संसद कांड: नीलम की जमानत का विरोध, पुलिस ने कहा- आजाद पर गंभीर आरोप, फांसी तक हो सकती है!

Parliament Security Breach Case: संसद की सुरक्षा में सेंध लगाकर हंगामा करने वाली नीलम आजाद की जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया है. पुलिस का कहना है कि उसके उपर बहुत गंभीर आरोप है. उसने देश की एकता और संप्रुभता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है. उसे फांसी तक की सजा हो सकती है.

Advertisement
 नीलम आजाद की जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया है. नीलम आजाद की जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया है.

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST

3 दिसंबर 2023 को संसद में हुए हंगामे की आरोपी नीलम आजाद की जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया है. पुलिस का कहना है कि आरोपी पर बेहद गंभीर आरोप हैं. इस मामले में जिस कानून के तहत केस दर्ज हुआ है, उसमें उम्रकैद या फांसी तक की सजा हो सकती है. इस केस के सभी आरोपियों ने संसद की सुरक्षा में सेंध लगाकर देश की एकता और सम्प्रभुता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है. इनके खिलाफ यूएपीए के तहत केस चलाने के लिए पर्याप्त और पुख्ता सबूत हैं. 

Advertisement

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि सभी आरोपियों के खिलाफ मिले सबूतों के जरिए अपराध में उनकी सहभागिता साफ दिखती है. सभी आरोपी प्रभावशाली हैसियत रखते हैं. यदि जांच के दौरान उनको जमानत दे गई तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अखंड प्रताप और आरोपी नीलम आजाद की ओर से वकील सुरेश चौधरी कोर्ट में पेश हुए थे. नीलम ने हाल ही में गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश न करने पर अनुच्छेद 22 के उल्लंघन के आधार पर जमानत याचिका दायर की है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. हरदीप कौर ने इस मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया है. 18 जनवरी को इस पर फैसला सुनाया जा सकता है. इससे पहले भी दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी नीलम  की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने इस आधार पर रिहाई की मांग की थी कि उसकी पुलिस रिमांड अवैध है. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. न्यायमूर्ति मनोज जैन ने कहा कि वर्तमान याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. 

Advertisement

उस वक्त पीठ के सामने नीलम के वकील ने तर्क दिया था कि पुलिस हिरासत संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है. ट्रायल के दौरान उसे पसंद के कानूनी परामर्श की अनुमति नहीं थी. इस केस की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा था कि उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का ऐसा कोई आधार नहीं बनता है. उसके परिजनों ने भी कोर्ट में अर्जी दाखिल करके इस केस की एफआईआर की कॉपी मांगी थी. इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. पुलिस ने एफआईआर की कॉपी देने से इंकार कर दिया था.

यह भी पढ़ें: संसद कांड के पांचो आरोपियों का नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट, हो सकते हैं कई अहम खुलासे

इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हुए नीलम आजाद के भाई राम निवास ने कहा था कि संसद कांड के बाद दिल्ली पुलिस की एक टीम उनके गांव आई हुई थी. पुलिस उनसे एक ब्लैंक पेपर पर साइन करने का दबाव बना रही थी. उनके परिजनों को भी ऐसा करने के लिए कहा जा रहा था. लेकिन उन लोगों ने किसी भी पेपर पर साइन करने से इंकार कर दिया था. इसके बाद उन लोगों ने नीलम से मिलकर इस मामले की सच्चाई जानने की बात कही थी. यही वजह है कि उन्होंने ये याचिका दायर की है.

Advertisement

इस पर दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि एक प्रार्थना पत्र पर कई राहत की मांग कैसे की जा सकती है. इसके बाद नीलम के परिजनों के वकील से दोनों राहतों के लिए अलग-अलग आवेदन दायर करने के लिए कहा गया. इसके साथ उन्हें दिल्ली पुलिस आयुक्त के पास जाने का आदेश दिया गया. कोर्ट ने कहा कि उनको पहले पुलिस आयुक्त के पास जाना चाहिए. वो तीन सदस्यीय एक कमेटी का निर्माण कर रहे हैं. यदि उनको वहां से न्याय नहीं मिलता है, तब जाकर उनको कोर्ट का रुख करना चाहिए.

बताते चलें कि संसद में हंगामे की आरोपी नीलम हरियाणा के जींद के घासो खुर्द गांव की रहने वाली है. वो खुद को सोशल एक्टिविस्ट बताती है. उसके फेसबुक प्रोफाइल देखने पर यही पता चलता है कि वो अलग-अलग विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय रही है. कुछ समय पहले तक हिसार के रेड स्क्वायर मार्केट के पीछे स्थित पीजी में रहकर सिविल सर्विस तैयारी कर रही थी. 25 नवंबर को घर जाने की बात कहकर पीजी से चली गई थी. उसके साथ पीजी में रहने वाली लड़कियों का भी कहना था कि उसकी रुचि राजनीति में बहुत ज्यादा रहती है.

 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement