जहां मिली थी अंकिता की लाश, वहां से मिला मोबाइल, खुल सकते हैं कई राज

Ankita Murder Case: अंकिता हत्याकांड में विशेष जांच दल (SIT) को एक बड़ा सबूत हाथ लगा है. जहां अंकिता का शव मिला था, उसी चिल्ला बैराज से एक मोबाइल बरामद हुआ है. यह मोबाइल अंकिता का हो सकता है. हालांकि, अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है.

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चिल्ला बैराज से एक मोबाइल बरामद हुआ है. (फाइल फोटो) चिल्ला बैराज से एक मोबाइल बरामद हुआ है. (फाइल फोटो)

कृष्ण गोविंद कंसवाल / विकास वर्मा

  • देहरादून,
  • 30 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:16 PM IST

अंकिता हत्याकांड में विशेष जांच दल (SIT) को एक बड़ा सबूत हाथ लगा है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि एसआईटी की छानबीन में चिल्ला बैराज से एक मोबाइल बरामद हुआ है. यह मोबाइल अंकिता का हो सकता है. हालांकि, अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है. वहीं, सूत्रों ने बताया कि एसआईटी अंकिता हत्याकांड के आरोपी पुलकित आर्य, अंकित और सौरभ को घटना स्थल पर ला सकती है.

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उधर, अंकिता भंडारी हत्याकांड में गठित एसआईटी पर भी सवाल उठ रहे हैं. कोटद्वार के अधिवक्ता अरविंद का कहना है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में राज्य की धामी सरकार की ओर से गठित SIT इसी सरकार के अंतर्गत आती है. इस गठित SIT का कोई औचित्य नहीं है.

क्योंकि इस जांच दल में पुलिस उपमहानिदेशक कानून व्यवस्था पी रेणुका देवी और अपर पुलिस अधीक्षक शेखर चन्द्र सुयाल, निरीक्षक राजेन्द्र सिंह खोलिया, साइबर क्राइम से दीपक अरोड़ा, अमरजीत हैं. इनका विभाग सरकार के नियंत्रण में आता है, इसलिए स्वतंत्रता से जांच नहीं हो सकती. 

अधिवक्ता ने आरोप लगाए कि इस एसआईटी पर सरकार का प्रभाव न रहे, ऐसा नहीं माना जा सकता है. सरकार को अभी भी समय रहते विधिवत SIT का गठन कर रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में इस मामले की जांच करवानी चाहिए, जिससे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो सके. 

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इसके अलावा मांग की जा रही है कि अंकिता हत्याकांड में रिजॉर्ट से जिन लोगों ने साक्ष्य छिपाने और नष्ट करने का काम किया, गठित एसआईटी उन लोगों को भी आईपीसी की धारा 201, 120बी और 34 के इसी अपराध में आरोपी बनाए. 

क्या होती है SIT?

- वकील अरविंद ने आगे बताया कि SIT यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम और विशेष जांच दल होता है. जब कोई अभिनेता, कोई राजनेता या फिर कोई बड़ी चर्चित हस्ती समेत समाज के इस शख्स के साथ कोई इस तरह कोई अपराध होता है, तो एसआईटी का गठन किया जाता है. राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार एसआईटी गठित कर सकती है. 

- इस दल में कोई भी एक रिटायर्ड जस्टिस या जज और अन्य उनके सहयोगी उस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार/सुप्रीम कोर्ट/केंद्र सरकार में दाखिल करते हैं. इस विशेष जांच दल की रिपोर्ट में किसी का हस्तक्षेप नहीं होता. लेकिन मामले में प्रशासन के साथ सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है. 

जानिए अंकिता हत्याकांड के बारे में

बता दें कि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले की यह घटना है. यहां गंगा भोगपुर स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उसके अन्य दो साथियों ने रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की 18 सितंबर की रात नहर में फेंककर हत्या कर दी थी. मामला सामने आने के बाद रिसॉर्ट मालिक ने ही राजस्व क्षेत्र में अंकिता भंडारी की गुमशुदगी दर्ज करवाई गई थी. 

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राजस्व पुलिस ने सिविल पुलिस को मामला हस्तांतरण किया. फिर सिविल पुलिस ने 22 सितंबर को अंकिता हत्याकांड में बड़ा खुलासा करते हुए तीनों आराोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया था. उसके बाद 24 सितंबर को चिल्ला नहर से अंकिता का शव बरामद हुआ था.  

 

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