी दो शिष्याओं से रेप केस में फंसे गुरमीत राम रहीम को जब पंचकूला में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए सजा सुनाई तो राम रहीम के चेलों ने शहर भर में जमकर तांडव मचाया. राम रहीम के चेलों द्वारा की गई हिंसा और आगजनी के चलते अकेले पंचकूला में 36 लोगों की मौत हो गई और सार्वजनिक संपत्ति को भी जमकर नुकसान पहुंचाया. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, राम रहीम के चेलों द्वारा की गई हिंसा और उपद्रव में पंजाब और हरियाणा को संपत्ति और राजस्व का करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा था.

Advertisement

पीड़िता की जुबानी खौफ की दास्तां

पंचकूला हिंसा के चलते मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की BJP सरकार की भी जमकर आलोचना हुई थी. पंचकूला हिंसा में बाद में खुद राम रहीम और उसकी मुंहबेली बेटी हनीप्रीत सहित राम रहीम के कई नजदीकी चेलों की साजिश का भी पर्दाफाश हुआ, जिसके चलते अब पंचकूला हिंसा की ही सीबीआई से जांच करवाए जाने की मांग उठ खड़ी हुई है. ऐसे में वसुंधरा सरकार बिल्कुल नहीं चाहेगी कि ऐसी कोई भी स्थिति उनके सामने भी खड़ी हो.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement