कर्नाटक के कोडागु में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जहां एक व्यक्ति को अपनी पत्नी की हत्या के झूठे आरोप में 18 महीने जेल में रहना पड़ा. अब सच सामने आने पर पुलिस की कार्यशैली पर कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं
यह मामला बसवनहल्ली गांव के सुरेश का है, जो कुरुबा जनजाति से ताल्लुक रखते हैं. सुरेश ने साल 2020 में अपनी पत्नी मल्लिगे के गुमशुदा होने की रिपोर्ट कुशलनगर ग्रामीण थाना में दर्ज करवाई थी. कुछ समय बाद बेट्टदापुरा थाना क्षेत्र में एक महिला का कंकाल बरामद हुआ.
18 महीने जेल में रहा बेकसूर पति
पुलिस ने बिना सही जांच के सुरेश पर दबाव डाला कि वो स्वीकार करे कि वो अवशेष उसकी पत्नी मल्लिगे के हैं. इसके आधार पर सुरेश को गिरफ्तार कर हत्या के आरोप में जेल भेज दिया गया. करीब एक साल बाद जब डीएनए जांच हुई, तो यह खुलासा हुआ कि बरामद कंकाल मल्लिगे का नहीं था.
कुछ ही दिनों में पुलिस को जानकारी मिली कि मल्लिगे मैसूरु से लगभग 30 किलोमीटर दूर शेट्टिहल्ली गांव में एक अन्य व्यक्ति के साथ रह रही है. इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद मैसूर की 5वीं एडिशनल जिला-सत्र अदालत ने सुरेश को निर्दोष करार देते हुए पुलिस की कार्रवाई की कड़ी आलोचना की. अदालत ने कहा कि यह मामला पुलिस की घोर लापरवाही और बिना पर्याप्त प्रमाण के गिरफ्तारी का उदाहरण है.
तीन पुलिसवालों पर गिरी गाज
इस मामले पर संज्ञान लेते हुए दक्षिण रेंज के पुलिस महानिरीक्षक बोरलिंगैया ने बेट्टदापुरा थाना प्रभारी इंस्पेक्टर जी.बी. प्रकाश, सब इंस्पेक्टर प्रकाश एत्तिनामणि और महेश को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए जांच प्रणाली में सुधार की बात भी कही है.
सगाय राज