पत्थरों से बनी कब्र, बाहर निकले पांव और खूनी साजिश... दहला देगी सृजन साहू मर्डर केस की पूरी कहानी

घने जंगलों में 13 घंटे की तलाश के बाद पुलिस को पत्थरों के नीचे दबी सृजन साहू की लाश मिली. गुमशुदगी से शुरू हुई यह मर्डर मिस्ट्री तब खुली जब चचेरी साली निधि और उसके दो साथियों ने इस खौफनाक वारदात को अंजाम देने की कहानी पुलिस के सामने बयां की.

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सृजन साहू की मौत के खुलासे ने सबको हैरान कर दिया (फोटो-ITG) सृजन साहू की मौत के खुलासे ने सबको हैरान कर दिया (फोटो-ITG)

aajtak.in

  • नरसिंहपुर,
  • 22 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:14 AM IST

Srijan Sahu Murder Case: घने जंगलों में दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक एक बड़ा सर्च ऑपरेशन चल रहा था. पुलिस खोजी कुत्तों की मदद से जंगल का कोना-कोना छान रही थी. और करीब 13 घंटे की मशक्कत के बाद अंधेरे में कुछ पत्थरों के नीचे दबे दो इंसानी पांव नजर आए. यकीन मानिए जब पहली बार पुलिस वालों की नजर इस मंजर पर गई तो उनके भी रौंगटे खड़े हो गए. उन्हें भी अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ. 

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लोगों ने अब तक ड्रम से लेकर सूटकेस और गठ्ठर से लेकर संदूक तक में न जाने कहां-कहां लाशें देखी थीं, लेकिन ये शायद पहला मौका था जब पत्थर के नीचे किसी लाश कुछ ऐसे दफ्न किया गया था कि उसके दोनों पांव बाहर नजर आ रहे थे. मगर सवाल ये था कि आखिर ये लाश किसकी थी? उस शख्स का कत्ल किसने किया था? और कत्ल के बाद लाश को इस अजीबोगरीब तरीके से ठिकाने क्यों लगाया? तो आइए आपको इस हैरान करने वाली मर्डर मिस्ट्री का एक-एक सच अब सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं, जिसकी शुरुआत एक शख्स की गुमशुदगी के साथ होती है. 

25 अक्टूबर 2025, नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
उस दिन नरसिंहपुर का रहने वाला 35 साल का सृजन साहू अचानक अपने घर से रहस्यमयी ढंग से गायब हो गया. इस रोज दोपहर को वो किसी काम से बाहर जाने की बात कह कर घर से निकला था, लेकिन इसके बाद ना तो वो घर लौटा और ना ही उसका मोबाइल फोन लग रहा था. ऐसे में घर वालों ने अगले दिन यानी 26 अक्टूबर को शहर के मंगवानी थाने में सृजन की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई. मोबाइल फोन के इस जमाने में कोई अचानक ऐसे गायब हो जाए, ऐसा आम तौर पर होता नहीं है. 

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इसलिए मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस ने सृजन के फोन की लास्ट लोकेशन की मदद से उसकी तलाश चालू की. इस सिलसिले में गुमशुदगी से पहले उसका फोन शहर के पास ही नेशनल हाई-वे नंबर 44 पर मौजूद एक रेस्टोरेंट के करीब नजर आया. अब पुलिस ने रेस्टोरेंट और आस-पास के मकानों और दुकानों का सीसीटीवी फुटेज खंगाला और इस कोशिश में उसे सृजन की गुमशुदगी के मामले में पहला कंक्रीट क्लू मिला. 

असल में इस फुटेज में सृजन के साथ एक लड़की समेत दो और लोग नजर आ रहे थे. चौंकाने वाली बात ये थी कि लड़का और लड़की दोनों ने अपने चेहरे पर कपड़ा बांध रखा था, जो अपने आप में एक शक पैदा करने वाली बात थी. यहीं से पुलिस को पता चला कि सृजन उस संदिग्ध लड़की के अलावा दो और लोगों के साथ एक मारुति स्विफ्ट डिजायर कार से वहां से निकला है. लेकिन उनकी मंजिल कहां थी और इसके बाद सृजन कहां चला गया, ये अभी एक राज़ था. इस केस में तफ्तीश में लगी पुलिस की कई टीमें अब अलग-अलग कामों में जुटी हुई थी.

एक टीम ने मोबाइल फोन की सीडीआर के सहारे सृजन और उसके साथ नजर आ रहे लोगों की लोकेशन ट्रैक करने की शुरुआत की, जबकि एक टीम सृजन के साथ दिख रहे बाकी के लोगों की पहचान में जुट गई. और जल्द ही पुलिस को इन कामों में कामयाबी मिली. सृजन और उसके साथ मौजूद बाकी लोगों की लोकेशन शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर मंगवानी के जंगलों में मिली, लेकिन सृजन का मोबाइल फोन जंगल के करीब पहुंच कर रहस्यमयी तरीके से रडार से बाहर हो गया. यानी शायद स्विच्ड ऑफ हो गया. 

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उधर, सीसीटीवी फुटेज के सहारे अब पुलिस सृजन के साथ दिख रही लड़की समेत दो लोगों की पहचान पता कर चुकी थी. ये लड़की कोई और नहीं बल्कि सृजन ही चचेरी साली निधि साहू थी, जबकि साथ दिख रहे एक और लड़के का नाम साहिल था. और यहीं से एक भयानक मर्डर मिस्ट्री का सही मायने में खुलासा होना शुरू हुआ. सवाल ये था कि आखिर अपनी चचेरी साली के साथ दिख रहा सृजन ऐसे कैसे गायब हो गया कि अब तीन दिन गुजरने के बावजूद उसका कोई पता नहीं था?

