इशरत जहां एनकाउंटर केस में CBI कोर्ट से तीन पुलिस अधिकारी बरी

इशरत जहां एनकाउंटर केस में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के तीन अधिकारी गिरिश सिंघल, तरुण बारोट और अंजु चौधरी को सभी आरोपों से बरी कर दिया है.

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इशरत जहां एनकाउंटर केस (File Photo) इशरत जहां एनकाउंटर केस (File Photo)

गोपी घांघर

  • अहमदाबाद,
  • 31 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 6:29 PM IST
  • विवादित अधिकारी रहे हैं तरुण बारोट
  • बरी होने पर तीनों आरोपियों को मिली राहत

इशरत जहां एनकाउंटर केस में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के तीन अधिकारी गिरिश सिंघल, तरुण बारोट और अंजु चौधरी को सभी आरोपों से बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इशरत जहां, लश्कर ए तैयबा की आंतकी थी, इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता, इसलिए तीनों अधिकारियों को निर्दोष बताते हुए बरी किया जाता है.

गुजरात के चर्चित इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने क्राइम ब्रांच के तीन आरोपी अधिकारियों को बरी कर दिया है. इन अधिकारियों में तरुण बारोट, गिरिश सिंघल और अंजु चौधरी शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इशरत जहां, लश्कर-ए-तैयबा की आंतकी थी, इस बात को नकारा नहीं जा सकता. ऐसे में कोर्ट तीनों आरोपी अधिकारियों को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया. 

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उधर, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू आज़मी ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो पहले दिन से ही इस मामले से जुड़े हैं. यह सब एक मनगढ़ंत मामला है. पुलिस ने इशरत का फर्जी एनकाउंटर किया था. 
 
आज़मी कहते हैं कि वो उस गांव के लोगों से मिले थे, जहां ये वारदात हुई थी. गांववालों ने बताया था कि पुलिस ने अक्सर उस जगह पर मुठभेड़ करती थी. साथ ही अदालत के बारे में टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा आदेश के बारे में सभी को पता है.

बताते चलें कि गुजरात के इस चर्चित केस में दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तरुण बारोट और एनके अमीन को 2017 में कोर्ट के आदेश पर अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. यहां तक कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों की नियुक्ती पर गुजरात सरकार से जवाब भी तलब किया था, जिसके बाद इन अधिकारियों ने कोर्ट में हलफनामा देकर पद से इस्तीफा देने की सूचना दी थी.

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उस वक्त गुजरात सरकार अमीन पर इतनी मेहरबान थी कि रिटायरमेंट के बाद फिर से उन्हें एसपी बना दिया था. सोहराबुद्दीन और इशरत जहां के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में वो मुकदमे का सामना पहले से कर रहे थे. वहीं बारोट को भी रिटायरमेंट के एक साल बाद अक्टूबर 2016 में वडोदरा में पश्चिमी रेलवे के पुलिस उपाधीक्षक पद पर नियुक्त किया गया था. बारोट भी इशरत जहां और सादिक जमाल मुठभेड़ मामलों में आरोपी थे. 

अमीन आठ साल न्यायिक हिरासत में रहे थे जबकि बारोट भी तीन साल न्यायिक हिरासत में रहे. तरुण बारोट इससे पहले भी अपहरण और हत्या के मामलों में आरोपी रह चुके हैं, आरोप पत्र में उनका नाम भी आया था. इन मामलों में उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी. 

 

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