कहते हैं काठ की हांडी बार-बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती. सुशांत केस को लेकर झूठ फैलाने वालों का अब यही हाल है. वो लोग बगैर किसी सबूत के सिर्फ सुनी-सुनाई बातों और सोशल मीडिया पर फैलाए गए झूठ के जाल में फंस गए. उसी को सच मानकर उन लोगों ने सुशांत की मौत को कत्ल साबित करने की कोशिश की, लेकिन अब उनकी पोल खुल गई है. सीबीआई से लेकर एम्स के सात-सात फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने अपनी तफ्तीश के बाद पूरे विश्वास के साथ दो टूक कह दिया है कि सुशांत ने खुदकुशी ही की थी. उनका कत्ल नहीं हुआ.
20 अगस्त को सीबीआई की टीम मुंबई पहुंचती है. 21 अगस्त को सीबीआई एम्स फॉरेंसिक के हेड डॉ सुधीर गुप्ता को एक पत्र लिखती है. डॉ सुधीर गुप्ता से सुशांत की मौत की फॉरेंसिक जांच में मदद के लिए कहती है. सीबीआई की दरख्वास्त पर 22 अगस्त को एम्स फॉरेंसिक टीम की एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाता है. इस टीम में फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के सात सबसे सीनियर डॉक्टरों को शामिल किया जाता है, जिसके हेड डॉ सुधीर गुप्ता होते हैं.
एम्स मेडिकल बोर्ड के गठन के एक हफ्ते के बाद यानी अगस्त के आखिरी हफ्ते में पहली बार एम्स मेडिकल बोर्ड को सीबीआई सुशांत की मौत से जुड़े तमाम फॉरेंसिक दस्तावेज सौंपती है, जिनमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट, विसरा रिपोर्ट, पोस्टमार्टम की वीडियोगाफ्री और तमाम तस्वीरें शामिल हैं.
एम्स देश की प्रीमियम इंस्टीट्यूट में से एक है और इसका फॉरेंसिक डिपार्टमेंट हर जांच एजेंसी की नजर में सबसे एडवांस्ड और विश्वसानीय है. अगस्त के आखिरी हफ्ते में सीबीआई से सारे दास्तावेज मिलने के बाद एम्स की मेडिकल बोर्ड गहराई से उसका अध्ययन करती है. ये पहली बार था जब मेडिकल बोर्ड के सामने सारे फॉरेंसिक सबूत, वीडियो और तस्वीरें थीं. आधिकारिक तौर पर ये कहानी का एक पहलू है.
अब आगे बढ़ें उससे पहले आइए एम्स की रिपोर्ट पर कुछ लोग जो ऊंगलियां उठा रहे हैं, उसे समझते हैं. डॉ सुधीर गुप्ता ने 22 अगस्त को एक रिपोर्टर से बात की. उस बातचीत में उन्होंने सुशांत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सीन ऑफ क्राइम को लेकर कुछ शक और सवाल उठाए. इससे ठीक एक दिन पहले यानी 21 अगस्त को डॉ सुधीर गुप्ता को मेडिकल बोर्ड बनाने के लिए सीबीआई से पत्र से आया था और फिर सुशांत की मौत से जुड़े सारे दास्तावेज और सबूत सीबीआई ने अगस्त के आखिरी हफ्ते में सौंपा. यानी इससे साफ है कि सुधीर गुप्ता ने 22 अगस्त जो कुछ कहा वो सोशल मीडिया या मीडिया पर मौजूद तस्वीरों, कहानियों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधे अधूरे सच पर ही था.
जबकि अगस्त के आखिरी हफ्ते में सीबीआई से मिले दस्तावेज के अध्ययन के बाद उसकी जांच करने एम्स मेडिकल बोर्ड की टीम सितंबर के दूसरे हफ्ते में पहली बार मुंबई पहुंची. पर डॉ सुधीर गुप्ता की अगुवाई वाली मेडिकल बोर्ड की सात सदस्यीय टीम के साथ खुद डॉ गुप्ता मुंबई नहीं गए. जब मुंबई में मेडिकल बोर्ड की टीम ने सुशांत के पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों से पूछताछ की या फिर विसरा की जांच करने वाले कलीना फॉरेंसिक लैब डॉक्टरों से बातचीत की. तब भी डॉ सुधीर गुप्ता वहां मौजूद नहीं थे.
एम्स मेडिकल बोर्ड अपनी जांच पूरी कर जब दिल्ली वापस लौटी और पिछले सोमवार को जब उसने सीबीआई की एसआईटी के साथ अपनी रिपोर्ट साझा की, तब भी डॉ सुधीर गुप्ता वहां मौजूद नहीं थे. यानी वो सात सदस्यीय मेडिकल बोर्ड के हेड तो थे लेकिन उनका रोल सीमित था. वो बोर्ड के क्रिया कलाप का ऑब्जर्वेशन करते रहे. इससे मेडिकल बोर्ड ने पूरी तफ्तीश के बाद अपनी जो आखिरी रिपोर्ट सीबीआई की एसआईटी को सौंपी. उसमें मेडिकल बोर्ड में शामिल सातों डॉक्टरों ने एक राय से ये कहा है कि सुशांत की मौत खुदकुशी है और सिर्फ खुदकुशी.
शम्स ताहिर खान / मुनीष पांडे