CrPC Section 108: देशद्रोही बातों को फैलाने वाले व्यक्तियों से संबंधित है ये धारा

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 108 (Section 108) देशद्रोही बातें फैलाने वालों से अच्छे आचरण की सुरक्षा का प्रावधान करती हैं. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 108 इस बारे में क्या कहती है?

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सदाचार के लिए प्रतिभूति से जुड़ी है ये धारा सदाचार के लिए प्रतिभूति से जुड़ी है ये धारा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:50 PM IST
  • सदाचार के लिए प्रतिभूति से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं में पुलिस (Police) और अदालत (Court) के काम की प्रक्रिया के दौरान प्रयोग की जाने वाली कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) के बारे में जानकारी मौजूद है. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 108 (Section 108) देशद्रोही बातें फैलाने वालों से अच्छे आचरण की सुरक्षा का प्रावधान करती हैं. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 108 इस बारे में क्या कहती है?

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सीआरपीसी की धारा 108 (CrPC Section 108)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced) की धारा 108 (Section 108) में राजद्रोहात्मक बातों को फैलाने वाले व्यक्तियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति का प्रावधान मिलता है. CrPC की धारा 108 के अनुसार-

(1) जब किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को इत्तिला मिलती है कि उसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर कोई ऐसा व्यक्ति है जो ऐसी अधिकारिता के अंदर या बाहर

(i) या तो मौखिक रूप से या लिखित रूप से या किसी अन्य रूप से निम्नलिखित बातें साशय फैलाता है या फैलाने का प्रयत्न करता है या फैलाने का दुप्रेरण करता है, अर्थात्

(क) कोई ऐसी बात, जिसका प्रकाशन भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 124क या धारा 153क या धारा 153ख या धारा 295क के अधीन दंडनीय है; अथवा

(ख) किसी न्यायाधीश से, जो अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में कार्य कर रहा है या कार्य करने का तात्पर्य रखता है. संबद्ध कोई बात जो भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के अधीन आपराधिक अभित्रास या मानहानि की कोटि में आती है; अथवा

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(ii) भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 292 के यथानिर्दिष्ट कोई अश्लील वस्तु विक्रय के लिए बनाता, उत्पादित करता, प्रकाशित करता या रखता है, आयात करता है, निर्यात करता है, प्रवण करता है, विक्रय करता है, भाड़े पर देता है. वितरित करता है, सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करता है या किसी अन्य प्रकार से परिचालित करता है.

और उस मजिस्ट्रेट की राय में कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार है तब ऐसा मजिस्ट्रेट, ऐसे व्यक्ति से इसमें इसके पश्चात् उपबंधित रीति से अपेक्षा कर सकता है कि वह कारण दर्शित करे कि एक वर्ष से अनधिक की इतनी अवधि के लिए, जितनी वह मजिस्ट्रेट ठीक समझे, उसे अपने सदाचार के लिए प्रतिभुओं सहित या रहित बंधपत्र निष्पादित करने के लिए आदेश क्यों न दिया जाए.

(2) प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1867 (1867 का 25) में दिए गए नियमों के अधीन रजिस्ट्रीकृत, और उनके अनुरूप संपादित. मुद्रित और प्रकाशित किसी प्रकाशन में अंतर्विष्ट किसी बात के बारे में कोई कार्यवाही ऐसे प्रकाशन के संपादक, स्वत्वधारी, मुद्रक या प्रकाशक के विरुद्ध राज्य सरकार के, या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त सशक्त किए गए किसी अधिकारी के आदेश से या उसके प्राधिकार के अधीन ही की जाएगी, अन्यथा नहीं.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 106: दोष सिद्ध होने पर शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा का प्रावधान करती है ये धारा 

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क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

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