गाजा में तबाही, अमेरिका में मुलाकात... नेतन्याहू-ट्रंप मीटिंग के बीच हमास का हमला, 5 इजरायली सैनिक ढेर

गाजा पट्टी की जली हुई इमारतें, धुएं से ढकी सड़कों पर घायल बच्चे और दूसरी ओर अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गर्मजोशी से भरी मुलाकात. एक तरफ युद्ध के जख्म, दूसरी तरफ कूटनीति की तस्वीरें. लेकिन बड़ा सवाल ये है...

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Netanyahu handed the letter to Trump as they meet at the Blue Room of the White House.(Photo: AP) Netanyahu handed the letter to Trump as they meet at the Blue Room of the White House.(Photo: AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

गाजा पट्टी की जली हुई इमारतें, धुएं से ढकी सड़कों पर घायल बच्चे और दूसरी ओर अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गर्मजोशी से भरी मुलाकात. एक तरफ युद्ध के जख्म, दूसरी तरफ कूटनीति की तस्वीरें. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या इस बार सचमुच कोई हल निकलेगा या फिर शांति की तस्वीरें सिर्फ कैमरे तक सीमित रह जाएंगी?

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गाजा में सोमवार को हमास के एक सुरंग हमले में 5 इजरायली सैनिक मारे गए. ये हमला तब हुआ, जब नेतन्याहू अमेरिका दौरे पर थे. डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत कर रहे थे. इस हमले ने बता दिया कि ज़मीनी सच्चाई कूटनीतिक कोशिशों से कहीं ज़्यादा भयावह है. वॉशिंगटन डीसी में नेतन्याहू की मुलाकात अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो, मिडिल ईस्ट के विशेष दूत सिंथिया व्हिटकॉफ और अंत में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हुई. 

सूत्रों के मुताबिक, गाजा युद्ध, हिज़्बुल्ला की उत्तरी सीमा पर गतिविधियां, ईरान समर्थित हूती विद्रोही और अमेरिकी यहूदी समुदाय का बढ़ता दबाव, ये चार मुद्दे चर्चा के केंद्र में रहे. हालांकि, जब तक नेतन्याहू ट्रंप के साथ वॉशिंगटन में मुस्कुरा रहे थे, उसी वक्त गाजा में जोरदार हमला हुआ, जिसमें इजरायली सैनिकों की मौत हो गई. इसने यह साफ कर दिया कि कूटनीति और यथार्थ के बीच खाई अब भी गहरी है.

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गाजा में अक्टूबर 2023 से जंग जारी है. 7 अक्टूबर को हमास के हमले में 1200 इज़रायली नागरिक मारे गए और 251 को अगवा कर लिया गया था. इसके बाद से इज़रायल लगातार हवाई हमले कर रहा है. आंकड़े बताते हैं कि अब तक 60 हजार से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं. लाखों की संख्या में लोग घायल हैं. इनमें बड़ी संख्या में बच्चे, बुजुर्ग और महिला शामिल हैं. गाजा के कई इलाके खंडहर में तब्दील हो चुके हैं.

हाल में अमेरिका के राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप इस जंग को खत्म कराने की कोशिशों में जुटे हैं. उन्होंने कहा था, ''गाजा के लोग नरक से गुजर रहे हैं और उन्हें सुरक्षा मिलनी चाहिए.'' अब सवाल उठता है कि क्या ट्रंप गाज़ा संघर्ष को भी उसी तरह शांत करा पाएंगे, जैसे उन्होंने ईरान-इज़रायल जंग के 12 दिन बाद सीज़फायर कराकर दिखाया था? अमेरिका, कतर और मिस्र की मध्यस्थता से युद्धविराम की कोशिशें तेज हुई हैं. 

सूत्रों के अनुसार, सीजफायर की योजना कई चरणों में लागू होनी है. पहले चरण में हमास 50 में से 10 इज़रायली बंधकों को रिहा करेगा. इसके बदले में इजरायल फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ेगा. फिर इजरायल उत्तरी गाज़ा से अपनी सेना हटाएगा. अंतिम चरण में स्थायी युद्धविराम पर बातचीत होगी. लेकिन सबसे बड़ी अड़चन यह है कि हमास चाहता है कि इजरायल पूरी तरह सैनिक वापसी करे और घेराबंदी हटाए. 

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इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए अमेरिका यात्रा सिर्फ राजनयिक दौरा नहीं है. गाज़ा में युद्धविराम का दबाव उन पर बढ़ता जा रहा है. पश्चिमी देशों और अमेरिका के अंदरूनी यहूदी समुदाय के बीच असंतोष साफ दिख रहा है. इजरायल में भी उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. वार कैबिनेट में फूट है और बंधकों की रिहाई को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में नेतन्याहू दबाव में हैं.

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