दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके में एक सनसनीखेज वारदात का खुलासा हुआ है. यहां आठ लोगों के गिरोह पर खुद को पुलिसकर्मी बताकर एक बीमा एजेंट से लूटपाट और जबरन वसूली का आरोप है. इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. उनके कब्जे से साजिश से जुड़े कई सबूत बरामद किए गए हैं. इस वारदात में आपसी रंजिश की बात भी सामने आ रही है.
जानकारी के मुताबिक, ये घटना 26 जून की है. लक्ष्मी नगर में बीमा एजेंट सलमान (31) के ऑफिस में चार लोग पुलिस वर्दी में घुस आए. उनके पास पुलिस आईडी कार्ड जैसे दिखने वाले नकली दस्तावेज थे. उन लोगों ने खुद को दिल्ली पुलिस का 'स्पेशल स्टाफ' का बताया. इसके बाद बीमा के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए जांच शुरू कर दी. सलमान का मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिया गया.
इसके बाद सलमान को जबरन कार में बैठाकर ले जाया गया. उसे रास्ते में धमकाया गया कि यदि उसने सहयोग नहीं किया, तो उसे फर्जी मामलों में फंसा दिया जाएगा. डर की वजह से सलमान से उनके बताए अकाउंट में 70 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए. इसके अलावा उससे आरोपियों ने 80 रुपए कैश भी ले लिए. पीड़ित ने 28 जून को लक्ष्मी नगर पुलिस स्टेशन में आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया.
इसके बाद दिल्ली पुलिस की टीम ने जांच शुरू कर दी. उसी रात पांच आरोपियों को नोएडा लिंक रोड से गिरफ्तार कर लिया गया. ये सभी उसी कार में थे, जिसका इस्तेमाल सलमान को अगवा करने में किया गया था. दिल्ली के विभिन्न इलाकों से तीन अन्य आरोपियों को भी दबोच लिया गया. इस पूरे गिरोह की कमान सलमान के पूर्व कर्मचारी हनी कुमार (31) के हाथ में थी. उसने दो हफ्ते पहले ही नौकरी छोड़ी थी.
डीसीपी (ईस्ट) अभिषेक धानिया के मुताबिक, हनी ने ही सलमान के बारे में अहम जानकारी सनी शर्मा (28) नामक कैब ड्राइवर को दी थी. इसके बाद उसने अपने बाकी साथियों के साथ साजिश रची थी. गिरफ्तार किए गए आरोपियों में हनी और सनी के साथ अंकित जैन (32), सुपरवाइजर विक्रम सिंह (35), डेटा एनालिस्ट राहुल गुप्ता (27), जिम ट्रेनर राहुल यादव (27), अनिल कांत (33) और जीतपाल (42) शामिल हैं.
पुलिस जांच में सामने आया कि सनी शर्मा गाजियाबाद में दर्ज एक साइबर क्राइम के केस में पहले भी गिरफ्तार हो चुका है. वहीं अंकित जैन पर भी दो आपराधिक मामले पहले से दर्ज हैं. पूछताछ में आरोपियों ने माना कि उन्होंने खुद को पुलिसकर्मी बताकर सलमान को डराया, ताकि वसूली की साजिश विश्वसनीय लगे. उन्होंने अलग-अलग भूमिकाएं निभाईं. इनमें कोई पुलिस अधिकारी बना, कोई गवाह, तो कोई ड्राइवर.
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध की झलक है. यहां रंजिश, लालच और अपराधी सोच एक साथ मिलकर पुलिस की वर्दी तक का दुरुपयोग कर रही है. दिल्ली पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण और जबरन वसूली की धाराओं में केस दर्ज किया है. आरोपियों के पुराने रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं. सभी आरोपियों से पूछताछ की जा रही है.
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