इंदौर में WhatsApp पर शेयर किया बच्चों का अश्लील Video, 60 साल का आरोपी गिरफ्तार

मध्य प्रदेश के इंदौर में एक रिक्शा चालक को पुलिस ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी वीडियो शेयर करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. आरोपी अपने ई-रिक्शा से बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने का काम करता है. पुलिस ने उसके खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया है. उससे पुलिस हिरासत में पूछताछ की जा रही है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

aajtak.in

  • इंदौर ,
  • 27 जून 2025,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

मध्य प्रदेश के इंदौर में एक रिक्शा चालक को पुलिस ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी वीडियो शेयर करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. आरोपी अपने ई-रिक्शा से बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने का काम करता है. पुलिस ने उसके खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया है. उससे पुलिस हिरासत में पूछताछ की जा रही है. प्रारंभिक जांच में अश्लील वीडियो विदेश में शूट बताया जा रहा है. 

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इंदौर पुलिस के साइबर सेल के इंस्पेक्टर दिनेश वर्मा ने बताया कि आरोपी की उम्र 60 साल है. वो ई-रिक्शा चालक है. उसने व्हाट्सएप के जरिए बच्चों से जुड़ी तीन पोर्न क्लिप शेयर की थीं. इसके बाद पुलिस से बचने के लिए उसने आरोपी ने अपने मोबाइल फोन फॉर्मेट कर दिया था. लेकिन पुलिस ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर डिलीट किए गए आपत्तिजनक वीडियो को रिकवर कर लिया.

विदेश में शूट किया गया है पोर्न वीडियो

इंस्पेक्टर ने बताया कि ये पोर्न वीडियो बच्चों के यौन शोषण से संबंधित हैं. पहली नजर में ऐसा लगता है कि इन्हें विदेश में शूट किया गया है. आरोपी का मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया है. साइबर सेल ने स्कूल प्रबंधन को पत्र लिखकर आरोपी की गिरफ्तारी की जानकारी दे रही है. पुलिस आरोपी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने को कहेगी. फिलहाल इस मामले की विस्तृत जांच जारी है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कृत्य को क्रूर करार दिया

बताते चलें कि नाबालिग बच्चों के साथ यौन गतिविधियों के संबंध में बनाए गए वीडियो चाइल्ड पोर्नोग्राफी की श्रेणी में आते हैं. इसमें वीडियो और तस्वीर दोनों शामिल है. इसको लेकर पिछले साल मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्रूर करार दिया था. मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को अपराध की श्रेणी में रखने से इनकार कर दिया था.

आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत अपराध

इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को इस मामले में बरी कर दिया था. इसके बाद एक एनजीओ ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका लगाई थी. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस मामले पर तमिलनाडु सरकार से भी जवाब मांगा था. आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत चाइल्ड पोर्नोग्राफी वीडियो देखना और शेयर करना एक दंडनीय अपराध है.
 

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