Codeine cough Syrup Smuggling: कोडीन मिक्स कफ सिरप तस्करी मामले में शातिर आरोपियों शुभम जायसवाल और विकास सिंह नर्वे के खिलाफ गैर जमानती वारंट (NBW) जारी कर दिया गया है. राजधानी लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में इस मामले की FIR दर्ज की गई थी. जांच के दौरान दोनों आरोपियों के नाम सामने आए, जिसके बाद कोर्ट से NBW हासिल किया गया. पुलिस के मुताबिक, दोनों आरोपी लंबे समय से फरार चल रहे हैं. NBW जारी होने के बाद उनकी तलाश तेज कर दी गई है. इस कार्रवाई से पूरे सिंडिकेट में हड़कंप मच गया है.
विकास सिंह नर्वे निकला बड़ा खिलाड़ी
जांच में आजमगढ़ निवासी विकास सिंह नर्वे इस तस्करी रैकेट का बड़ा खिलाड़ी बनकर सामने आया है. विकास ने कुल 27 फर्जी फर्म खोल रखी थीं. इन्हीं फर्मों की आड़ में कोडीन मिक्स कफ सिरप की बड़े पैमाने पर तस्करी की जा रही थी. जैसे ही मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल फरार हुआ, विकास सिंह नर्वे भी भूमिगत हो गया. पुलिस का मानना है कि फर्जी कागजात और कंपनियों के जरिए सप्लाई चेन को छिपाया गया।
शुभम के पिता की गिरफ्तारी
कोडीन कफ सिरप सिंडिकेट के मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद जायसवाल को कोलकाता एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया है. वह थाईलैंड भागने की फिराक में था. जांच में सामने आया कि झारखंड में रजिस्टर्ड कंपनी ‘शैली ट्रेडर्स’ का इस्तेमाल तस्करी के लिए किया जा रहा था. गिरफ्तारी के बाद भोला प्रसाद और उसकी फर्म पर एक और FIR दर्ज की गई है. यह गिरफ्तारी इस केस में अहम मानी जा रही है.
कई जिलों में नई FIR
भोला प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद सोनभद्र पुलिस ने रॉबर्ट्सगंज में शैली ट्रेडर्स समेत दो अन्य फर्मों पर FIR दर्ज की. जौनपुर में भी तीन फर्जी फर्मों के खिलाफ केस हुआ है. जांच में खुलासा हुआ कि नमकीन और चिप्स की बोरियों में छुपाकर कोडीन सिरप भेजा जाता था. झारखंड से चावल की बोरियों में सिरप भरकर पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक सप्लाई की जाती थी. यह तरीका लंबे समय तक जांच एजेंसियों की नजर से बचा रहा.
173 फर्जी फर्मों का नेटवर्क
मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल ने कफ सिरप तस्करी के लिए कुल 173 फर्जी फर्में खोल रखी थीं. इनमें वाराणसी में 126, जौनपुर में 28, आजमगढ़ में 3, चंदौली में 7, गाजीपुर में 5 और भदोही में 4 फर्म शामिल थीं. इन्हीं फर्मों के जरिए दवाओं की सप्लाई दिखाई जाती थी. पुलिस का कहना है कि कागजों पर भारी बिक्री दिखाकर फर्मों को कुछ महीनों में बंद कर दिया जाता था.
अमित सिंह टाटा की भूमिका
हाल ही में गिरफ्तार अमित सिंह टाटा ने भी अपने कई करीबियों को इस धंधे में शामिल किया था. उसने किराए के मकानों पर फर्जी फर्में खुलवाईं. इन फर्मों से कुछ ही महीनों में करोड़ों रुपये का कारोबार दिखाया गया. बाद में फर्म बंद कर दी जाती थीं. चिप्स से भरी गाड़ी में कफ सिरप मिलने के बाद यह पूरा मामला उजागर हुआ. हिरासत में अमित सिंह टाटा ने सिंडिकेट से जुड़े कई अहम राज उगले हैं.
सियासी कनेक्शन की चर्चा
अमित सिंह टाटा की फॉर्च्यूनर गाड़ी की नंबर सीरीज ‘9797’ पूर्वांचल के पूर्व सांसद धनंजय सिंह के काफिले से जोड़ी जाती है. इसी वजह से दोनों के बीच कनेक्शन की चर्चाएं शुरू हो गईं. हालांकि, धनंजय सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए पूरे मामले की CBI जांच की मांग की है. पुलिस और STF फिलहाल तथ्यों और सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई कर रही है.
STF के रडार पर एक और वर्दीवाला
इस मामले में गिरफ्तार अमित सिंह टाटा और बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह के मोबाइल डिटेल और बैंक खातों की जांच के बाद अब एक जेल सिपाही STF के रडार पर आ गया है. जांच में आलोक सिंह के खातों से इस जेल सिपाही की महिला रिश्तेदार के खाते में लेनदेन के सबूत मिले हैं. सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में यह सिपाही अमित और आलोक के साथ नजर आता है. STF अब यह जांच कर रही है कि कहीं यह भी फर्जी फर्म बनाकर तस्करी में शामिल तो नहीं.
संतोष शर्मा