मैरिटल रेप के मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई, केंद्र ने जबाव देने के लिए मांगा समय

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि केंद्र को भी इस मामले पर चर्चा करनी होगी और अदालत के सामने अपना रुख रखना होगा. यह 2015 की याचिका है, लेकिन हमें परामर्श करने और अपना पक्ष रखने के लिए कुछ समय चाहिए.

Advertisement
मैरिटल रेप के मुद्दे को लेकर आगे भी सुनवाई जारी रहेगी मैरिटल रेप के मुद्दे को लेकर आगे भी सुनवाई जारी रहेगी

अनीषा माथुर

  • दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:05 PM IST
  • साल 2015 से लंबित है इस मामले से जुड़ी याचिका
  • हाई कोर्ट ने कहा- जल्द पूरी करनी है केस की सुनवाई
  • एसजी ने केंद्र की ओर से मांगा और समय

केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) से कहा कि वैवाहिक बलात्कार (Marital rape) को अपराध माना जाना चाहिए या नहीं, इस पर अपने रुख को अंतिम रूप देने के लिए हमें और समय चाहिए. क्योंकि परामर्श प्रक्रिया में समय लगेगा. सोमवार को इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई कर रही थी, जो मंगलवार को भी जारी रहेगी.

दरअसल, हाई कोर्ट में यह याचिका 2015 से लंबित है. केंद्र का कहना है कि हमें यह तय करने के लिए समय चाहिए कि वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण पर "हां" या "नहीं" का स्टैंड लेना है या नहीं.

Advertisement

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने अधिकारियों से चर्चा की है. केंद्र को भी चर्चा करनी होगी और अदालत के सामने अपना रुख रखना होगा. यह 2015 की याचिका है, लेकिन हमें परामर्श करने और अपना पक्ष दर्ज करने के लिए कुछ समय चाहिए.

इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि हमने इस मामले को सुनना शुरू कर दिया है. हम इसे खत्म करना चाहते हैं.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जिसमें चंद हफ्तों में कुछ भी नहीं होगा. अधूरे मन से न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखना उचित नहीं होगा.

हाई कोर्ट ने कहा कि पिछले सप्ताह आपने इस अनुरोध का जिक्र किया था. हम यह करेंगे कि हम अन्य सभी अधिवक्ताओं को अपनी दलीलें खत्म करने की इजाजत देंगे.

सॉलिसिटर जनरल का कहना था कि वो न्याय मित्र सहित सभी तर्क सरकार के सामने रखेंगे.

Advertisement

हाई कोर्ट ने कहा कि अन्य अधिवक्ताओं को अपनी दलीलें पूरी करने दें, जो उन्होंने तैयार की हैं. उन्हें अपना तर्क पूरा करने से नहीं रोक सकते. इस तरह के मामले में सरकार को सैद्धांतिक रूप से हां या ना कहना होगा. क्योंकि ऐसे में आप कितना भी तर्क कर लें, कोई नतीजा नहीं निकलेगा.

हाई कोर्ट ने कहा कि कुछ मामले ऐसे होते हैं जहां अदालत अंततः एक या दूसरे तरीके से फैसला करती है और फिर मामला हल हो जाता है. इसी बात पर सॉलिसिटर जनरल ने HC से विचार विमर्श के लिए और समय मांग लिया.

सुनवाई के दौरान न्याय मित्र ने कहा कि मुद्दा यह है कि क्या विवाह अपने आप में एक उचित वर्गीकरण है. इसका मतलब यह हुआ कि विवाह में एक तरह से यौन संबंध को सहमति दी जाती है.

उन्होंने कहा कि हमें इस मुद्दे पर भी विचार करने की आवश्यकता है कि क्या बलात्कार की परिभाषा में पति को "रिश्तेदार" माना जाना चाहिए. क्योंकि पति को "रिश्तेदार" माना जाता है, तो यह गंभीर यौन उत्पीड़न के लिए सजा के तहत आता है. जिसमें कम से कम 10 साल तक की सजा होती है.

न्यायमूर्ति शकधेर ने कहा कि हम चाहते हैं कि सुनवाई तेजी से पूरी हो और यह वकील हैं जो चाहते हैं देरी हो. वो जल्द ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे. वो नहीं चाहते कि जस्टिस हरिशंकर को दूसरे दौर में जाना पड़े.

Advertisement

हम आप सभी को तब तक सुनेंगे जब तक आप गलफड़ों से संतुष्ट नहीं हो जाते. अपने तर्क न दोहराएं. मैं बस इतना ही कह रहा हूं. वैवाहिक बलात्कार मामले की सुनवाई मंगलवार की दोपहर 3 बजे से फिर होगी.
 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement