ऑनलाइन गेम के चक्कर में लुटेरा बने इस 'बर्बाद' पुलिसवाले की कहानी सबक है!

साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों के बीच ऑनलाइन सट्टेबाजी भी तेजी से बढ़ रही है. इस सट्टेबाजी के चक्कर में कुछ लोग मालामाल हो रहे हैं, तो कुछ कंगाल हो चुके हैं. कई लोगों इसकी वजह से अपराध के दलदल में भी उतर गए. ऐसा ही एक मामला मुंबई में सामने आया है, जहां एक मुंबई पुलिस का एक कॉन्स्टेबल लुटेरा बन गया.

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साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों के बीच ऑनलाइन सट्टेबाजी भी तेजी से बढ़ रही है. साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों के बीच ऑनलाइन सट्टेबाजी भी तेजी से बढ़ रही है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 10:23 PM IST

जुए और सट्टेबाजी के जाल में जो भी फंसा, वो बर्बाद हो गया. कुछ मेहनत नहीं करना चाहते हैं. कम जोखिम में आसानी से पैसे कमाना चाहते हैं. ऐसे ही लोग सट्टेबाजी और जुए के जाल में फंस जाते हैं. इसमें शुरुआत में तो लोगों को बहुत फायदा होता है, लेकिन एक बार जब बर्बादी शुरू होती है, तो इंसान को खत्म कर देती है. उसको और उसके परिवार की बर्बादी की वजह बन जाती है. इससे ऊबरने के लिए लोग कई बार अपराध के दलदल में भी उतर जाते हैं. ऐसा ही एक मामला मुंबई में सामने आया है. यहां मुंबई पुलिस के एक कॉन्स्टेबल को गिरफ्तार किया गया है. उसके खिलाफ हाईवे पर लोगों से लूट करने और जानलेवा हमले के आरोप में केस दर्ज किया गया है. 

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नाम सूरज देवराम ढोकरे. उम्र 36 साल. नौकरी मुंबई पुलिस में कॉन्स्टेबल. लेकिन असली काम हाईवे पर लोगों से लूटपाट. यहां कोई भी सोच सकता है कि एक पुलिसवाला लूटपाट क्यों करेगा? जिसके कंधों पर कानून की रखवाली की जिम्मेदारी है, वो भला गैरकानूनी काम क्यों करेगा? वो भी पुलिस की वर्दी पहनकर और सर्विस रिवॉल्वर का इस्तेमाल करके. इन सवालों के जवाब आगे मिल जाएंगे, लेकिन यहां ये जानना दिलचस्प है कि सूरज को अपने विभाग में काबिल पुलिसकर्मी माना जाता था. यही वजह है कि उसकी तैनाती क्विक रिस्पॉन्स टीम में की गई थी. 26/11 हमले के बाद मुंबई पुलिस ने ये खास टीम बनाई थी, जो इस तरह की किसी आतंकी और आपराधिक वारदात को रोकने के लिए तुरंत सक्रिय हो सके. इस टीम के जवानों को देश और विदेश के महत्वपूर्ण कमांडो फोर्स के ट्रेनर्स द्वारा ट्रेनिंग दी जाती है. उनके पास दुनिया के आधुनिक हथियार होते हैं. 

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सूरज देवराम ढोकरे क्विक रिस्पॉन्स टीम में अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से कर रहा था. लेकिन खाली समय में मोबाइल पर अक्सर गेम खेला करता था. इसी दौरान उसे ऑनलाइन गेम खेलने की लत गई. गेम खेलते-खेलते वो धीरे-धीरे ऑनलाइन सट्टेबाजी करने लगा. शुरू में पैसा आया तो उसे बहुत अच्छा लगा. इसकी वजह से उसका ज्यादातर समय अब मोबाइल पर सट्टेबाजी करते हुए बीतने लगा. इस दौरान वो बहुत सारे पैसे हार गया. लेकिन सट्टेबाजी की बुरी लत नहीं छूटी. पहले सैलरी के पैसे लगाया, फिर कम पड़े तो बैंकों से लोन लेने लगा. इस तरह उसने 42 लाख रुपए लोन लेकर सट्टेबाजी में लगा दिया. सारे पैसे डूब गए. सूरज सड़क पर आ गया. लोन रिकवरी की बैंक कॉल आने लगी.

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लोन रिकवरी वाले कई बार घर और ऑफिस में आ धमके थे. सूरज कोई रास्त नहीं सूझा तो उसने लूटपाट और चोरी शुरू कर दी. उसने इस काम के लिए भिवंडी और अंबाडी इलाके को चूना. इसके साथ हाईवे पर स्थित सूनसान इलाकों में भी लोगों को रोककर उनसे लूटपाट करने लगा. पिछले हफ्ते की बात है. विरार के रहने वाले दो चचेरे भाई अजीम और फिरोज बाइक से मालेगांव जा रहे थे. सूरज ने अपनी बाइक से उनका पीछा किया. पहले उनकी बाइक धीमी कराई फिर साइड में खड़ा करने के लिए कहने लगा. उनकी बाइक जैसे ही धीमी हुई उसने अपनी सर्विस रिवॉल्वर तान दी और उनसे सामान-पैसे देने के लिए कहने लगा. दोनों भाइयों ने उसका विरोध किया और वहां से भागने लगे.

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सूरज ने अजीम और फिरोज पर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से फायरिंग शुरू कर दी. उसने कुछ आठ राउंड फायर किए. इसमें छह राउंड फिरोज और दो राउंड अजीम पर गोली चलाई. दोनों भाई बुरी तरह घायल हो गए. फायरिंग की आवाज सुनकर लोग एकत्र हो गए. इतने में सूरज वहां से भाग निकला. उसने अपना चेहरा मास्क से ढंक रखा था. इसलिए पहचान नहीं पाई. लेकिन वो अपनी बाइक वहीं छोड़ गया था. पुलिस ने बाइक के रजिस्ट्रेशन नंबर से उसकी पहचान कर ली. वो वारदात को अंजाम देने के बाद अहमदनगर भाग रहा था. मुंबई पुलिस ने अहमदनगर पुलिस की मदद से कोल्हार के पास नाकाबंदी कर उसको हिरासत में ले लिया. उसने लूट की कई घटनाओं का खुलासा किया है.

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