बिहार के छपरा जिले की RPF की टीम ने रेलवे में फर्जी ज्वाइनिंग लेटर देकर भोले-भाले बेरोजगार युवकों को ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. खास बात यह है कि ये जालसाज युवकों के लेटर देने के बाद 3-4 महीने तक सैलरी भी दिया करते थे. RPF ने पीड़ित लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया है.
यह गिरोह साल 2019 से ही भोले-भाले ग्रामीण बेरोजगार युवकों से भारी रकम लेकर फर्जी ज्वाइनिंग पत्र देकर बेवकूफ बनाने का काम कर रहा था. इस गिरोह के लोग सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग करते हैं और वॉट्सएप पर ही नौकरी का लेटर भेजते थे.
गिरोह के बारे में छपरा RPF को जानकारी होने पर महीनों से इसकी रेकी हो रही थी. आज बुधवार को छपरा जंक्शन के सर्कुलेटिंग एरिया में सिविल ड्रेस में RPF के जवानों ने घेराबंदी कर आरोपियों को पकड़ने में सफलता प्राप्त की है.
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इस गिरोह के लोग नौकरी देने के नाम पर 5 लाख रुपये लेते थे, और इसी रुपये से इन लोगों के बैंक खाते में 25 से 30 हजार रुपये 3-4 महीने जमा भी करा देते थे, जिससे इनको यकीन हो जाए कि इनकी नौकरी लग गई है. कोरोना के कारण इन लोगों की फील्ड में पोस्टिंग नहीं की जा रही थी, इससे फर्जी नौकरी लेने वाला अन्य लोगों को भी बताता जिससे अन्य बेरोजगार भी इनके जाल में फंस जाते थे.
लेटर लेने आए 3 युवक भी गिरफ्तार
इस गिरोह के 1 सदस्य और नौकरी का ज्वाइनिंग लेटर लेने आए 3 युवकों को भी गिरफ्तार करने में सफलता मिली है. युवकों को इसलिए गिरफ्तार किया गया है कि उन्होंने रिश्वत देकर नौकरी हासिल करने का प्रयास किया है. अगर उन्होंने इसकी सूचना पहले ही संबंधित अधिकारियों को दे दी होती तो उनको आज कानून की गिरफ्त में आने की जरूरत नहीं पड़ती.
पूरे मसले पर RPF के सहायक सुरक्षा आयुक्त ने बताया कि पकड़ा गया अभियुक्त अमनौर का रहने वाला है. आज यह छपरा स्टेशन पर इन लोगों को ज्वाइन करवाने के लिए पत्र देने आया था, जिसकी जानकारी RPF को पहले से थी. इस गिरोह में कई और सदस्य भी हैं, जिनकी गिरफ्तारी के प्रयास में टीम लगी हुई है. अभी तक इन्होंने साल 2019 से कितने लोगों के साथ इस तरह की धोखाधड़ी की है, इसकी जांच की जा रही है.
RPF के सहायक सुरक्षा आयुक्त ने बताया कि कहीं ना कहीं इस जालसाजी में कई लोगों की संलिप्तता है, जिसकी जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि लोगों को यह अच्छी तरह से समझना चाहिए कि रेलवे कभी भी रुपया लेकर नौकरी नहीं देता है, ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए.
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आलोक कुमार जायसवाल