अब पुलिस ने निधि के साथ-साथ साहिल को भी हिरासत में ले लिया और सृजन की गुमशुदगी को लेकर सवाल जवाब शुरू कर दिए. पहले दोनों ने पुलिस को खूब घुमाया लेकिन फिर कबूल कर लिया कि उन्होंने सृजन की हत्या कर लाश उसी मंगवानी के जंगलों में ठिकाने लगा दी है, जहां उनकी लाश लोकेशन नजर आ रही थी. अब पुलिस जल्द से जल्द लाश बरामद करना चाहती थी, लेकिन कातिल इतने शातिर थे कि वो लाश को ठिकाने लगाने की सही जगह तक पहुंचाने के बदले पुलिस को जंगल में ही गोल-गोल घुमाते रहे. 

और तब पुलिस ने डॉग स्क्वायड से लेकर भारी भरकम लवाजमे के साथ लाश की तलाश चालू की. घने जंगलों में बारिश के बीच ये सर्च ऑपरेशन शाम करीब 5 बजे शुरू हुआ और अगले दिन सुबह करीब 6 बजकर 30 मिनट पर पुलिस को वो जगह दिखाई पड़ी, जहां कातिलों ने सृजन की लाश दफ्नाई थी. ये एक अजीब मंजर था. कुछ-कुछ क़ब्र जैसा. लेकिन फर्क बस इतना था कि ये कब्र मिट्टी की नहीं, बल्कि पत्थरों की थी और पत्थरों के नीचे से लाश के पांव नजर आ रहे थे.

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इस तरह करीब 13 घंटे के सर्च ऑपरेशन के बाद पुलिस ने चार दिनों से गायब शख्स की लाश तो बरामद कर ली, लेकिन अभी वो असली सच जानना बाकी था, जिसके चलते एक लड़की ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर अपने ही जीजा को मौत के घाट उतार दिया. तो पूछताछ में वो सच्चाई भी सामने आ गई.

दरअसल, सृजन और निधि शादी के पहले से ही एक दूसरे को जानते थे और रिलेशन में थे. लेकिन घर वालों के कहे मुताबिक सृजन ने जहां निधि की चचेरी बहन से शादी कर ली, वहीं निधि की शादी कहीं और हो गई. लेकिन जुर्म की बुनियाद तब पड़ी, जब सृजन ने शादी के बाद भी निधि से रिश्ता जारी रखने की कोशिश की और उसकी प्राइवेट तस्वीरों की मदद से उसे ब्लैकमेल करना चालू कर दिया. 

सृजन अब भी निधि को खुद से मिलने के लिए बुलाता था और नहीं आने पर ये धमकी देता था कि वो इन तस्वीरों को सोशल मीडिया में डाल देगा या फिर उसके पति को भेज देगा. जिससे निधि घबरा गई और करीब 20 से 25 दिन पहले उसने इस कत्ल की पूरी प्लानिंग रचनी शुरू कर दी. उसने सृजन के कत्ल के लिए अपने जानकार दो लड़कों से बात की. एक साहिल से और दूसरा एक नाबालिग से. दोनों ने 50 हजार रुपये के एवज में सृजन का कत्ल करने पर हामी भर ली. 

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निधि ने कत्ल के लिए पहले ही दो चाकू खरीद कर रख लिए थे. उसने अपने कान के टॉप्स गिरवी रख कर पैसे इकट्ठा किए और एडवांस के तौर पर साहिल को पहले 10 हजार रुपये दिए. और इसके बाद प्लानिंग के तहत 25 अक्टूबर को सृजन को मिलने के लिए बुला लिया. जहां निधि ने अपने साथ दो किराये के कातिलों को भी बुला रखा था. यहां मिलने के बाद चारों सृजन की स्विफ्ट डिजायर कार से ही घूमने के बहाने मंगवानी के जंगलों की तरफ निकल पड़े.

उन्होंने बहाना बनाया कि उन्हें उसी इलाके से एक और जानकार को भी पिक करना है. लेकिन मौका मिलते ही सुनसान जंगल के बीच पहले निधि ने चाकू से सृजन के गले पर वार कर दिया और फिर जैसे ही उसकी हालत बिगड़ी साहिल और नाबालिग कातिल ने भी सृजन पर चाकू बरसाने शुरू कर दिए. और इस तरह चंद मिनटों में ही उन्होंने सृजन को मौत के घाट उतार दिया.

अब लाश को ठिकाने लगाने की बड़ी चुनौती थी. तो ऐसे में तीनों ने घने जंगलों में लाश ठिकाने लगाने का फैसला किया, लेकिन सबूत मिटाने के इरादे से वो लाश को दफनाना चाहते थे. लेकिन चूंकि हाथों-हाथ इतना बड़ा गड्ढा करना मुमकिन नहीं था, तो उन्होंने लाश को पत्थरों के नीचे ही दफनाने का फैसला किया. और कुछ इस तरह उसे ठिकाने लगा दिया कि पूरी की पूरी लाश पत्थरों के नीचे तो छुप गई, लेकिन उसके पांव बाहर झांकते नजर आ रहे थे. और आखिरकार उन्हीं झांकते पावों ने पुलिस को इस लाश का पता दे दिया. और कातिल सलाखों के पीछे जा पहुंचे.

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(नरसिंहपुर से अनुज मामर और भोपाल से रवीशपाल सिंह का इनपुट)

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