अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर के भाई पर 40 लाख की ठगी का आरोप, 25 साल बाद गिरफ्तारी

दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट में 13 लोगों की मौत के बाद लगातार जांच जारी है. इसी कड़ी में अब फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय एक बार फिर जांच एजेंसियों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है. विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जवाद अहमद सिद्दीकी के छोटे भाई हमूद अहमद सिद्दीकी को मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया है.

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फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी के खिलाफ चल रही है जांच. (File Photo: ITG) फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी के खिलाफ चल रही है जांच. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST

दिल्ली धमाके की जांच के बीच अल फलाह यूनिवर्सिटी फिर सुर्खियों में है. यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी के भाई हमूद अहमद सिद्दीकी को मध्य प्रदेश पुलिस ने हैदराबाद से गिरफ्तार किया है. उन पर 25 साल पुराने इन्वेस्टमेंट फ्रॉड के तीन मामलों सहित दंगा और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप हैं. 50 वर्षीय हमूद पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित था.

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मध्य प्रदेश के महू के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) यांगचेन डोलकर भूटिया ने बताया कि हमूद अहमद सिद्दीकी ने दो साल तक एक निवेश कंपनी चलाई थी. उन्होंने लोगों को 20 प्रतिशत ब्याज पर पैसा लौटाने का वादा कर लाखों रुपए जुटाए थे. लेकिन तीसरे साल वो अपने परिवार के साथ शहर से गायब हो गए. इसके बाद से फरार चल रहे थे. उन्होंने महू में 40 लाख की ठगी की थी.

साल 2000 में हमूद अहमद सिद्दीकी के खिलाफ इन्वेस्टमेंट फ्रॉड से जुड़े तीन मामले दर्ज हुए थे. इसी सिलसिले में उनको रविवार को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने बताया कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी ही नहीं, बल्कि साल 1988 और 1989 में दंगा और हत्या के प्रयास के दो मामले भी दर्ज थे. इसके बावजूद वो हैदराबाद में शेयर बाजार से जुड़े कारोबार कर रहे थे.

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पुलिस की जांच में पता चला है कि हमूद अहमद सिद्दीकी मूल रूप से महू के रहने वाले हैं. साल 1995 के आसपास उन्होंने प्रबंध निदेशक के तौर पर एक निवेश कंपनी शुरू की थी, जिसमें उसकी पत्नी और एक परिचित भी निदेशक थे. उस समय उसका पूरा परिवार महू में ही रहता था, लेकिन लोगों से ठगी करने के बाद वो अचानक शहर छोड़कर गायब हो गए थे. 

इसके बाद उन्होंने किसी भी स्थानीय व्यक्ति से कोई संपर्क नहीं रखा. महू के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी ललित सिंह सिकरवार ने बताया कि साल 2000 में सामने आए इस घोटाले में हमूद पर एक फर्जी निजी बैंक खड़ा करने और सैकड़ों लोगों को उनकी जमा राशि दोगुनी करने का झांसा देकर ठगी करने का आरोप है. पुलिस को दो दशक से अधिक से उनकी तलाश कर रही थी.

इसी बीच दिल्ली धमाके के बाद जवाद अहमद सिद्दीकी के परिवार की पृष्ठभूमि की जांच पुलिस कर रही थी. इसी दौरान सामने आए पारिवारिक रिकॉर्ड ने यह साफ कर दिया कि हमूद लंबे समय से धोखाधड़ी के मामलों में भगोड़ा चल रहा था. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि इन वर्षों में उनके संपर्क किससे रहे, किसने उनको छिपने में मदद की और कौन मदद कर रहा था.

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उधर, अल फलाह विश्वविद्यालय पहले से ही दिल्ली पुलिस की जांच के दायरे में है. लाल किले विस्फोट के मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी इसी विश्वविद्यालय का छात्र था. डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद जांचकर्ताओं ने संस्थान से जुड़े रिकॉर्ड, वित्तीय दस्तावेज और प्रशासनिक स्वीकृतियों की गहन जांच शुरू कर दी है. जवाद अहमद सिद्दीकी को दो मामलों में पूछताछ के लिए समन जारी किए गए हैं. 

जांच एजेंसियों का मानना है कि विश्वविद्यालय के अध्यक्ष का बयान कई विसंगतियों को स्पष्ट कर सकता है जिनका सीधा लिंक हालिया जांचों से जुड़ता है. अल फलाह विश्वविद्यालय ने बीते सप्ताह एक बयान जारी कर दिल्ली विस्फोट की निंदा की थी और कहा था कि वह राष्ट्र के साथ एकजुटता से खड़ा है. लेकिन विश्वविद्यालय से जुड़े व्यक्तियों का नाम बड़े आपराधिक मामलों में सामने आया है.

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