हनीट्रैप में फंसकर सेना की जानकारी भेज रहा था रेलवे डाककर्मी, गिरफ्तार

मामले में भारतीय आधिकारिक गुप्त अधिनियम, 1923 के तहत संदिग्ध पर मामला दर्ज किया गया है और प्राथमिकी दर्ज की गई है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

शरत कुमार / अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:28 AM IST
  • आईएसआई महिला एजेंट के कॉन्टेक्ट में था आरोपी
  • सेना से जुड़ी जानकारी भेजी

जयपुर के मिलिट्री इंटेलिजेंस, दक्षिणी कमान और स्टेट इंटेलिजेंस द्वारा एक संयुक्त अभियान में गुरुवार को भरत गोदारा नाम के एक व्यक्ति को जासूसी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. संदिग्ध पाकिस्तान स्थित आईएसआई महिला एजेंट के साथ सक्रिय संचार में था और रक्षा संबंधी आधिकारिक पत्रों की तस्वीरें हाई क्लिक करके जानकारी दे रहा था.

संयुक्त पूछताछ केन्द्र जयपुर पर एजेंसियों द्वारा की जा रही पूछताछ में आरोपी भरत बावरी ने बताया कि वह मूलतः गांव- खेडापा, जिला- जोधपुर का रहने वाला है तथा 3 वर्ष पूर्व ही एमटीएस परीक्षा के तहत रेलवे डाक सेवा के जयपुर स्थित कार्यालय में आया था. यहां वह आने जाने वाली डाक की छंटनी करने का कार्य करता था.

महानिदेशक पुलिस इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा ने बताया कि आरोपी, पाकिस्तानी गुप्तचर एजेन्सी की महिला एजेन्ट के हनीट्रैप में फंसकर भारतीय सेना के सामरिक महत्व के गोपनीय दस्तावेजों की फोटों खींचकर व्हाट्सऐप द्वारा पाकिस्तानी हैण्डलर को भेज रहा था.

लगभग 4-5 माह पूर्व उसके मोबाइल के फेसबुक मैसेंजर पर महिला का मैसेज आया. कुछ दिनों बाद दोनों व्हाट्सऐप पर वॉइस कॉल व वीडियो कॉल से बात करने लगे. महिला ने पोर्ट ब्लेयर में नर्सिंग के बाद एमबीबीएस की तैयारी करने की बात कही. अपने किसी रिश्तेदार का जयपुर स्थित किसी अच्छी सी आर्मी यूनिट में स्थानान्तरण के बहाने आरोपी से धीरे-धीरे आर्मी के सम्बन्ध में आने वाले डाक के फोटो मंगवाना शुरू कर दिया. बाद में पाक महिला एजेन्ट ने आरोपी से जयपुर आकर मिलने व साथ घूमने एवं उसके साथ रुकने का झांसा देकर फोटो भेजना शुरू कर दिया . 

आरोपी ने पूछताछ में यह भी बताया है कि उक्त महिला मित्र के चाहने पर अपनी स्वयं के नाम पर एक सिम के मोबाइल नम्बर और व्हाट्सऐप के लिए ओटीपी भी शेयर कर दिये ताकि उक्त भारतीय नम्बर में पाक महिला एजेन्ट अन्य नाम से उपयोग कर अन्य लोगों तथा आर्मी के जवानों को अपना शिकार बना सकें.

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मामले में भारतीय आधिकारिक गुप्त अधिनियम, 1923 के तहत संदिग्ध पर मामला दर्ज किया गया है और प्राथमिकी दर्ज की गई है.

 


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