तहव्वुर राणा की टेरर स्टोरी के टॉप किरदार... ताज में हेडली, हाफिज से वैचारिक खुराक, 'चचा लखवी' से कसाब को कमांड

भारत पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक 26/11 मुंबई अटैक की कहानी इतनी आसान नहीं है. 64 साल का टेररिस्ट तहव्वुर राणा मुंबई हमले का मास्टरमाइंड तो है लेकिन इस आपराधिक गठजोड़ का असली सिरा पाकिस्तान जाता है जहां रावलपिंडी-कराची में बैठे ISI का नफरती अफसर मेजर इकबाल इस अटैक की स्क्रिप्ट लिख रहा था, तो हाफिज सईद जेहाद के नाम पर नए-नए रंगरूटों को वैचारिक खुराक दे रहा था.

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मुंबई हमले के किरदारों को सजा दिलाने के लिए भारत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोशिश कर रहा है. मुंबई हमले के किरदारों को सजा दिलाने के लिए भारत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोशिश कर रहा है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

कौन इनकार करेगा कि कानून के हाथ नहीं लंबे होते हैं? मुंबई में 26/11 को हुए स्तब्धकारी आतंकी हमले का एक बड़ा किरदार भारत सरकार के शिकंजे में है. NIA के अफसरों ने जब इस अटैक की फाइलें खोलीं तो कड़ियां उन दरिंदों तक गई जो पाकिस्तान में इज्जत की चादर ओढ़कर मजहब के नाम पर जिहाद की फैक्टरी चला रहे थे. पाकिस्तानी की एजेंसी ISI इन्हें पाल पोस रही था और दुनिया के सामने अमनपसंद पाकिस्तानी मौलवी- मुल्ला का तमगा दे रही थी. NIA की जांच आगे बढ़ी तो इस हमले में नाम आया- आतंकी संगठन लश्कर-ए-तौयबा और हूजी के सदर हाफिज मुहम्मद सईद, जकी उर रहमान लखवी, इलियास कश्मीरी और मेजर अब्दुर्रहमान उर्फ पाशा का. 

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भारत पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक मुंबई अटैक की कहानी इतनी आसान नहीं है. 64 साल का पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक और वहशी टेररिस्ट तहव्वुर राणा मुंबई हमले का मास्टरमाइंड तो है लेकिन इस आपराधिक गठजोड़ का असली सिरा पाकिस्तान जाता है जहां रावलपिंडी में बैठे ISI के नफरती अफसर इस अटैक की स्क्रिप्ट लिख रहे थे. 

अब सालों के कानूनी प्रयासों और कूटनीतिक एगेंजमेंट के बाद आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है. मुंबई हमला 2008 में 26 नंवबर को हुआ था. इस हमले में में अमेरिकी, इजरायली नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए और 238 से अधिक घायल हुए थे. 

इस मामले में भारत की प्रीमियम जांच संस्था राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 11 नवंबर 2009 को केस दर्ज किया था. आतंकी तहव्वुर राणा, डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी और लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी-इस्लामी (HUJI) के आतंकियों के साथ मिलकर मुंबई हमले को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रची थी. 

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भारत सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा और HUJI को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत आतंकी संगठन घोषित कर रखा है. 

NIA की कस्टडी में आतंकी तहव्वुर राणा.

गौरतलब है कि तहव्वुर राणा 26/11 अटैक केस में तीसरा वो शख्स है जिसे भारत की न्यायपालिका के सामने प्रस्तुत किया गया है और उसे अपने गुनाहों की सजा देने के लिए निष्पक्ष, संतुलित और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जा रही है. इससे पहले इस केस में आतंकी कसाब को मौत की सजा दी जा चुकी है और भारत के जेल में बंद अबु जुंदाल कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है.

आइए भारत के दिल पर जख्म देने वाले मुंबई अटैक के पन्ने उलटते हैं और इस हमले को अंजाम देने वाले इन किरदारों के रोल को समझते हैं. 

