चंद घंटों बाद भारत में होगा तहव्वुर राणा... जानें मोदी सरकार के वो 5 कदम, जिन्होंने अमेरिका से प्रत्यर्पण को बनाया संभव

Tahawwur Rana: मुंबई के 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा चंद घंटों में भारत में होगा. देश की आर्थिक राजधानी को आतंक के बारूद से थर्रा देने वाले इस आतंकी को अमेरिका से लाया जा रहा है. जांच एजेंसी एनआईए और खुफिया एजेंसी रॉ की एक जॉइंट टीम तहव्वुर राणा को लेकर स्पेशल फ्लाइट से रवाना हो चुकी है.

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मुंबई के 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा चंद घंटों में भारत में होगा. मुंबई के 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा चंद घंटों में भारत में होगा.

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 6:37 AM IST

मुंबई के 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा चंद घंटों में भारत में होगा. देश की आर्थिक राजधानी को आतंक के बारूद से थर्रा देने वाले इस आतंकी को अमेरिका से लाया जा रहा है. जांच एजेंसी एनआईए और खुफिया एजेंसी रॉ की एक जॉइंट टीम तहव्वुर राणा को लेकर स्पेशल फ्लाइट से रवाना हो चुकी है. गुरुवार दोपहर बाद उसको लेकर दिल्ली पहुंचने की पूरी संभावना है. भारत आने से पहले उसने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की थी. लेकिन उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की अर्जी अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी.

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तहव्वुर राणा ने भारत आने से बचने के लिए एक याचिका दायर की थी. उसने अपनी याचिका में खुद को पार्किंसन बीमारी से पीड़ित बताते हुए कहा था कि यदि भारत डिपोर्ट किया गया तो उसे प्रताड़ित किया जा सकता है. लेकिन उसकी हर चाल फेल हुई. भारत की कूटनीति के चलते मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड अब अपने गुनाहों का हिसाब देने आ रहा है. ऐसे में आइए मोदी सरकार के उन 5 कदमों के बारे में जानते हैं, जिसकी वजह से अमेरिका ने उसको भारत के हवाले कर दिया.

1- साल 2011 में भारत की जांच एजेंसी एनआईए ने तहव्वुर राणा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

2- भारत ने 4 दिसंबर 2019 को पहली बार डिप्लोमैटिक चैनल्स से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की थी 

3- 10 जून 2020 को तहव्वुर राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग की गई थी.

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4- फरवरी 2021 में भारत ने आधिकारिक तौर पर प्रत्यर्पण की मांग करते हुए अमेरिकी न्याय विभाग को नोट भेजा था.
 
5- 22 जून 2021 को अमेरिका की संघीय अदालत में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को लेकर सुनवाई के दौरान भारत ने सबूत पेश किए थे.

मुंबई आतंकवादी हमलों में मारे गए थे 175 लोग

26 नवंबर 2008 ये वो तारीख है, जिसे मुंबई और पूरा देश, जिंदगी भर नहीं भूल सकता है. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई पर खौफनाक हमले किए. ताज होटल से लेकर होटल ट्राइडेंट तक, नरीमन हाउस से लेकर सीएसटी रेलवे स्टेशन तक आतंकी अजमल कसाब समेत 10 आतंकियों ने मुंबई के लहूलुहान कर दिया. कई जांबाज अफसर शहीद हो गए. ये हमले चार दिनों तक चले. इन हमलों में कुल 175 लोग मारे गए, जिनमें 9 हमलावर भी शामिल थे. 300 से ज़्यादा लोग घायल हुए.

राष्ट्रपति ट्रंप ने राणा को सौंपने का किया ऐलान

आतंकी अजमल कसाब को तो फांसी पर चढ़ा दिया गया. अब पाकिस्तान के आतंकी लश्कर-ए-तैयबा और उसके खास अमेरिका मूल के आतंकी रिचर्ड कोलमैन हेडली के साथ मुंबई हमलों की साज़िश रचने वाले तहव्वुर राणा अब 17 साल बाद भारत आ रहा है. ये फैसला भारत की मोदी सरकार के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत है. 14 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राष्ट्रपति ट्रंप ने तव्वुर राणा को भारत को सौंपने का ऐलान किया था. इसके बाद से उसके डिपोर्ट करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही थी.

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हेडली की गवाही पर राणा को 14 साल की सजा

अमेरिका के शिकागो में अक्टूबर 2009 में एफबीआई ने ओ'हेयर एयरपोर्ट से तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया था. हेडली की गवाही के आधार पर उसको 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. हेडली ने इमिग्रेशन कंसल्टेंसी के जरिए भारत घूमना और उन लोकेशन को ढूंढना शुरू किया, जहां लश्कर-ए-तैयबा आतंकी हमला कर सकता था. उसने मुंबई में ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस की रेकी की थी. अमेरिका की गिरफ्त में आए हेडली से पूछताछ हुई तो उसने राणा को लेकर कई खुलासे किए.

