CrPC Section 100: बंद स्थान की तलाशी से संबंधित है सीआरपीसी की धारा 100

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 100 (Section 100) में किसी बंद स्थान के भारसाधक व्यक्ति तलाशी लेने देंगे, यह बताया गया है. सीआरपीसी की धारा 100 इस बारे में विस्तार से क्या बताती है? आइए जान लेते हैं..

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 CrPC की धारा 100 बंद जगह की तलाशी लेने से जुड़ी है CrPC की धारा 100 बंद जगह की तलाशी लेने से जुड़ी है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2022,
  • अपडेटेड 4:46 PM IST
  • बंद जगह की तलाशी से जुड़ी है CrPC धारा 100
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धाराएं पुलिस (Police) और कोर्ट (Court) की कार्य प्रणाली के दौरान इस्तेमाल होने वाली कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) के बारे में जानकारी देती हैं. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 100 (Section 100) में किसी बंद स्थान के भारसाधक व्यक्ति तलाशी लेने देंगे, यह बताया गया है. सीआरपीसी की धारा 100 इस बारे में क्या बताती है, आइए जान लेते हैं?

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सीआरपीसी की धारा 100 (CrPC Section 100)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced) की धारा (100 Section 100) में उस कानूनी बाध्यता को परिभाषित किया गया है, जिसके तहत किसी भी बंद जगह का इंचार्ज शख्स (Person in charge) वहां की तलाशी (Search) लेने देंगे. CrPC की धारा 100 के अनुसार- 

(1) जब कभी इस अध्याय के अधीन तलाशी लिए जाने या निरीक्षण किए जाने वाला कोई स्थान बंद है. तब उस स्थान में निवास करने वाला या उसका भारसाधक व्यक्ति उस अधिकारी या अन्य व्यक्ति की, जो वारंट का निष्पादन कर रहा है, मांग पर और वारंट के पेश किए जाने पर उसे उसमें अबाध प्रवेश करने देगा और वहां तलाशी लेने के लिए सब उचित सुविधाएं देगा.

(2) यदि उस स्थान में इस प्रकार प्रवेश प्राप्त नहीं हो सकता है तो वह अधिकारी या अन्य व्यक्ति, जो वारंट का निष्पादन कर रहा है धारा 47 की उपधारा (2) द्वारा उपबंधित रीति से कार्यवाही कर सकेगा.

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(3) जहां किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में, जो ऐसे स्थान में या उसके आसपास है, उचित रूप से यह संदेह किया जाता है कि वह अपने शरीर पर कोई ऐसी वस्तु छिपाए हुए है जिसके लिए तलाशी ली जानी चाहिए तो उस व्यक्ति की तलाशी ली जा सकती है और यदि वह व्यक्ति स्त्री है, तो तलाशी शिष्टता का पूर्ण ध्यान रखते हुए अन्य स्त्री द्वारा ली जाएगी.

(4) इस अध्याय के अधीन तलाशी लेने के पूर्व ऐसा अधिकारी या अन्य व्यक्ति, जब तलाशी लेने ही वाला हो, तलाशी में हाजिर रहने और उसके साक्षी बनने के लिए उस मुहल्ले के, जिसमें तलाशी लिया जाने वाला स्थान है, दो या अधिक स्वतंत्र और प्रतिष्ठित निवासियों को या यदि उक्त मुहल्ले का ऐसा कोई निवासी नहीं मिलता है या उस तलाशी का साक्षी होने के लिए रजामंद नहीं है तो किसी अन्य मुहल्ले के ऐसे निवासियों को बुलाएगा और उनको या उनमें से किसी को ऐसा करने के लिए लिखित आदेश जारी कर सकेगा.

(5) तलाशी उनकी उपस्थिति में ली जाएगी और ऐसी तलाशी के अनुक्रम में अभिगृहीत सब चीजों की और जिन-जिन स्थानों में वे पाई गई हैं उनकी सूची ऐसे अधिकारी या अन्य व्यक्ति द्वारा तैयार की जाएगी और ऐसे साक्षियों द्वारा उस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, किंतु इस धारा के अधीन तलाशी के साक्षी बनने वाले किसी व्यक्ति से, तलाशी के साक्षी के रूप में न्यायालय में हाजिर होने की अपेक्षा उस दशा में ही की जाएगी जब वह न्यायालय द्वारा विशेष रूप से समन किया गया हो.

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(6) तलाशी लिए जाने वाले स्थान के अधिभोगी को या उसकी ओर से किसी व्यक्ति को तलाशी के दौरान हाजिर रहने की अनुज्ञा प्रत्येक दशा में दी जाएगी और इस धारा के अधीन तैयार की गई उक्त साक्षियों द्वारा हस्ताक्षरित सूची की एक प्रतिलिपि ऐसे अधिभोगी या ऐसे व्यक्ति को परिदत्त की जाएगी.

(7) जब किसी व्यक्ति की तलाशी उपधारा (3) के अधीन ली जाती है तब कब्जे में ली गई सब चीजों की सूची तैयार की जाएगी और उसकी एक प्रतिलिपि ऐसे व्यक्ति को परिदत्त की जाएगी.

(8) कोई व्यक्ति जो इस धारा के अधीन तलाशी में हाजिर रहने और साक्षी बनने के लिए ऐसे लिखित आदेश द्वारा, जो उसे परिदत्त या निविदत्त किया गया है, बुलाए जाने पर, ऐसा करने से उचित कारण के बिना इनकार या उसमें उपेक्षा करेगा, उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 187 के अधीन अपराध किया है.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 99: तलाशी-वारंट का निदेशन आदि बताती है सीआरपीसी की धारा 99 

क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

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1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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