तहव्वुर राणा: लॉजिस्टिक्स और कवर का इंतजाम

तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है. वह इस साजिश में लॉजिस्टिक्स और कवर प्रदान करने वाला प्रमुख किरदार था.  
तहव्वुर 1990 के दशक के अंत में कनाडा चला गया. इससे पहले उसने पाकिस्तानी सेना के मेडिकल कोर में काम किया था. कनाडा में उसे एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म शुरू की थी. बाद में वह अमेरिका चला गया और शिकागो के एक दक्षिण एशियाई बहुल इलाके डेवोन एवेन्यू से इमिग्रेशन कंसल्टेंसी का काम करने लगा. उसने यहां ऑफिस खोल लिया. 

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भारत की पुलिस का कहना है कि तहव्वुर राणा ने अपने फर्म के माध्यम 2008 के हमलों से पहले टोही मिशन को अंजाम देने के लिए हेडली को कवर दिया था और उसे दस साल का वीजा विस्तार दिलाने में मदद की थी. हेडली भारत आया और मुंबई में रहने लगा. 

भारत में रहने के दौरान हेडली ने इमिग्रेशन बिजनेस चलाने का दिखावा किया और राणा के साथ नियमित संपर्क में रहा. भारतीय अधिकारियों के अनुसार इस दौरान राणा और हेडली के बीच 230 से अधिक फोन कॉल हुए. 

राणा ने अपनी फर्म की आड़ में हेडली को मुंबई में रेकी करने के लिए जरूरी संसाधन और कवर मुहैया कराए. उसने हेडली को फर्जी दस्तावेज और वीजा दिलवाए ताकि वह बार-बार भारत आ-जा सके बिना किसी शक के. राणा को लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों की पूरी जानकारी थी, और वह हेडली के जरिए हाफिज सईद और अन्य साजिशकर्ताओं के संपर्क में था.

एनआईए की चार्जशीट के अनुसार राणा इस दौरान हमलों के एक अन्य सह-साजिशकर्ता 'मेजर इकबाल' के संपर्क में भी था.

अमेरिकी मार्शलों की गिरफ्त में तहव्वुर राणा.

तहव्वुर राणा खुद भी आतंकी हमले से कुछ दिन पहले नवंबर 2008 में भारत आया था. 

26/11 हमले के मामले में राणा के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा 2023 में दायर आरोपपत्र के अनुसार, वह पवई के एक होटल में रहता था और मामले में गवाह के रूप में सूचीबद्ध एक व्यक्ति के साथ दक्षिण मुंबई में भीड़भाड़ वाली जगहों के बारे में चर्चा करता था.

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इसके बाद ही 26 नवंबर को इस हमले को अंजाम दिया गया था. 

डेविड कोलमैन हेडली: रेकी का मास्टरमाइंड

बीबीसी की एक रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार रेहान फजल ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि डेविड कोलमैन हेडली ने पहली बार सितंबर 2006 में मुंबई में कदम रखा.इससे पहले पाकिस्तान की आईएसआई इसे पूरी ट्रेनिंग दे चुकी थी. हेडली ने एसी मार्केट के अपना ऑफिस बनाया. इसने अपनी कंपनी का नाम रखा 'फर्स्ट वर्ल्ड'. ये कंपनी अमेरिका में काम करने वाले लोगों को वीजा दिलाने में मदद करती थी. हेडली ने राणा की फर्म में काम करने का बहाना बनाया जिससे उसकी गतिविधियां वैध लगे. इसलिए उसने ये दफ्तर खोला था. 

वह लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के बीच मध्यस्थ के रूप में भी काम करता था. हेडली ने लश्कर के ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण लिया और हाफिज सईद, लखवी और मेजर इकबाल के सीधे संपर्क में था.

रेहान फजल ने रिपोर्ट में बताया है कि डेनिश पत्रकार कारे सोरेन्सन ने अपनी किताब 'द माइंड ऑफ अ टेररिस्ट द स्ट्रेंज केस ऑफ़ डेविड हेडली' में लिखा है कि, 'डेविड हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का सपना कश्मीर में लड़ना था लेकिन लश्कर आतंकी जकी-उर-रहमान लखवी की नजर में इस रोल के लिए दाऊद की उम्र कुछ अधिक हो चुकी थी. उसने लश्कर के कमांडर साजिद मीर से कहा कि वो भारत पर हमले की बड़ी योजना में हेडली को भी शामिल करे. 