2011 में राणा के खिलाफ दायर हुई पहली चार्जशीट

64 साल का तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है. उसको पता था कि हेडली लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर काम कर रहा है. हेडली की मदद करके और उसे आर्थिक मदद पहुंचाकर तहव्वुर आतंकी संस्था और उसके साथ आतंकियों को भी सपोर्ट कर रहा था. उसको जानकारी थी कि हेडली किससे मिल रहा है, क्या बात कर रहा है. उसे हमले की प्लानिंग और कुछ टारगेट्स के नाम भी पता थे. एनआईए ने तहव्वुर राणा के खिलाफ पहली चार्जशीट साल 2011 में दायर की थी.

यूपीए सरकार में राणा के प्रत्यर्पण की नहीं हुई पहल

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उस वक्त केंद्र में यूपीए की सरकार थी. साल 2008 में 26/11 का हमला भी उसी कार्यकाल में ही हुआ था. ये जिम्मेदारी उस वक्त की सरकार की थी कि वो तहव्वुर राणा को अमेरिका से घसीट कर भारत की अदालत में लेकर आए और उसे यहां फांसी की सजा दिलाए, लेकिन तक सरकार में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए एक डिप्लोमेटिक नोट तक जारी नहीं हुआ. कांग्रेस कहती है कि वो तहव्वुर राणा को भारत लाने का प्रयास उसी दिन से कर रही थी, जब हमले के तीन साल बाद 2011 में एनआईए ने अपनी चार्जशीट दायर की थी.

बराक ओबामा ने अपनी किताब में किया ये खुलासा

हालांकि, सच्चाई ये है कि इस प्रत्यर्पण के लिए उस वक्त की सरकार में एक ज़िद नहीं थी. सरकार के अंदर ये ज़िद होनी चाहिए थी कि जिस आतंकवादी ने भारत के 166 लोगों की बेरहमी से हत्या कराई, जिसने इतने बड़े देश को चार दिनों तक दहशत में रखा और जिसने भारत की रक्षा और सम्प्रभुता को चुनौती दी, वो आतंकवादी इस देश के लोगों के सामने घुटनों पर होना चाहिए. इस बात को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी महसूस किया था. उन्होंने अपनी एक किताब 'ए प्रॉमिस लैंड' में भी इसका ज़िक्र किया था.

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कार्रवाई से बचते रहे

इसमें उन्होंने बताया है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह मुंबई के 26/11 हमलों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे थे. वो इस बात को लेकर चिंतित थे कि इससे देश में मुस्लिम-विरोधी भावना बढ़ रही हैं, जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता है. इस हमले के बाद वो और मुखर हो सकती हैं. सोचिए जब हमें दुश्मनों से बदला लेना था, तब भी हम हिन्दू-मुसलमान की राजनीति में उलझे हुए थे. तहव्वुर राणा कोई मामूली आतंकवादी नहीं है. यदि वो नहीं होता तो शायद मुम्बई पर 26/11 का आतंकवादी हमला भी नहीं होता.

पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर था आतंकी तहव्वुर राणा 

तहव्वुर राणा पाकिस्तान की सेना का एक डॉक्टर था. साल 1997 में वो अपनी पत्नी के साथ पाकिस्तान छोड़कर कनाडा आ गया था. इसके 4 साल बाद साल 2001 में उसे कनाडा की नागरिकता मिल गई थी. इस वक्त तक हेडली और तहव्वुर राणा के बीच ज्यादा बात नहीं होती थी. ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद ने जब हेडली को भारत पर आतंकवादी हमला कराने के लिए चुना, तब उसका असली नाम दाऊद गिलानी था. उसने अपना नाम लोगों की नजर में आने से बचने के लिए बदला था.

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हाफिज सईद ने रची मुंबई में आतंकी हमले की साजिश

हाफिज सईद का मानना था कि यदि अमेरिकी मूल का दाऊद गिलानी अपना नाम डेविड कोलमैन हेडली रख लेगा और भारत जाकर आतंकवादी हमला करने की योजना बनाएगा तो उस पर किसी को शक नहीं होगा. ये बात 20 साल पुरानी है, जब 2005 में हेडली को भारत पर हमला करने के लिए लश्कर ने ट्रेनिंग दी थी. डेविड हेडली भारत पर हमला करने के लिए यहां आकर रेकी करना चाहता था. उसे डर था कि यदि वो रेकी के लिए कई बार भारत आया तो उस सुरक्षा एजेंसियों को शक होगा. ऐसे में उसने तहव्वुर राणा से संपर्क किया.

तहव्वुर राणा की मदद से हेडली ने मुंबई में की थी रेकी

साल 2006 में उसने तहव्वुर राणा से मुलाकात करके उसे भारत पर लश्कर के साथ आतंकवादी हमला करने की अपनी खतरनाक योजना के बारे में बताया. उससे ये कहा कि यदि तहव्वुर राणा मुंबई में अपनी कंपनी का एक ऑफिस खोलता है और उसका एजेंट हेडली को बनाता है तो रेकी के लिए वो आसानी से भारत आ-जा सकेगा. उस पर किसी को शक नहीं होगा. इसके बाद तहव्वुर राणा इस साजिश में शामिल हो गया. उसने मुंबई में अलग-अलग जगहों पर रेकी करने में डेविड हेडली की मदद की थी. इसके आतंकी हमला हुआ था.

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