दिल्ली पुलिस हेडक्वॉर्टर से कूदकर ACP ने दी जान, पुलिस मेडल से हुए थे सम्मानित

शुरुआती जानकारी के मुताबिक एसीपी प्रेम बल्लभ (53) ने आज सुबह दिल्ली पुलिस मुख्यालय से छलांग लगा दी. उनका शव मुख्यालय के मेन गेट के सामने पड़ा मिला. 

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एसीपी प्रेम बल्लभ. एसीपी प्रेम बल्लभ.

राहुल विश्वकर्मा / तनसीम हैदर

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST

दिल्ली पुलिस के एक एसीपी ने आज पुलिस मुख्यालय से छलांग लगाकर जान दे दी. शुरुआती जानकारी के मुताबिक एसीपी प्रेम बल्लभ (53) ने आज सुबह दिल्ली पुलिस मुख्यालय से छलांग लगा दी. उनका शव मुख्यालय के मेन गेट के सामने पड़ा मिला. उन्होंने ये आत्मघाती कदम क्यों उठाया, अभी इसकी जानकारी सामने नहीं आ सकी है. प्रेम बल्लभ दिल्ली पुलिस की अपराध एवं यातायात इकाई में तैनात थे. अभी तक दिल्ली पुलिस की ओर से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है.

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एसीपी राम बल्लभ शर्मा  मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले थे और दिल्ली  मौजपुर में परिवार के साथ रहते थे. उनके परिवार में मां-पत्नी और तीन बेटे हैं. तीनों बेटे नौकरी करते हैं. दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो राम बल्लभ पिछले 8 सालों से मानसिक परेशानी में रह रहे थे. कुछ साल पहले जब यह विशेष आयुक्त आरएस कृष्णन्हैया के साथ जुड़े हुए थे, तब मानसिक दबाव में आकर इन्होंने नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए भी पत्र लिख दिया था, लेकिन बाद में काफी समझा बुझाकर इन्हें सेवानिवृत्ति नहीं लेने के लिए मना लिया गया था.

प्रेम बल्लभ शर्मा के परिवार ने कहा कि वे रोज की तरह घर से ड्यूटी के लिए निकले थे. घर से निकलते वक्त बिल्कुल ठीक थे. वो किसी तरह के मानसिक दवाब में नही थे. हालांकि 2 महीने पहले वो GTB अस्तपताल में भर्ती हुए थे. उनका 28 दिनों तक डिप्रेशन का इलाज चला था. लेकिन अब उनको डॉक्टर्स ने मेडिकल फिट घोषित कर दिया था.

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दिल्ली के मौजपुर इलाके में रहने वाले प्रेम बल्लभ शर्मा ने 1986 में हेड कांस्टेबल के पद पर दिल्ली पुलिस को जॉइन किया था. 2 साल पहले उनको पद्दोन्ति मिली थी, जिसके बाद वो एसीपी बने थे. पिछले साल उन्हें उनकी अच्छी सर्विस के लिए पुलिस  मेडल भी मिला था.

फिलहाल पुलिस का कहना है कि उनको किसी तरह का सुसाइड नोट नहीं मिला है. उनकी बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया  है. अब पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.

बीते कुछ समय से पुलिस अधिकारियों के जान देने की कई खबरें आईं हैं. बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. इसी साल 29 मई को यूपी एटीएस में तैनात एक पीपीएस अधिकारी राजेश साहनी ने अपने कार्यालय में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.

इससे पहले 11 मई को मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आईपीएस हिमांशु रॉय ने खुदकुशी कर ली थी. उनके इस कदम ने पूरे देश को चौंका दिया था. 2015 में हिमांशु रॉय सहित कई ऑफिसर्स ने महाराष्ट्र गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर ट्रांसफर में पक्षपात और सीनियर ऑफसरों द्वारा खराब व्यवहार किए जाने की शिकायत की थी, जिसके बाद हिमांशु रॉय सहित शिकायत करने वाले अधिकारियों को दरकिनार कर दिया गया था.

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हिमांशु रॉय देश के उन कुछ चुनिंदा अफसरों में थे, जिन्हें z+ श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी. हिमांशु को यह सुरक्षा मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस और इंडियन मुजाहिदीन के चीफ यासीन भटकल और दाऊद इब्राहिम की संपत्तियों को जब्त करने के चलते मिली हुई. आतंकवाद से जुड़े इन मामलों की जांच के दौरान हिमांशु की जान को खतरा माना गया था.

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