यूपी: धर्मांतरण केस में गिरफ्तार मौलानाओं से पूछताछ, हुए ये खुलासे

उत्तर प्रदेश एटीएस ने जिन दो मौलानाओं को धर्मांतरण केस में गिरफ्तार किया है, वे अब अलग-अलग तरह के खुलासे कर रहे हैं. एटीएस का दावा है कि इस्लामिक सेंटर, टेरर फंडिंग का जरिया बन रहा है. धर्मांतरण के बाद बच्चों को आतंक की राह पर भेजा जा रहा है.

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मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी और मोहम्मद उमर गौतम (फाइल फोटो) मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी और मोहम्मद उमर गौतम (फाइल फोटो)

आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 22 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:00 PM IST
  • धर्मांतरण केस में गिरफ्तार हैं दो मौलाना
  • एटीएस को मिली है सात दिनों की रिमांड

उत्तर प्रदेश की एटीएस टीम धर्मांतरण के केस में गिरफ्तार मौलानाओं से लगातार पूछताछ कर रही है. अब दोनों गिरफ्तार आरोपियों ने बड़े खुलासे किए हैं. एटीएस ने दावा किया है कि इस्लामिक सेंटर, टेरर फंडिंग का जरिया बन रहे हैं. धर्मांतरण के बाद बच्चों को आतंकी बनने की राह पर धकेला जा रहा है.

मिली जानकारी के मुताबिक धर्मांतरण के आरोपी मौलानाओं की सात दिनों के लिए एटीएस ने रिमांड ली है. एटीएस में पूछताछ के दौरान एक मौलाना ने दावा किया है कि जिस तरह से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया की फंडिंग हो रही थी, वैसी ही हमारी फंडिंग हो रही थी.

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दोनों गिरफ्तार मौलाना अपने संगठन के जरिए धर्म परिवर्तन कराते थे. इस दौरान कई बच्चों ने आतंक की राह पकड़ी, जिसके बारे में घरवालों को सूचना दी गई. नोएडा डेफ सोसाइटी की प्रबंधक रूमा को एटीएस ने मुख्यालय पर पूछताछ के लिए इसी सिलसिले में बुलाया है.

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डेफ सोसाइटी की प्रबंधक तलब!

यूपी एटीएस ने नोएडा डेफ सोसायटी की प्रबंधक रूमा को लखनऊ स्थित यूपी एटीएस के मुख्यालय पर बुलाया है. एटीएस ने उनके साथ लगातार 5 घंटे तक पूछताछ की. एटीएस के आईजी जीके गोस्वामी ने दावा है कि नोएडा डेफ सोसायटी में 18 मूक और बधिर बच्चों का 2 साल के भीतर धर्मांतरण कराया गया है. स्कूल प्रबंधन को इसकी भनक भी नहीं लगी है, जिससे शक गहराया है. नोएटा डफ सोयायती की स्थापना साल 2005 में हुई थी. 

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फिलहाल इस संस्था में 35 बच्चे रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से 12 बच्चे जम्मू और कश्मीर के मुस्लिम परिवारों से हैं. 18 बच्चों का धर्मांतरण कराया गया, जिसकी भनक भी प्रशासन को नहीं लगी. डेफ सोसायटी की प्रबंधक ने कहा है कि बच्चे कैसे संस्था के जाल में फंसकर इस्लाम स्वीकार कर रहे हैं, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.

एटीएस अधिकारियों का दावा है कि सीएए और एनआरसी मूवमेंट की फंडिंग में एसडीपीआई का चेहरा सामने आया था. पीएफआई का राजनीतिक चेहरा होने की वजह से पूरी तरह से यह संस्था खुलकर काम नहीं कर पा रही थी. मौलानाओं के इस्लामिक सेंटर को धर्मांतरण कराने का टास्क दिया गया था.

एटीएस की छानबीन में यह भी मामला सामने आया है कि नोएडा डेफ सोसायटी स्कूल में मूक-बधिर बच्चों को साइन लैंग्वेज पढ़ाने वाली एक महिला टीचर के जरिए मौलाना स्कूल के बच्चे तक अपनी पहुंच बनाता था. मौलाना के इस्लामिक सेंटर ने 18 बच्चों को धर्मांतरण करवा दिया था. इसके बारे में जानने के बावजूद स्कूल प्रबंधक ने पुलिस को सूचना नहीं दी थी. मौलाना की गिरफ्तारी के बाद से ही महिला टीचर स्कूल से लापता है, जिसके बारे में छानबीन की जा रही है.

परिजन को जान से मारने की धमकी!

धर्मांतरण के शिकार एक बच्चे के पिता ने सोशल मीडिया पर वीडियो भी डाला है. दावा किया जा रहा है कि बच्चा घरवालों को आतंकी बनने के बारे में इशारों ही इशारों में बताता था. पुलिस से सूचना देने पर उसे जान से मारने की धमकी मिलती. एटीएस पूरे मामले की पड़ताल कर रही है.

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