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दरअसल लश्कर को एक ऐसे शख्स की जरूरत थी जो लंबे अरसे के लिए मुंबई जा सके और जिसे लोगों से घुलने-मिलने से कोई परहेज़ न हो.

जून, 2006 में दाऊद को आधिकारिक रूप से इस मुंबई अटैक को अंजाम देने के लिए तैयार कर लिया गया. 

हेडली ने 2006 से 2008 के बीच कई बार मुंबई की यात्राएं कीं और अपने टारगेट की रेकी की. उसने ताज होटल, ओबेरॉय, सीएसटी, नरीमन हाउस और अन्य जगहों की वीडियो रिकॉर्डिंग की, जीपीएस डेटा इकट्ठा किया और आतंकियों के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया. 

उसने मुंबई से ही हमले में शामिल होने वाले दस दहशतगर्दों के लिए बैकपैक खरीदे थे.

 रेहान फजल एक किताब के हवाले से बताते हैं कि ताज होटल में हेडली अक्सर मुड़ी-तुड़ी अरमानी जींस और कमीज में नजर आता था और उसके कंधों से एक चमड़े की जैकेट लटकती रहती थी.

NIA इस आपराधिक साजिश में हेडली को आरोपी नंबर 1 बताती है. 

डेविड कोलमैन हेडली ने भारत आने से पहले राणा के साथ पूरे ऑपरेशन पर चर्चा की थी. NIA ने अदालत को बताया कि संभावित चुनौतियों की आशंका को देखते हुए हेडली ने राणा को अपने सामान और संपत्तियों का ब्यौरा देते हुए एक ईमेल भेजा था. साथ ही हेडली ने राणा को इस साजिश में पाकिस्तानी नागरिकों इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान की भागीदारी के बारे में भी बताया था, जो इस मामले में आरोपी हैं.

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बेहद हैरानी की बात है कि हमले के चार महीने बाद मार्च 2009 में हेडली ने एक बार फिर मुंबई की यात्रा की थी. इस बार ये आतंकी चर्चगेट के होटल आउटरेम में ठहरा. इस जगह पर वो पहले भी एक बार ठहर चुका था.

आखिरकार हेडली को शिकंजे में जकड़ने का समय आ गया. 3 अक्तूबर, 2009 को जब हेडली शिकागो से पाकिस्तान जाने के लिए फिलाडेल्फिया एयरपोर्ट पर विमान में बैठ रहा था तभी उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

डेविड कोलमैन हेडली अभी अमेरिका की एक जेल में 35 साल की सजा काट रहा है. 

हाफिज सईद: मुंबई अटैक का वैचारिक खुराक 

भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी हाफिज सईद ने हमले को अंजाम तक पहुंचाने के लिए वैचारिक खुराक देता था और वह इस अटैक का रणनीतिक मास्टरमाइंड था. लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा का संस्थापक हाफिज सईद भारत से नफरत की आग में धीरे-धीरे खाक होता रहता है. ये सिलसिला अभी भी जारी है. 

सईद ने भारत के खिलाफ जिहाद को बढ़ावा देने और मुंबई जैसे बड़े शहर को निशाना बनाने की योजना बनाई. उसने आतंकियों को प्रेरित किया, जेहाद का लुभावना सपना दिखाया. जन्नत के वादे किए. फंडिंग का इंतजाम किया और  हमले की पूरी रणनीति तैयार की. 

सईद ने हेडली को मुंबई में रेकी के लिए निर्देश दिए और लखवी के साथ मिलकर आतंकियों के ट्रेनिंग की निगरानी की. कहा जाता है कि वह मुंबई पर हमले के दौरान कराची में कंट्रोल रूम से आतंकियों को निर्देश दे रहा था.  सईद की जिहादी करतूतों की वजह से संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने उसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया है. 

