हैदराबाद में फैले कोरोना संक्रमण से बचने के लिए एक प्रवासी मजदूर 20 दिन पहले मध्य प्रदेश के बालाघाट में अपने गांव लौटा था. संक्रमण से तो किसी तरह इस मजदूर ने अपनी जान बचा ली, लेकिन घर आते ही उसके हिस्से नक्सलियों की गोली आई, जिसमें उसकी जान चली गई. नक्सलियों ने युवक को पुलिस का मुखबिर समझ गोली मार दी और पास ही एक ताकीद भरा पर्चा छोड़ गए कि मुखबिरी करने वालों का यही अंजाम होगा.
बालाघाट में जंगलों की खाक छान रही पुलिस टीम यहां एक प्रवासी श्रमिक के हत्यारों की तलाश में है. वह उन पीपुल्स वॉर ग्रुप के नक्सलियों की तलाश में है जिन्होंने 20 दिन पहले अपने घर लौटे 25 साल के प्रवासी श्रमिक सोनू टेकाम की गोली मार कर हत्या कर दी.
नक्सलियों ने इस हत्या के पहले ना कोई जन अदालत लगाई और ना ही गांव के लोगो को जमा किया. युवक को घर से बाहर बुलाया और गोली मार दी.
मृतक के पिता ने बताया कि मेरा बेटा बाहर कमाने जाता था. बहुत दिनों से हैदराबाद में था, कभी-कभी गांव आता था. कल उस उठा कर ले गए और मार दिया.
पुलिस के दावे पर विश्वास किया जाए तो एक साल पहले एक मुठभेड़ में मारे गए अपने दो साथियों की मौत के बाद नक्सलियों को किसी ना किसी को मुखबिर बता उस की जान ले कर गांव में अपनी दहशत कायम रखनी थी और इस वजह से उन्होंने एक प्रवासी श्रमिक की जान ले ली.
एसडीओपी लांजी नितेश भार्गव ने बताया कि हमें सूचना मिली थी कि लांजी के पुजारी टोला में एक युवक की लाश और नक्सल लिटरेचर पड़ा हुआ है. मौके पर जाने पर ज्ञात हुआ कि नक्सलियों ने युवक की हत्या कर दी है लेकिन यह युवक पुलिसकर्मी नहीं था. यह तो पिछले 3 साल से हैदराबाद में मजदूरी का काम कर रहा था.
बालाघाट एसपी अभिषेक तिवारी ने कहा कि नक्सल डर फैलाने के लिए ऐसी घटना करते हैं. मध्य प्रदेश में उनकी जड़ें हिल गई हैं. ग्रामीणों को डरने की जरूरत नहीं है. वह हौसले के साथ पुलिस का साथ दें, तभी समस्या से बचा जा सकता है.