राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को कहा कि जेल में बंद मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को यदि उसके परिजनों से बात करने की इजाजत दी जाए तो वो उनके साथ अहम जानकारी साझा कर सकता है. एनआईए कोर्ट के समक्ष पेश तहव्वुर राणा की परिजनों से बात करने की याचिका का विरोध करते हुए जांच एजेंसी ने दलील दी कि उसके स्वास्थ्य को लेकर उनकी चिंता है. यह भी कहा कि मामला महत्वपूर्ण चरण में है.
एनआईए कोर्ट में जज ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आदेश 24 अप्रैल तक सुरक्षित रख लिया है. तहव्वुर राणा ने अपने वकील के जरिए से आवेदन दायर किया है, जिसमें उसने दावा किया गया कि अपने परिवार से बात करना उसका मौलिक अधिकार है. 64 वर्षीय पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी को 10 अप्रैल को कोर्ट ने 18 दिन की हिरासत में भेज दिया था. डेविड कोलमैन हेडली ने भारत आने से पहले उसके साथ पूरी साजिश की थी.
संभावित चुनौतियों की आशंका से डेविड हेडली ने तहव्वुर राणा को अपने सामान और संपत्तियों का विवरण देते हुए एक ईमेल भेजा था. हेडली ने उसको इस साजिश में पाकिस्तानी नागरिकों इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान की संलिप्तता के बारे में भी बताया था, जो इस मामले में भी आरोपी हैं. 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के करीबी सहयोगी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण कराया गया है.
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का करीबी रहा है. वो पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रहा है. इसलिए पाकिस्तान को अब डर लग रहा है कि तहव्वुर राणा 26/11 के मामले में पाकिस्तान की पूरी पोल खोल देगा. दुनिया को बता देगा कि पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और पाक सरकार सब मिलकर आतंक फैलाते हैं. तीन साल पहले ही पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आया है. इसका कारण बताया गया कि उसने आतंकियों की फंडिंग रोकी है.
हालांकि, हकीकत ये है कि जब पाकिस्तान को ये राहत दी गई तब बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े ठिकाने का विस्तार हो रहा था. पाकिस्तान एक तरफ आतंक को लेकर दुनिया की आंख में धूल झोंक रहा है, तो वहीं हाफिज-मसूद की सुरक्षा को लेकर डरा हुआ है. पाकिस्तान का असली डर हिंदुस्तान के सबसे दुश्मन हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को लेकर है कि कहीं भारत उनको भी सौंपे जाने की मांग तेज न कर दे.
इसके अलावा जिस तरह से पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान के अंदर भारत में हमला करने वाले ढेर हो रहे हैं, उससे पहले ही घबराया हुआ है. ये खौफ हाफिज सईद के करीबी अबू कताल की हत्या के बाद और बढ़ गया है. हाफिज के इस करीबी ने कश्मीर में तीर्थयात्रियों को निशाना बनाया था, लेकिन उसे आईएसआई भी नहीं बचा पाई. पाकिस्तान की मुसीबत ये है कि उसे तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद हाफिज-मसूद को लेकर दबाव बढ़ने का डर है.
aajtak.in