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पाकिस्तान सरकार की बेशर्मी की वजह से वह पाकिस्तान में खुलेआम रहा. लेकिन भारत की ओर से एक्शन के खौफ ने उसे कभी इत्मीनान नहीं होने दिया. वह अभी पाकिस्तान में कभी हिरासत में रहता है तो कभी खुलेआम. ISI उसकी सुरक्षा करती है. 

जकी-उर-रहमान लखवी: ऑपरेशनल कमांडर

जकी-उर-रहमान लखवी, लश्कर-ए-तैयबा का सह-संस्थापक और ऑपरेशनल कमांडर इस साजिश का दूसरा प्रमुख किरदार था. मुंबई हमले के लिए कसाब समेत अन्य आतंकियों की भर्ती, उन्हें बरगलना, ट्रेनिंग और तैनाती की जिम्मेदारी इसी की थी. 

उसने हेडली को रेकी के लिए विशिष्ट निर्देश दिए और मुंबई में टारगेट की पहचान की. हमले के दौरान लखवी कराची के कंट्रोल रूम में मौजूद था, जहां से वह आतंकियों को रियल-टाइम निर्देश दे रहा था.

मुंबई हमले में पकड़े गए एकमात्र जीवित आतंकी अजमल कसाब ने लखवी को "चचा लखवी" के रूप में पहचाना और बताया कि उसने आतंकियों को प्रेरित और प्रशिक्षित किया था. लखवी को पाकिस्तान में हिरासत में लिया गया, लेकिन वह बार-बार रिहा होता रहा. 

इलियास कश्मीरी: साजिश में सहयोगी

इलियास कश्मीरी HUJI का प्रमुख और अल-कायदा से जुड़ा आतंकी इस साजिश में सहयोगी की भूमिका में था. कश्मीरी ने लश्कर के साथ मिलकर हमले की योजना में हिस्सा लिया और अपने नेटवर्क के जरिए लॉजिस्टिक्स और प्रशिक्षण में मदद की. उसका मुख्य योगदान आतंकियों को मॉर्डन मिलिट्री ट्रेनिंग और हथियारों की सप्लाई में था. 

कश्मीरी की भूमिका हेडली और राणा के साथ सीधे संपर्क तक सीमित नहीं थी, लेकिन वह साजिश के व्यापक नेटवर्क का हिस्सा था. 

बाद में, 2011 में एक ड्रोन हमले में उसकी मौत की खबर आई. 

मेजर इकबाल (उर्फ पाशा): ISI का टेरर फेस 

मेजर इकबाल, जिसे "पाशा" के नाम से भी जाना जाता है, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का एक कथित अधिकारी था. पाशा वो नाम है जो मुंबई हमले में पाकिस्तानी आर्मी की भागीदारी को साबित करता है. 

मेजर इकबाल साजिश में लश्कर और हेडली के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करता था.  हेडली ने अपने बयानों में बताया कि मेजर इकबाल ने उसे मुंबई में रेकी के लिए जीपीएस उपकरण और फंडिंग प्रदान की. उसने हेडली को रेकी करने और ऑपरेशन को गुप्त रखने के निर्देश दिए. मेजर इकबाल ने राणा के जरिए भी हेडली को लॉजिस्टिक्स सपोर्ट दिया. 

मेजर इकबाल ही वो आदमी था जो मुंबई में ऑफिस के लिए किराया और दूसरे खर्च हेडली को देता था. मेजर इकबाल की वर्तमान स्थिति अज्ञात है, और वह कभी भी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया. राणा के अलावा मेजर वो शख्स था जिसने हमले के लिए फंडिंग और लॉजिस्टिक्स का इंतजाम किया. 

26 नवंबर 2008 को 10 आतंकी समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे. वे छोटे-छोटे समूहों में बंट गए और पहले से तय टारगेट हमला किया. इस दौरान कराची से सईद और लखवी कंट्रोल रूम से सैटेलाइट फोन के जरिये आतंकियों को निर्देश दे रहा था. लगभग 60 घंटे तक चले इस हमले में 
भारतीय सुरक्षा बलों ने 9 आतंकियों को मार गिराया और कसाब को जिंदा पकड़ा. 
 

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